{सोनाली बोस***} बुधवार 7 मई 2014 को लोकतंत्र के महोत्सव का आठवाँ चरण पूरा होने जा रहा है। जिस तरह से इन चुनावोँ का मौसम अपने शबाब पर आया है उसमेँ तमाम तरह के चीथड़ोँ को सत्ता और विरोधी पक्षोँ ने उभारा है। राहुल गाँधी और नरेन्द्र मोदी के खेमोँ का परस्पर दंगल हम सभी कई दिनोँ से देख ही रहे हैँ और इसमेँ कोई दो राय नहीँ है कि आज के मतदान के साथ ही आरोप प्रत्यारोप के दौरोँ का एक और अध्याय अपनी पराकाष्ठा को पार कर लेगा। मोदी की ‘जसोदाबेन’ के चर्चे हो या फिर ‘माँ बेटे की सरकार’ या ‘ जीजाजी’ के धन्धे… बाबू ये लोकसभा का चुनाव नहीँ, ये तो आपसी छींटाकशीँ का महापर्व है।
भाजपा अपने साथ उंची जाति का वोट बैंक लेकर खुश है। वैसे एक राहत तो उन्हे भी है कि उत्तर प्रदेश और बिहार के यादवोँ को छोड़कर एक काफी बड़ा OBC का तबका अभी भी उनके साथ है। भले ही जातिगत वोट भाजपा का सबसे बड़ा हथियार ना हो लेकिन ये चुनाव भाजपा के लिए वोटर्स के आय के स्तर और प्रवृत्ति के बीच एक मज़बूत सकारात्मक लिंक दिखाते हैं। लेकिन इन सभी सकारात्मक बातोँ के बावजूद कई राजनीतिक पंडितोँ के मुताबिक़ मोदी की व्यक्तिगत ज़िन्दगी, तथाकथित ‘जासूसी कांड’ मोदी को इस देश के लिये काफी हद तक घातक सिद्ध करता है। और शायद यही वो वजह भी है जो opinion polls मेँ महिलाओँ को पुरूषोँ की अपेक्षा भाजपा मेँ कम दिलचस्पी लेती दिखाई गई हैँ। वहीँ राहुल गाँधी का कांग्रेस को देश के भाग्य और विकास के लिये default setting बनाना उनकी अति महत्त्वाकाँक्षी सोच और सच्चाई से उनकी कोसोँ दूरी ही करार दी जा सकती है।
16 मैं को ऊँट पहाड़ के नीचे आही जाएगा , देश के बाकी मीडिया का ध्यान इन मुद्दों की तरफ क्यूँ नहीं जाता ?
आपने सारे मुद्दों को हवा दे दी , कीच भी हैं इस साईट पर कुछ न कुछ पढ़ने को बहुत अच्छा मिल ही जाता हैं