दिल्ली ,
अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच और राष्ट्रीय अधिकार मंच की ओर से एक संयुक्त सम्वाददाता सम्मेलन का आयोजन कांस्टीट्यूशन क्लब में किया गया।
सम्वाद्दाताओं को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मचं के महामंत्री श्री मुकेश जैन और उपाध्यक्ष स्वामी ओम जी ने बताया कि अंग्रेजी की अनिवार्यता के विरूद्ध मंच पिछले 35 सालों से संघर्ष कर रहा है। मंच द्वारा अपने संरक्षक श्री बैकुण्ठ लाल शर्मा ‘प्रेम’ के नेतृत्व मेें 8 दिसम्बर 1998 को संघ लोक सेवा आयोग की एनडीए और सीडीएस की परीक्षाओं के प्रश्न पत्र हिन्दी में भी दिये जाने की मांग को लेकर 4500 छात्रों को लेकर प्रदर्शन किया गया था, किन्तु संघ लोक सेवा आयोग भ्रष्टाचार में इस कदर डूबा हुआ है कि वह आज भी अपनी सभी भरती परीक्षाओं में अंगेजी माध्यम के छात्रों की एक तरफा भरती करके उन्हे अवांछित, एक तरफा, असंवैधानिक लाभ पहुंचा रहा है। इसके लिये इसके पदाधिकारी मिश्निरी स्कूलों और अंग्रेजी माध्यम के कोचिंग संस्थानों से मोटी रकम एठ रहे हैं। श्री जैन और स्वामी ओम जी ने संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भ्रष्टाचारी डी पी अग्रवाल को विधि की अवज्ञा कर दंगा और बलवा फैलाने केधरा 153 के मामले में तत्काल गिरफतारी की भाजपा सरकार से मांग करते हुए, संघ लोक सेवा आयोग को भंग कर इसके पुर्नगठन की भी मांग की ताकि आयोग भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों से ओत-प्रोत प्रशासनिक अधिकारी चुनने के अपने नियमों का पालन कर सके।
सम्वाद्दाताओं को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय अधिकार मंच के अध्यक्ष और छात्र नेता श्री अंगेश ने कहा कि जैसा कि सुनने मेें आ रहा है कि वर्मा आयोग ने सी सेट को सही करार देकर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में हिन्दी और भारतीय भाषाओं के माध्यम के छात्रों से हो रहे भेद-भाव को उचित ठहराया है। दुःख की बात है कि आयोग द्वारा 2013 की परीक्षाओ में 1122 अधिकारियों में से हिन्दी माध्यम के केवल 26 और बाकी अंग्रेजी माध्यम के चुनने का जो भेदभाव अन्धों को भी नजर आ रहा है,वह अरविन्द वर्मा आयोग को नजर नही आ रहा है। छात्र नेता श्री अंगेश ने सरकार से वर्मा आयोग की रपट श्री कृष्ण आयोग की रपट की तरह खारिज करने की भी मांग की।
सम्वाद्दाता सम्मेलन में हिन्दी और देशी भाषायी संगठनों ने सरकार से मांग की है कि वह न केवल सी सेट को हटाये बल्कि इस सी सेट प्रणाली द्वारा पिछले 3 सालों में की गयी अंग्रेजी माध्यम के छात्रों की एक तरफा भरती को भी निरस्त करें ।यह देश हमारा है और हमने अपना खून बहाकर देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया है। हम 2 प्रतिशत अंग्रेजो के ऐजेन्ट अंग्रेजी कान्वेट वालों को 100 प्रतिशत मलाई नही चाटने देंगे। हमें इस साल के परीक्षा परिणमों में अपना 98 प्रतिशत का हक चाहिये, जिसे हम लेकर रहेंगे।
अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मंच और राष्ट्रीय अधिकार मंच की ओर से एक संयुक्त सम्वाददाता सम्मेलन का आयोजन कांस्टीट्यूशन क्लब में किया गया।
सम्वाद्दाताओं को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय अंग्रेजी अनिवार्यता विरोधी मचं के महामंत्री श्री मुकेश जैन और उपाध्यक्ष स्वामी ओम जी ने बताया कि अंग्रेजी की अनिवार्यता के विरूद्ध मंच पिछले 35 सालों से संघर्ष कर रहा है। मंच द्वारा अपने संरक्षक श्री बैकुण्ठ लाल शर्मा ‘प्रेम’ के नेतृत्व मेें 8 दिसम्बर 1998 को संघ लोक सेवा आयोग की एनडीए और सीडीएस की परीक्षाओं के प्रश्न पत्र हिन्दी में भी दिये जाने की मांग को लेकर 4500 छात्रों को लेकर प्रदर्शन किया गया था, किन्तु संघ लोक सेवा आयोग भ्रष्टाचार में इस कदर डूबा हुआ है कि वह आज भी अपनी सभी भरती परीक्षाओं में अंगेजी माध्यम के छात्रों की एक तरफा भरती करके उन्हे अवांछित, एक तरफा, असंवैधानिक लाभ पहुंचा रहा है। इसके लिये इसके पदाधिकारी मिश्निरी स्कूलों और अंग्रेजी माध्यम के कोचिंग संस्थानों से मोटी रकम एठ रहे हैं। श्री जैन और स्वामी ओम जी ने संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भ्रष्टाचारी डी पी अग्रवाल को विधि की अवज्ञा कर दंगा और बलवा फैलाने केधरा 153 के मामले में तत्काल गिरफतारी की भाजपा सरकार से मांग करते हुए, संघ लोक सेवा आयोग को भंग कर इसके पुर्नगठन की भी मांग की ताकि आयोग भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों से ओत-प्रोत प्रशासनिक अधिकारी चुनने के अपने नियमों का पालन कर सके।
सम्वाद्दाताओं को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय अधिकार मंच के अध्यक्ष और छात्र नेता श्री अंगेश ने कहा कि जैसा कि सुनने मेें आ रहा है कि वर्मा आयोग ने सी सेट को सही करार देकर संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में हिन्दी और भारतीय भाषाओं के माध्यम के छात्रों से हो रहे भेद-भाव को उचित ठहराया है। दुःख की बात है कि आयोग द्वारा 2013 की परीक्षाओ में 1122 अधिकारियों में से हिन्दी माध्यम के केवल 26 और बाकी अंग्रेजी माध्यम के चुनने का जो भेदभाव अन्धों को भी नजर आ रहा है,वह अरविन्द वर्मा आयोग को नजर नही आ रहा है। छात्र नेता श्री अंगेश ने सरकार से वर्मा आयोग की रपट श्री कृष्ण आयोग की रपट की तरह खारिज करने की भी मांग की।
सम्वाद्दाता सम्मेलन में हिन्दी और देशी भाषायी संगठनों ने सरकार से मांग की है कि वह न केवल सी सेट को हटाये बल्कि इस सी सेट प्रणाली द्वारा पिछले 3 सालों में की गयी अंग्रेजी माध्यम के छात्रों की एक तरफा भरती को भी निरस्त करें ।यह देश हमारा है और हमने अपना खून बहाकर देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया है। हम 2 प्रतिशत अंग्रेजो के ऐजेन्ट अंग्रेजी कान्वेट वालों को 100 प्रतिशत मलाई नही चाटने देंगे। हमें इस साल के परीक्षा परिणमों में अपना 98 प्रतिशत का हक चाहिये, जिसे हम लेकर रहेंगे।