हर धर्म के साधू- संतो को पूरा आदर -सम्मान देगी बी. एस .पी :मायावती .

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आई. एन. वी.सी.,,

लखनऊ,,

बी.एस.पी. की  अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की मुख्यमन्त्री कुमारी मायावती जी के आह्वान पर कांग्रेस व बी.जे.पी. तथा अन्य विरोधी पार्टियों की बाबा साहेब      डा. अम्बेडकर-विरोधी सोच का पर्दाफाश करने एवं बाबा साहेब की सोच-विरोधी महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने का तीव्र विरोध हेतु उनकी 119वीं जयन्ती के दिन आज दिनांक 14 अप्रैल, 2010 को देश-व्यापी आन्दोलनß के तहत उत्तर प्रदेश के सभी 71 ज़िला मुख्यालयों पर ज़ोरदार एक-दिवसीय Þ धरना-प्रदशZन कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की सफलता का जायज़ा लेने के लिये सुश्री मायावती जी ने स्वयं विभिन्न ज़िलों का हवाई निरीक्षण किया।

वैसे प्रदेश में बाबा साहेब डा. अम्बेडकर जयन्ती का मुख्य आकशZण Þडा. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, लखनऊß रहा, जहां बी.एस.पी. की राश्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री सुश्री मायावती जी ने बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की भव्य मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें अपनी पार्टी व सरकार की ओर से श्रद्धा-सुमन अर्पित किया।

और इस अवसर पर अम्बेडकर जयन्ती मनाने के साथ-साथ महिला आरक्षण विधेयक में अपनी जातिवादी मानसिकता के कारण, अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, धार्मिक अल्संख्यक व सवर्ण समाज की ग़रीब महिलाओं के लिये अलग से संसद और विधान सभाओं में आरक्षण की व्यवस्था नहीं करने के विरोध में उत्तर प्रदेश के सभी ज़िला मुख्यालयों में आयोजित Þधरना-प्रदशZनß कार्यक्रम का हवाई निरीक्षण करने हेतु जाने से पहले सुश्री मायावती जी ने मीडिया के समक्ष अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कांग्रेस पार्टी व बी.जे.पी. तथा अन्य विरोधी पार्टियों की बाबा साहेब   डा. भीमराव अम्बेडकर-विरोधी सोच की तीव्र आलोचना करते हुये कहाकि इन पार्टियों की जातिवादी सोच और मानसिकता के कारण ही, बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की लगातार उपेक्षा होती रही है और इन विरोधी पार्टियों का यह रवैया बाबा साहेब की अनुयाई पार्टी बी.एस.पी. व उसके नेतृत्व के िख़लाफ लगातार आज भी जारी है।

बी.एस.पी. की राश्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी ने कहाकि देश की आज़ादी के 63 वशोZं के दौरान, अब तक, केन्द्र में कांग्रेस व बी.जे.पी. तथा अन्य विरोधी पार्टियों की ही सत्ता रही है। लेकिन इन में से कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज़्यादा लगभग 50 वशोZं तक केन्द्र में तथा लगभग 38 वशोZं तक उत्तर प्रदेश में राज किया है। और इस लम्बे शासनकाल के दौरान कांग्रेस पार्टी ने अपनी जातिवादी मानसिकता के तहत चलकर इस देश में ना केवल बाबा साहेब डा. अम्बेडकर का, बल्कि दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों में समय-समय पर जन्मे सभी महान सन्तों, गुरुओं व महापुरुशों की घोर उपेक्षा की है अर्थात् कभी भी इनको उचित आदर-सम्मान नहीं दिया है। यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ने, काफी लम्बे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद भी, परम्पूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को Þभारत रत्नß की उपाधि से सम्मानित करना उचित नहीं समझा। जिस कारण बाबा साहेब को, आगे चलकर आिख़रकार आज़ादी के लगभग 43 वशोZं के बाद, जब केन्द्र में ग़ैर-कांग्रेसी सरकार थी और जब बी.एस.पी. ने पहली बार संसद में प्रवेश किया था, तब सन् 1990 में बाबा साहेब डा. अम्बेडकर को Þभारत रत्नß की उपाधि से सम्मानित किया जा सका। साथ-ही-साथ, इसी कांग्रेस पार्टी ने बाबा साहेब डा. अम्बेडकर को संविधान सभा में चुनकर नहीं जाने देने का पूरा-पूरा नाकाम प्रयास किया और फिर बाद में भी संसद में चुनकर नहीं जाने देने के लिये सभी प्रकार के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों का इस्तेमाल किया था। और इससे पहले भी इसी कांग्रेस पार्टी ने ही बाबा साहेब डा. अम्बेडकर को Þपुणा पैक्टß के लिये विवश करके दलित वर्ग के लोगों को विशेशाधिकार प्राप्त करने से वंचित कर दिया था।

और इतना ही नहीं, बल्कि बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के परिनिर्वाण के बाद, उनके मूवमेन्ट को पुनर्जीवित करने वाले मान्यवर श्री कांशी राम जी के प्रति भी कांग्रेस तथा अन्य विरोधी पार्टियों का रवैया उपेक्षा का रहा, जो अन्त तक जारी रहा। इसी कारण ही बड़े दु:ख के साथ यह कहना पड़ता है कि मान्यवर श्री कांशी राम जी का दिनांक 9 अक्तूबर, 2006 को देहान्त होने पर, उनके सम्मान में कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र की सरकार ने एक दिन का भी Þराश्ट्रीय शोकß नहीं घोशित किया। और इसी प्रकार, तब उत्तर प्रदेश में चल रही समाजवादी पार्टी की सरकार ने भी मान्यवर     श्री कांशी राम जी के सम्मान में प्रदेश में एक दिन का भी Þराजकीय शोकß नहीं घोशित किया।

और अब जबकि उत्तर प्रदेश में बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की मानवतावादी सोच पर चलने वाली बी.एस.पी. की सरकार भव्य स्मारक, पार्क, विश्वविद्यालय व ज़िला आदि बनवाकर उन महापुरुशों को उचित आदर-सम्मान देने का प्रयास कर रही है तो कांग्रेस व बी.जे.पी. तथा अन्य विरोधी पार्टियों को यह सब बहुत बुरा लग रहा है और ये पार्टियां इसमें बाधा डालने की लगातार कोिशशें कर रही हैं। इन मामलों को कोर्ट-कचहरी तक में घसीटा जा रहा है, जहां इन विरोधी पार्टियों के वरिश्ठ        व ज़िम्मेदार लोग इसका खुलकर विरोध करते हैं।

सुश्री मायावती जी ने कहाकि वह विरोधी पार्टियों को यह फिर स्पश्ट बता देना चाहती हैं कि यदि कांग्रेस और बी.जे.पी. तथा अन्य विरोधी पार्टियों ने अपनी सत्ता के दौरान अगर दलित एवं अन्य पिछड़े वर्गों में जन्मे महान सन्तों, गुरुओं व महापुरुशों को भी, अन्य समाज के सन्तों, गुरुओं व महापुरुशों की तरह ही आदर-सम्मान दिया गया होता, तो फिर आज हमारी सरकार को यहां उत्तर प्रदेश में अपने सन्तों, गुरुओं      व महापुरुशों के उचित आदर-सम्मान देने हेतु, उनके नाम पर भव्य स्मारक, संग्रहालय, मूर्तियां व पार्क आदि स्थापित करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती, जिनका कि आज ये तमाम विरोधी पार्टियां, अपनी जातिवादी मानसिकता के कारण, लगातार विरोध करती नज़र आती हैं। परन्तु उन्होंने कहाकि परम्पूज्य बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के जन्मदिन के शुभ अवसर पर आज, इन विरोधी पार्टियों को यह साफ तौर पर बता देना चाहती हैं कि इन पार्टियों के तीव्र विरोध के बावजूद भी, हमारे सन्तों, गुरुओं व महापुरुशों के आदर-सम्मान में बनाये गये स्थलों व स्मारकों इत्यादि को किसी भी स्तर पर, चाहे कितना भी विरोध क्यों ना हो, हमारी पार्टी   व हमारी सरकार उनके विरोध के आगे तिल भर भी झुकने को तैयार नहीं है अर्थात् अपने सन्तों, गुरुओं व महापुरुशों का भी, अन्य समाज के सन्तों, गुरुओं व महापुरुशों की तरह, आदर-सम्मान देने में बी.एस.पी. की सरकार ज़रा भी कसर नहीं छोड़ेगी।

सुश्री मायावती जी ने कहाकि बाबा साहेब महिलाओं को, जीवन के हर क्षेत्र मेेंं, सशक्त बनाते हुये उन्हें आगे बढ़ता हुआ देखना चाहते थे। इसी कारण उन्होंने केन्द्रीय कानून मन्त्री की हैसियत से हिन्दू कोड बिल संसद से पारित कराना चाहा। लेकिन कांग्रेस ने उनके साथ फिर से दग़ा किया, जिससे बाबा साहेब काफी दुखी हुये और इस विशय के साथ-साथ, अन्य बातों पर मतभेद के कारण उन्हें केन्द्रीय कानून मन्त्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की ही तरह, उनकी सोच के आधार पर चलने वाली बहुजन समाज पार्टी, महिला आरक्षण विधेयक के िख़लाफ नहीं है, बल्कि पूरी तरह से इसके पक्ष में है, क्योंकि बी.एस.पी. का नेतृत्व दलित समाज में जन्मी एक ऐसी सशक्त महिला के हाथ में है जिसने देश की राजनीति में अपनी एक अलग मज़बूत और अनोखी जगह बनायी है, जो वर्तमान में बी.एस.पी. की राश्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण एवं विशाल राज्य की मुख्यमन्त्री भी हैं और दलितों, अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों व सवर्ण समाज के ग़रीबों व अन्य शोशितों-पीड़ितों को सम्मानपूर्वक जीवन यापन की सुविधा मुहैया कराने के लिये पूरी तरह से तत्पर हैं। लेकिन देश में लोक सभा और विधान सभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने का जो विधेयक अभी हाल ही में दिनांक 9 मार्च, 2010 को केन्द्र सरकार द्वारा संसद में पास कराया गया है, उससे देश की अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, धार्मिक अल्पसंख्यक एवं सवर्ण समाज की ग़रीब महिलाओं को कोई ज्यादा व सीधा लाभ होने वाला नहीं है, क्योंकि इस विधेयक में इन वर्गों की महिलाओं के लिये Þअलगß से आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई है। इसके अलावा इस महिला आरक्षण विधेयक में अन्य कई घातक कमियां हैं, जिसका Þपर्दाफाशß करने के लिये बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की जयन्ती के दिन आज दिनांक 14 अप्रैल, 2010 को उत्तर प्रदेश में ज़िला स्तर पर एक दिन के धरना-प्रदशZन कार्यक्रम का काफी सफल आयोजन किया गया, जिसके लिये सुश्री मायावती जी ने पार्टी के तमाम छोटे-बड़े पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं व समर्थकों का तहे-दिल से शुक्रिया अदा किया।

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