साहित्यकार लेखनी के माध्यम से समाज में फैली बुराईयों को दूर करें : सुधीर राजपाल

haryana sahitya akademiइंद्रा राय,,
आई एन वी सी,,
चण्डीगढ़,,
हरियाणा के सूचना,जन सम्पर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के महानिदेशक श्री सुधीर राजपाल ने साहित्यकारों से कहा है कि वे अपनी अच्छी लेखनी के माध्यम से समाज में फैली बुराईयों को दूर करें। सकारात्मक सहयोग देने वाले अच्छे लेखकों को समय-समय पर हरियाणा सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जा रहा है। श्री राजपाल गणतंत्र दिवस को समर्पित  कल सांयः पंचकूला में आयोजित पंजाबी कवि सम्मेलन में बोल रहे थे।  हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में हरियाणा, पंजाब व चण्डीगढ़ से आए प्रसिद्घ 18 कवि एवं कवित्रियां ने भाग लिया, जिन्होंने देश भक्ति, वीर रस, कन्या भ्रूण हत्या, इंसानी रिश्ते,औरत का दर्द, नशा, राजनीति,आधुनिक समाज व समाज में फैली बुराईयों पर आधारित मनमोहक कविताएं प्रस्तुत की, जिन्हें श्रोताओं  ने खुब पसंद किया व सराहा। मंच संचालन की भूमिका फरीदाबाद से आई अरकमल कौर  ने  बाखुबी किया।  राजपाल ने कहा कि कवि सम्मेलन में उन्होंने लगभग हर रंग में रंगी कविताएं सुनकर बहुत आनंद लिया। उन्होंने पंजाबी कवि सम्मेलन की सराहना करते हुए आयोजकों  को बधाई दी। उन्होंने कहा कि  ऐसे आयोजनों से जहां वक्ताओं को एक दूसरे को समझने व पहचानने का मौका मिलता है वहीं उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का भी मौका मिलता है। साथ ही उन्होंने कहा कि संस्कृति भाषा जो सभी भाषाओं की जननी है, लुप्त हो रही है, उसे बचाने के लिए भी हमे प्रयास करने चाहिए। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चयरमैन डॉ0 अवतार सिंह ने कहा कि कवि दरबार में आ कर उन्हें नई ताजगी महसूस हुई है।   पंजाबी अकादमी  के निदेशक श्री सुखचैन सिंह भण्डारी ने अतिथियों व बाहर से आए कविओं का आभार व्यक्त करते हुए अकादमी की कार्य प्रणाली व उपलब्धियों के बारे में  विस्तार से जानकारी दी। शहीदों को श्रंद्वाजलि देते हुए  श्री भण्डारी ने अपनी कविता में कहा-
शहीद कदी मरदा नहीं, ओह जिन्दा रहंदा है,
दुनियां दा इतिहास, उसदी गाथा कहंदा है।
दे के सीस जिन्हां ने, सानूं आज़ादी सी दिवाई,
हर रोज़ इह ज़माना उसदा नाम लैंदा है।
सिरसा निवासी जोगिंदर सिंह मुक्ता  देश की महानता पर बोलते हुए कहा :
भारत देश महान, मेरा भारत देश महान,
मनमोहना, दिल खोहणा, सोहणा, इहदी उच्ची शान।
मोहाली निवासी, बाबू राम दीवाना ने  इसांनियत पर बोलते हुए कहा : 
सोच निघरदी गई पता नहीं इंसानियत है छिक्के टंगी
आपने घरां विच ही बनके बंदे पए जरवाने फिरदे।
मोहाली निवासी अमरजीत कौर हिरदे ने  शहीदों को याद करते हुए कहा :
जो देश तों जानां वार गए तूं याद उन्हांनूं करिआ कर,
ऐत्थे रहमत वरहे मुहब्बत दी ऐही फरियाद करिआ कर ।
फरीदाबाद निवासी अरकमल कौर ने मुहबत और सियासत की तुलना करते हुए कहा :
मुहब्बत नूं कदे कोई सियासत नाल ना तोले,
सियासत कब्ज़ा हुंदी है मुहब्बत जज़्बा हुंदी है
चण्डीगढ़ निवासी मलकीअत बसरा ने बहादुरी पर बोलते हुए कहा  : 
सिर देन दी वारी आवे बन्ह कतारां खड़ जाइओ,
पिठ कदे दिखाओ ना तुसीं वांग चट्टानां अड़ जाइओ।
चण्डीगढ़ निवासी शाम सिंह शहीदों की प्रसंशा करते हुए कहा :
मरदे नहीं ओह मरदे नहीं, जिन्हां सिर सूली ते वारे  ने।
शाहबाद निवासी कुलवंत सिंह चावला, रफीक ने विशेष व्यक्तियों की पहचान करते कहा :
वतन दा ऩगमा गावण वाला है पर कोई-कोई,
मुलक ते जान लुटावन वाला है पर कोई-कोई।
अम्बाला निवासी गुरचरन सिंह ‘जोगी’ ने  कुर्बानी पर बोलते कहा : 
तुसीं कीता हनेरा दूर सारा बाल के खुद नूं,
तुहाडी ही बदौलत है घरां विच रोशनी कायम।
पंचकूला निवासी किदार नाथ किदार ने गरीब लड़की की दास्तान सुनाते कहा : 
सुट्ट दिओ नीं खूह विच मैनूं, पत्थर रखके भारा नीं
धर के वी जज्बात ना उठण ऐसा करो कोई चारा नी।
पंचकूला निवासी गुरबख्श सिंह सैनी आधुनिक  समाज का चित्ररण करते कहा : 
अक्सर जहर प्याले पीणे पैंदे ने, बच्चियां संग समझौते करने पैंदे ने।
चण्डीगढ़ निवासी गुरतेज कौर पारसा ने औरत के दर्द  का बखान करते कहा :
इह दर्द औरत दा इह दर्द बहुत महीन है,
उल्लेख मेरी जिंदगी दा सिदक ते तसकीन है।
चण्डीगढ़ निवासी परमजीत परम ने फुकरे व्यक्तियों पर व्यंग्य करते हुए कहा :
साढे किरदार चों प्यार दी महक आवे,
गल्लां करीऐ ना फोकीआं यारीआं दी।
करनाल निवासी हरभजन सिंह कोमल ने शोहरत के भूखे लोगों पर व्यंग्य करते हुए कहा :
दिल तां सभ दा ही करदा है,
उच्चा लम्मा तुरला होवे।
मगर किसे दा सिर तां होवे जिस ते पग बन्हाई जावे- श्रोताओं ने खुब पसंद की।  इस अवसर पर हिन्दी साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ0 श्याम शखा श्याम हरियाणा ग्रन्थ अकादमी के निदेशक  डॉ0 मुकता व उप निदेशक  कमलेश भारती सहित कई  गण मान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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