आई एन वी सी न्यूज़
लखनऊ ,
भारत-सरकार की एक रैंक एक पेंशन की नीति सेवानिवृत्त भूतपूर्व-सैनिकों के बीच असंतोष का बहुत बड़ा कारण बनी हुई है जिसके विरुद्ध पेंशनयाफ्ता सैनिक लगातार संघर्षरत हैं, इसी क्रम में आज जिला सैनिक बोर्ड गोरखपुर के अध्यक्ष रिटायर्ड मेजर राम मोहन पाण्डेय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि-मंडल ए.ऍफ़.टी.बार एसोसिएशन, लखनऊ के जनरल सेक्रेटरी विजय कुमार पाण्डेय से मिला, प्रतिनिधि-मंडल में स्क्वाड्रन लीडर (रि.) डी.एच.प्रसाद, स्क्वाड्रन लीडर (रि.) एच.सी.दूबे, मेजर (रि.) राजेंद्र सिंह, मेजर (रि.) सत्य प्रकाश पाण्डेय एवं मेजर (रि.) बीरेंद्र सिंह तोमर शामिल थे जो क्रमशः गोरखपुर, गोंडा, अंबेडकर-नगर एवं फ़ैजाबाद जिला-सैनिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष हैं. प्रतिनिधि मण्डल ने महामंत्री से अपनी साथ हो रहे अन्याय को विस्तार से बताते हुए इस बात का लिखित आग्रह भी किया कि ए.ऍफ़.टी.बार उनकी आवाज को उठाये और उनका हक दिलाए.
बार के जनरल-सेक्रेटरी विजय कुमार पाण्डेय ने मीडिया के सामने स्वीकार किया कि उत्तर-प्रदेश के विभिन्न जिलों के सैनिक-कल्याण बोर्डों का एक प्रतिनिधि-मंडल आज मेरे आवास पर आकर मिला जो केंद्र-सरकार की एक पेंशन-नीति के विरुद्ध काफी समय से संघर्षरत था जब उसको हमारी बार के विषय में जानकारी हुई तो लखनऊ आकर मुझसे मिला, उसकी मांग है कि सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों के कारण शार्ट सर्विस और आस्मिक कमीशन में 14 साल नौकरी करने वाले को, 22 वर्ष रेगुलर सर्विस करने वाले से करीब तीन हजार रूपये अधिक पेंशन मिल रही है और 32, 35 और 40 वर्ष बतौर कमीशंड अधिकारी सेवा करने वाले को केवल 22 वर्ष की नौकरी के बराबर पेंशन मिल रही है, जो कि अन्यायपूर्ण है.
विजय पाण्डेय ने बताया की प्रतिनिधि-मण्डल इस बात से भी नाराज था ले. कर्नल और मेजर के बीच पेंशन का अंतर करीब तीस हजार है जो अन्य सभी पदों में एक हजार से पांच हजार के बीच है, उनका कहना था कि ऐसी निति को हम कैसे स्वीकार कर लें जो प्रथम-दृष्टया अन्यायपूर्ण और भेदभाव उत्पन्न करने वाली है, महामंत्री ने मीडिया के पूंछने पर आश्वस्त किया कि बार इस मुद्दे को रक्षा-मंत्रालय, भारत-सरकार, सचिव, भारत सरकार के समक्ष मजबूती से रखेगी और इन पीड़ित सैनिकों के साथ रहेगी उन्होंने कहा कि देवरिया, महाराजगंज, संतकबीर नगर और आजमगढ़ के अध्यक्ष फोन पर सम्पक बनाये हुए हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पूर्व जनरल सेक्रेटरी डी.एस.तिवारी ने कहा कि भारत-सरकार को विषय की गम्भीरता के प्रति स्वतः संज्ञान लेकर कदम उठाना चाहिए था लेकिन वह मांग करने पर भी विचार करने को तैयार नहीं है जो चिंताजनक है, पूर्व कोषाध्यक्ष आर. चन्द्रा ने सरकार की नीतियों को मनमाना कदम बताया और संयुक्त-सचिव पंकज कुमार शुक्ला ने सनिकों के हितों की उपेक्षा को दुर्भाग्य पूर्ण बताया और मांग की कि, सरकार अपनी नीतियों में परिवर्तन लाए जिससे असंतोष कम हो सके.