वर्ष 2012 : उत्तर प्रदेश में नई सरकार का गठन
महिलाओं की सहायता हेतु प्रदेश में पहली बार शुरु हुई 1090 महिला हेल्पलाइन
वर्ष 2012 उत्तर प्रदेश के लिए व्यवस्था परिवर्तन का साल रहा जब 15 मार्च, 2012 को प्रदेश की नई सरकार ने मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में कार्य शुरु किया। अपराध नियंत्रण के लिए पहली बार तकनीकी का बड़े पैमाने पर प्रयोग शुरु किया गया है। वीडियो कांफ्रेसिंग का उपयोग कर जिले के अधिकारियों से निरन्तर सम्पर्क रखकर उनका मार्गदर्शन किया जा रहा है। सरकार का प्रयास है कि गुण्डे जिले के बाहर हो तथा अपराधी जेल के भीतर। पुलिसबल का मनोबल ऊॅचा रखने के लिए जहॉ हर सम्भव प्रयास हो रहे है, वहीं जनता से बदसलूकी एवं गैर कानूनी कामों में लिप्त पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही भी शुरु की गयी है।
छात्राओं, कामकाजी लड़कियों और महिलाओं को आये दिन आने वाले अश्लील एसएमएस, एमएमएस और फेक काल्स से हो रहे एक नये तरह से मानसिक उत्पीड़न से राहत दिलाने हेतु प्रदेश में पहली बार वूमेन पावर लाइन 1090 की ऐतिहासिक शुरुआत की गयी। वीमेन पावर लाइन पर अब तक मिली 61 हजार से अधिक शिकायतों में से 14 हजार से अधिक मामले छेड़छाड़ व आपत्तिजनक संवादों से संबंधित रहे, जिसमें से 10 हजार से अधिक शिकायतों को पंजीकृत किया गया, तथा 8 हजार से अधिक शिकायतों का शिकायतकर्ता की अपेक्षाओं के अनुरुप पूर्णतयाः समाधान कर लिया गया है। सरकार के इस कदम से महिलाओं में एक नये आत्मविश्वास का संचार हुआ है। चारो ओर इसकी केवल सराहना ही नही रही है अपितु कई राज्य इस सफल मॉडल को अपनाने के लिए इस सेवा से जुड़े अधिकारियो के संपर्क मे भी है।
महिला उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों के प्रति प्रदेश सरकार विशेष रुप से संवेदनशील है तथा ऐसे मामलों में तत्परता से कार्यवाही हो रही है। यहां तक कि नाबालिग लड़कियों से बलात्कार जैसे अपराधों को अति संवेदनशील मानते हुए ऐसे प्रकरणों में रासुका जैसी सख्त कार्यवाही भी की गयी है। मुरादाबाद, सहारनपुर, कानपुर नगर, कानपुर देहात, प्रतापगढ़ एवं फर्रुखाबाद में ऐसे 8 प्रकरणों में रासुका के अन्तर्गत भी कार्यवाही की गयी है, जिनमें से एक प्रकरण कों माननीय उच्च न्यायालय के एडवाइजरी बोर्ड द्वारा अब तक कन्फर्म भी किया जा चुका है। ऐसे प्रकरणांे में अपराधियों को सजा दिलाने के लिए प्रभावी अभियोजन की कार्यवाही भी की गई है। बरेली जिले के थाना भूता क्षेत्र में 10 वर्ष की एक बालिका के साथ हुयी बलात्कार व हत्या की घटना में प्रभावी पैरवी कर अभियुक्त को फॉसी की सजा दिलाने में भी सफलता मिली है। गैंग रेप के मुकदमों की सरकार द्वारा मानीटरिंग शुरु की गयी है तथा प्रदेश भर में ऐसे केसों की सूची तैयार करायी जा रही है। ऐसे मुकदमों का ट्रायल प्राथमिकता के आधार पर कराये जाने की रणनीति पर अमल शुरु कर दिया गया है।
प्रदेश की अपराध स्थिति को नियंत्रण करने एवं कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु प्रदेश में पुलिस महानिरीक्षक जोन की पुरानी व्यवस्था पुनः लागू करने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय से जोन में जोनल आई0जी0, परिक्षेत्र में रेंज डीआईजी तथा जिलों में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक के पदों की पुरानी व्यवस्था को बहाल किया गया।
प्रदेश में औद्योगिक निवेश के लिए सकारात्मक वातावरण सुनिश्चित करने हेतु गुण्डा टैक्स, रंगदारी या उद्योगों एवं व्यापारी क्षेत्रों में अवैध वसूली की शिकायतें प्रकाश में आने पर संबंधित जिले के जिला मजिस्ट्रेट व जिला पुलिस प्रभारी को उत्तरदायी बनाया गया है। जनसमस्याओं व शिकायतों का स्थानीय स्तर पर ही निस्तारण किये जाने हेतु सभी विभागों में सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपने कार्यालय पर मंगलवार तथा रविवार को छोड़कर शेष कार्यदिवसों में पूर्वान्ह 10 से 12 बजे तक अनिवार्य रुप से उपस्थित रहकर जनता की समस्याओं व शिकायतों को सुनकर उनका निस्तारण करनें के निर्देश दिये गये है।
गृह एवं पुलिस विभाग के आधुनिकीकरण की दिशा में कई कदम उठाये गये है। गृह विभाग के नियंत्रण कक्ष को और अधिक प्रभावी एवं चुस्त-दुरुस्त बनाये जाने हेतु उसका आधुनिकीकरण किया गया है। कारागारों एवं न्यायालयों के मध्य में वीडियो कांफ्रेसिंग की व्यवस्था, आपदा प्रबन्ध हेतु अग्निशमन सेवाओं के सुदृढ़ीकरण की दिशा में भी नई पहल की गयी है। पुलिस की कार्यपद्धति में सुधार के दिशा में भी कदम उठाये गये है। भीड़ नियंत्रण के लिए गैर घातक हथियारों (नॉन लीथल वीपेन्स) की व्यवस्था किये जाने पर विशेष बल दिया गया है।
वर्तमान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदेश की आम जनता को एक सुरक्षित परिवेश प्रदान करना, साम्प्रदायिक सौहार्द कायम रखना, संगठित एवं पेशेवर अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित कर अपराधों पर पूर्ण नियंत्रण रखना है जिससे प्रदेश में विकास का बेहतर माहौल तैयार हो। सबके प्रति न्याय करने तथा लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए प्रदेश सरकार कृत संकल्प है। अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण भी वर्तमान सरकार की प्रतिबद्धता है।
वर्तमान सरकार की अपराध नियंत्रण की नीति घटित घटनाओं का सही पंजीकरण, पंजीकृत अपराधों की समयबद्ध गुणात्मक विवेचना तथा न्यायालयों में वादों की प्रभावी पैरवी किया जाना है। प्रमुख सचिव गृह एवं पुलिस महानिदेशक द्वारा मण्डलीय समीक्षा के दौरान अपराध एवं कानून व्यवस्था के अलावा इसकी भी विशेष रूप से समीक्षा की जा रही है। अपर महानिदेशक कारागार, अपर महानिदेशक अभिसूचना तथा अपर महानिदेशक अभियोजन भी बैठको में अपने विभागीय कार्यो की समीक्षा करते है।
पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली को और अधिक चुस्त-दुरुस्त व प्रभावी बनाये जाने हेतु प्रयास शुरू किये गये है। पुलिसकर्मियों की अपने निवास स्थान से दूर तैनाती के कारण उनके जीवन में आ रही व्यावहारिक कठिनाईयों को मानवीय दृष्टिकोण से परखते हुए प्रदेश सरकार ने नई पहल करते हुए निर्णय लिया कि आरक्षी एवं मुख्य आरक्षी का स्थानान्तरण उनके गृह जनपद के पड़ोसी जिलों में किये जाने पर लगी पाबंदी नही रहेगी। इस निर्णय को लाखों पुलिसकर्मियों के बीच अल्प समय में लागू करना एक अत्यत कठिन व चुनौतीपूर्ण कार्य था जिसके लिए पहली बार पुलिस विभाग में तकनीकी का प्रयोग करते हुए कम्प्यूटर आधारित स्थानान्तरण माड्यूल साफ्टवेयर ;ब्ठज्डद्ध का सहारा लिया गया। इसके फलस्वरुप विभिन्न जोन व रेंज को छोडकर पुलिस महानिदेशक मुख्यालय द्वारा प्रदेश पुलिस के इतिहास में पहली बार एक साथ 3 चरणों में कुल साढ़े 33 हजार से अधिक पुलिस कर्मियो को उनके गृह जनपद के आस-पास तैनाती कर प्रदेश सरकार ने पुलिसकर्मियों को बडे पैमाने पर राहत देकर नई कार्यसंस्कृति विकसित करने की अभिनव पहल की है। बड़े पैमाने पर एक साथ किये गये तबादलो की विशेषता यह रही कि किसी भी पुलिस कर्मी को न तो पुलिस महानिदेशक कार्यालय के चक्कर लगाने पड़े और न ही किसी को सिफारिश के लिए इधर-उधर भागना पड़ा।
पुलिस विभाग में लम्बे समय से रुकी हुई पदोन्नतियों की प्रक्रिया को सभी स्तर पर बृहद रुप से शुरु किया गया। प्रान्तीय पुलिस सेवा सवर्ग में कार्यरत 61 अधिकारियों को भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नति की कार्यवाही संघ लोक सेवा आयोग में विभागीय चयन समिति की बैठक कराकर सम्पन्न की गयी। इससे लम्बे समय से प्रोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे 61 पी0पी0एस अधिकारी आई0पी0एस0 बन गये।
प्रान्तीय पुलिस सेवा संवर्ग में कार्यरत अधिकारियों की कोटिक्रम सूची को अद्यावधिक एवं संशोधित किया गया है। साथ ही अपर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उपाधीक्षक के विभिन्न श्रेणियों में कार्यरत अधिकारियों को प्रोन्नति वेतनमान मंजूर किया गया है।
प्रान्तीय पुलिस सेवा संवर्ग के 18 अधिकारियों को अपर पुलिस अधीक्षक विभिन्न वेतनमानों में, 6 पुलिस उपाधीक्षक से अपर पुलिस अधीक्षक, 6 पुलिस उपाधीक्षक से पुलिस उपाधीक्षक ज्येष्ठ वेतनमान, 122 निरीक्षक/प्रतिसार निरीक्षक/दल नायक पद से पुलिस उपाधीक्षक पद पर प्रोन्नतियां प्रदान की गयी है।
प्रदेश के पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा विभिन्न पदों पर 3741 अराजपत्रित पुलिस कर्मियो को विभागीय प्रोन्नति प्रदान की गई। इसके अर्न्तगत 3240 मुख्य आरक्षियों एवं आरक्षियो को विभागीय परीक्षा के माध्यम से उपनिरीक्षक ना0पु0 रैकर पद पर प्रोन्नति प्रदान कर प्रशिक्षण पर भेजा गया है। इसके अलावा ज्येष्ठता के आधार पर 49 लीडिंग फायरमैन/फायर सर्विस चालकों को अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के पद पर, 11 कर्मियों को अग्निशमन अधिकारी के पद पर, 207 कर्मियों को लीडिंग फायरमैन के पद पर, 234 आरक्षी सशस्त्र पुलिस को मुख्य आरक्षी के पद पर प्रोन्नतियां प्रदान की गयी है।
उपनिरीक्षक से निरीक्षक के पद पर 50 प्रतिशत चयन वरिष्ठता व 50 प्रतिशत परीक्षा के आधार पर किये जाने हेतु उ0प्र0 उपनिरीक्षक एवं निरीक्षक सेवा नियमावली 2008 में आवश्यक संशोधन हेतु शासन द्वारा विचार किया जा रहा है। मुख्य आरक्षी तथा उपनिरीक्षक पद के लिए विभागीय परीक्षा के अन्तर्गत 10 किमी0 की अर्हता को कम किये जाने के संबंध में आरक्षी एवं मुख्य आरक्षी नियमावली 2008 में संशोधन विचाराधीन है।
अग्निशमन विभाग में उपनिदेशक तकनीकी के 3 रिक्त पदों पर पदोन्नतियां प्रदान की जा चुकी है। प्रोन्नति सवंर्ग के 9 रिक्त मुख्य अग्निशमन अधिकारी के पदों पर लोक सेवा आयोग के माध्यम से कार्यवाही की जा रही है।
ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी से संयुक्त निदेशक अभियोजन के 25 पदों, अभियोजन अधिकारी से ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी के 140 रिक्त पदों तथा अभियोजन अधिकारी के 378 पदों पर कुल 543 राजपत्रित अधिकारियों को पदोन्नतियां प्रदान की गयी। सहायक अभियोजन अधिकारी एवं अभियोजन अधिकारी के पद पर 441 अभियोजकों को ए.सी.पी. का लाभ अनुमन्य कराया गया तथा 805 राजपत्रित अधिकारियों की अन्तिम ज्येष्ठता निर्धारित की गयी।
शासन द्वारा पुलिस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की विशेष जोखिम भरे कार्य के दौरान अदम्य साहस एवं वीरता प्रदर्शित करते समय मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुग्रह राशि में संशोधन किया गया है।
पुलिस बल को और सुदृढ़ तथा गतिशील बनाने के उद्देश्य से आय-व्ययक में गत वर्ष के बजट प्राविधान रू0 8205.00 करोड़ से बढ़ाकर वर्तमान वित्तीय वर्ष में रूपये 10378.00 करोड़ किया गया हैै। पुलिस आधुनिकीकरण योजना के अन्तर्गत पी0ए0सी0 के लिए 6457 बुलेट पू्रफ जैकेट 1925 बुलेट प्रूफ पटका तथा 150 वीडियो कैमरा क्रय किये गये है। कुम्भ मेला हेतु पी0ए0सी0 के लिए 58 टेंट भी क्रय किये गये है। अच्छे गोताखोरों की कुम्भ मेले के दौरान उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पी0ए0सी0 के इतिहास में पहली बार 10 तैराकों को गोताखोरी का विशेष प्रशिक्षण ‘‘डीप वाटर डाइविंग’’ ैमं मगचसवतमत पदेजपजनजम ज्ञवसांजं से कराया गया है। इसके अलावा 20 अन्य तैराकों को भी प्रशिक्षित कराने के निर्देश दिये है।
नगर निकाय चुनाव 2012 चुस्त-दुरूस्त पुलिस व्यवस्था के फलस्वरूप सकुशल, शान्तिपूर्वक, निष्पक्ष व हिंसा रहित सम्पन्न हुए। नगर निकाय चुनाव में विगत चुनाव की अपेक्षा बहुत ही कम मतदान केन्द्रों पर पुर्नमतदान हुआ। अक्टूबर मास में जनपद गौतमबुद्वनगर में आयोजित इण्डियन ग्राण्ड प्रिंक्स फार्मूला-वन-रेस सुदृढ़ पुलिस व्यवस्था के कारण सकुशल सम्पन्न हुए। साथ ही सभी प्रमुख मेले, उत्सव एवं त्योहार शांतिपूर्वक सम्पन्न हुए।
इलाहाबाद में आयोजित कुम्भ मेले के दौरान सुदृढ़ पुलिस व्यवस्था हेतु प्रदेश सरकार द्वारा उल्लेखनीय प्रयास किये गये है। गृह विभाग द्वारा इस सिलसिले मे 25 करोड़ रुपये की धनराशि का बजट प्राविधान किया। कुम्भ मेला क्षेत्र में सुदृढ़ पुलिस की व्यवस्था के लिए सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में एक कोतवाली और 29 रिपोर्टिंग पुलिस चौकी के सृजन का निर्णय लिया गया है। कुक/कहार के चतुर्थ श्रेणी के 538 अतिरिक्त पदों का सृजन कर संविदा के आधार पर भरे जाने का निर्णय लिया गया है।
कुम्भ मेले में आवागमन की सुगमता हेतु ’’एकीकृत कंट्रोल रुम’’ (कम्पोजित कन्ट्रोल रुम) की स्थापना तथा मेले पर निगरानी रखने हेतु वाच टावर भी बनाये जा रहे है। कुम्भ मेला स्थल तक पहुंचने के लिए विभिन्न मार्गो पर ’’वेरियेबिल यातायात संकेतक’’ भी लगाये जा रहे है ताकि तीर्थयात्रियों को मेलास्थल तक पहुंचने में किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। दूसरे स्थानों से आने वाले पुलिसकर्मियों व सुरक्षा बलों के ठहरने आदि की समुचित व्यवस्था हेतु पुलिस लाइन इलाहाबाद में 4 मंजिला बैरक के निर्माण को मंजूरी प्रदान की गयी है। कुम्भ मेले में स्नान करने वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधा हेतु जल पुलिस की समुचित व्यवस्था की गयी है। विभिन्न प्रकार के मोटर बोट की व्यवस्था तथा फ्लोटिंग प्लेटफार्म भी उपलब्ध होगा। आकस्मिक परिस्थितियो से निपटने हेतु जीवन रक्षक जैकेट आदि की भी समुचित व्यवस्था रहेगी।
प्रदेश में घटित होने वाले जघन्य अपराधों में पुलिस द्वारा तत्परतापूर्ण कार्यवाही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जघन्य अपराध मानीटरिंग सिस्टम (भ्मपदवने ब्तपउम डवदपजवतपदह ैलेजमउ) नामक एक साफ्टवेयर तैयार कर लागू किया गया है। इसके अन्तर्गत विशेष अपराध की श्रेणी में आने वाले जघन्य अपराधों का ब्यौरा तथा उसमें हुई विवेचना की प्रगति का ब्यौरा भी जिला पुलिस के अधिकारियों द्वारा कम्प्यूटर पर दर्ज किया जा रहा है। किसी भी थाने में हुये जघन्य अपराध की घटना एवं उसमे हुई पुलिस की कार्यवाही की ऑन लाइन समीक्षा जिले, रेंज, जोन व पुलिस महानिदेशक के मुख्यालय के अधिकारियों द्वारा तत्परता से करने मे इस नई व्यवस्था से मदद मिली है। इन अपराधों में प्रभावी कार्यवाही हेतु स्थानीय पुलिस को वरिष्ठ अधिकारियों का मार्गदर्शन मिलने से इस कार्य में अभूतपूर्व तेजी आयी है जिसका असर अपराध नियत्रंण पर पड़ना शुरु हो गया है।
व्यक्तिगत सुरक्षा हेतु दिये गये शस्त्रों के दुरुपयोग को शासन द्वारा अत्यंत गम्भीरता से लेते हुए लाइसेंसी असलहों को व्यक्तिगत सुरक्षा के अलावा शादी-विवाह, विजयी जुलुसो, सार्वजनिक प्रदर्शनों आदि में खुशी जाहिर करने के दौरान प्रदर्शित करने एवं फायरिंग करने की प्रवृत्ति पर कड़ाई से रोक लगाने के निर्देश दिये गये है। साथ ही ऐसे मामलो में आयोजकों के विरुद्ध भी यथोचित विधिक कार्यवाही के भी निर्देश दिये गये है। जनपदों में जारी शस्त्र लाइसेंसो का कम्प्यूटरीकरण व डाटावेस एनआईसी के सहयोग से तैयार किया जा रहा है तथा उक्त कार्य के अन्तर्गत 11.5 लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंसो का विवरण अपलोड किया जा चुका है।
पुलिस कार्यवाही अथवा मुठभेड़ के प्रकरणों में होने वाली जांच में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये जिनमें कहा गया कि जांच के दौरान संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा पुलिस कार्यवाही के बारे में केवल पुलिस द्वारा बताई गयी स्थितियों के अनुरुप ही जंाच के बजाय आवश्यक पुष्टिकारक साक्ष्यों को भी अवश्य संज्ञान में लिया जाय। यह भी निर्दश दिये गये है कि शिकायतकर्ता जो कि पीडित पक्ष का कोई निकटस्थ परिजन भी हो सकता है, से मौखिक अथवा लिखित साक्ष्य लेने का प्रयास किया जाय ताकि उस साक्ष्य के प्रति परीक्षण से जांच के सही निष्कर्ष सामने आ सके।
अपराधों में हो रही विवेचना को प्रभावी बनाये जाने हेतु वैज्ञानिक विधियों के उपयोग पर वर्तमान सरकार द्वारा विशेष बल दिया जा रहा है। इसके अन्तर्गत लैंगिक उत्पीड़न, शिशु हत्या व अन्य मामलों में प्रयुक्त किये जाने वाले निर्धारित चिकित्सा विधिक परीक्षण प्रोफार्मा, घटनास्थल निरीक्षण फार्म, डीएनए सैम्पुल कलेक्शन फार्म के प्रारुप को पुनरीक्षित कर इसे और अधिक व्यवहारिक बनाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए अभी तक जो प्रारुप प्रचलित था वह अत्यन्त पुराना था और उसमें फोरंेसिक साइंस के संबंध में जो नई तकनीक थी उसे उल्लखित करने का स्थान नही था। नये प्रारुप में घटनास्थल की फोटोग्राफ, स्क्रैच मय स्केल, वीडियोग्राफी आदि के संबंध में भी पूरी जानकारी देने का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु जैसे डीएनए सैम्पुल टेस्ट आदि के लिए भी पुराने फार्म में स्थान नही था।
इस कार्य के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला, लखनऊ के वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों द्वारा पोस्टमार्टम फार्म, मेडिको लीगल फार्म, इंजरी रिपोर्ट फार्म, घटनास्थल निरीक्षण फार्म एवं डी0एन0ए0 निरीक्षण फार्म का नया प्रारुप तैयार किया गया है। घटनास्थल प्रबन्धन एवं अपराध अन्वेषण नामक दो पुस्तके विधि विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों की मदद से तैयार कर पीटीसी मुरादाबाद के सहयोग से प्रकाशित करायी गयी है। इन पुस्तकों का क्षेत्राधिकारी स्तर पर प्रथम चरण में वितरण शुरु कर दिया गया है। साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस एवं गृह विभाग की बेवसाइड पर भी फार्म एवं तकनीकी जानकारी अपलोड कर दी गयी है, जो पुलिस के उच्चाधिकारियों, विवेचनाधिकारियों, चिकित्सकों, अभियोजन अधिकारियों आदि के लिए बहुत उपयोगी है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फोरेंसिक साइंस की नई तकनीकों को सम्मिलित करने के साथ ही प्रदेश के हर जिले में आधुनिकतम सुविधायुक्त पोस्टमार्टम हाउस बनाने का निर्णय लिया गया। जिन जिलो मे पोस्टमार्टम हाउस जर्जर हालत मे हैं वहां शीघ्र ही उनको दुरूस्त किया जायेगा तथा जहां अभी नही बने हैं वहां नये निर्मित कराये जायेंगे।
फिरौती के लिए अपहरण के 6 मामलों में एसटीएफ ने 24 अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जिनमें गेल के अपहृत इंजीनियर शान्ती स्वरुप तथा नोएडा से अपहृत इंजीनियर एस0एन0 सिंह की सकुशल रिहाई महत्वपूर्ण उपलब्धि रही। लखनऊ के अलीगंज थानाक्षेत्र से ढाई महीनों से लापता अमृताशुं त्रिपाठी को सकुशल बरामद किया गया। बाराबंकी से अपहृत वैभव गुप्ता के अपहरण की घटना का अनावरण कर 3 अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। गाजियाबाद से श्री पुनीत अग्रवाल के अपहरण की घटना का अनावरण कर 6 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया तथा अन्य सामान्य के अलावा फिरौती की रकम में से 5 लाख 40 हजार रुपये की भी बरामदगी की गयी है।
अपराध नियंत्रण के लिए पकड़ंे गये अपराधियों को उनके अपराध की सजा दिलाने पर वर्तमान सरकार द्वारा विशेष रुप से बल दिया जा रहा है। अपराधियों के मुकदमों की प्रभावी पैरवी एवं उसकी गहन समीक्षा की व्यवस्था लागू की गयी है। चिन्हित दुर्दान्त अपराधियों को सजा दिलाने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक तथा अपर पुलिस अधीक्षक को एक-एक एवं पुलिस क्षेत्राधिकारियों को 2-2 अपराधियों के मामले सौपे गये है ताकि वह इन चिन्हित अपराधियों के सभी मुकदमों की प्रभावी ढंग से पैरवी कर सके। ऐसे पूरे प्रदेश भर में 6577 बड़े अपराधियों के 9136 मुकदमें छाटे गयें है। उनकी प्रभावी पैरवी हेतु उठाये गये इन कदमों से अभी तक निर्णित वादों में 50 प्रतिशत से अधिक मुकदमों में अपराधियों को सजा दिलायी गयी है।
अभियोजन निदेशालय द्वारा चिन्हित किये गये कुख्यात अपराधियों के अभियोगों के शीघ्र निस्तारण हेतु प्रयास किये जा रहे है जिसकी समीक्षा नियमित रुप से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही है। अभियोजन विभाग नें प्रत्येक सोमवार को 22 जनपदों की वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से तथा माह के प्रथम सप्ताह के सोमवार को 72 जनपदों की वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से शीघ्र अभियोजन के लिए चिन्हित महत्वपूर्णवादों/साक्षीगणों की समीक्षा का सिलसिला शुरु किया है। साथ ही अन्य जनपदों के परिक्षेत्रवार संबंधित अभियोजन विभाग के अपर निदेशकों एवं संयुक्त निदेशकों द्वारा संबंधित जनपदों की वीडियांे कांफ्रेसिंग द्वारा समीक्षा की जा रही है।
अभियोजन विभाग के अधिकारियों के कार्यो में गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु प्रत्येक माह अभियोजन संवर्ग के अधिकारियों को विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों यथा डा0 भीमराव अ0पु0 अकादमी मुरादाबाद, डा0 राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय लखनऊ, न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंघान संस्थान लखनऊ, विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ एवं भारतीय प्रबंध संस्थान, लखनऊ में प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। अब तक लगभग 500 अभियोजकों को उक्त विभिन्न संस्थानों में प्रशिक्षण दिलाया जा चुका है।
यातायात प्रबंधन के सम्बन्ध में अधिकारियों को रूचि लेकर कार्य करने की निर्देश दिये गये है। साथ ही यातायात प्रबन्धन निधि से प्रदेश के विभिन्न जनपदों में स्पीड राडार विद बिल्ट इन कैमरा एण्ड वीडियो प्रिंटर, ब्रेेथ इनालईजर विद प्रिंटर, स्मोक मीटर, गैस एनालाइजर, लाउड हेलर, फ्लोरोसेंट सेफ्टी जैकेट, फ्लोरिसेंट सेफ्टी ग्लब्स, फ्लोरोसेंट सेफ्टी बेल्ट, मल्टी परपज सेफ्टी वार टार्च, डेलीनेटर, बोलार्ड/ट्रैफिक कोन, मोबाइल, वैरियर एवं फोल्डिंग मोबाइल पैरियर आदि यातायात उपकरण क्रय किये जाने के निर्देश दिये गये है। इन उपकरणों से यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।
प्रदेश के प्रमुख नगरों में सुदृढ़ यातायात व्यवस्था सुनिश्चित करने की दिशा में विशेष प्रयास शुरु किये गये है। प्रदेश के पॉच प्रमुख महानगरों कानपुर नगर, लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ में कम्प्यूटरीकृत यातायात संकेतकों की स्थापना कराये जाने का निर्णय लिया गया है। इसके प्रथम चरण में लखनऊ को पायलट प्रेाजेक्ट के रूप में लिया गया है। शहर के चिन्हित 70 चौराहों पर सी0सी0टी0वी0 कैमरा अधिस्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इलाहाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, आगरा व कानपुर में भी प्रमुख चौराहों पर सी0सी0टी0वी0 लगाये जायेगें। सड़क दुर्घटनाओं आदि की सूचना देने हेतु स्थापित टोल फ्री ट्रैफिक हेल्पलाइन 1073 को चालू करा कर मोबाइल सेवा से भी जोड़ा जा रहा है।
अग्निशमन विभाग को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाये गये है। इसके अन्तर्गत पहली बार वाहन एवं उपकरण खरीदनें की बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गयी है, ताकि किसी भी जिले में अग्निशमन कार्यो हेतु वाहनों एवं उपकरणों की कमी न रहे। इसके लिए लगभग 60 करोड़ रुपये की धनराशि दी गयी है। लखनऊ के गोमतीनगर में फायर स्टेशन के निर्माण हेतु 1 करोड़ 17 लाख रुपये से अधिक की धनराशि प्रदान की गयी है। 36 नये अग्निशमन केन्द्रांे को विभिन्न तहसीलों, कस्बों व स्थानोें पर चिन्हित किया गया है। जहॉ पर नये अग्निशमन केन्द्रों की स्थापना पर शासन द्वारा विचार किया जा रहा है। साइबर अपराध प्रदेश में साइबर अपराधों के अनावरण एवं संलिप्त अभियुक्तों के विरूद्ध कार्यवाही के लिए दो साइबर इकाईयों की स्थापना आगरा एवं लखनऊ में की गयी है।
पुलिस की कुछ प्रमुख उपलब्धियां : वर्ष 2012 में 16 मार्च से 15 दिसम्बर तक की अवधि में 10 हजार रुपये एवं उससे अधिक के कुल 120 अपराधी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये। इनमें दो लाख रुपये का ईनामी 1, एक-एक लाख रुपये के ईनामी 4, पचास-पचास हजार रुपये के ईनामी 6, पच्चीस हजार रुपये को ईनामी 2, बीस हजार रुपये का ईनामी 1, पन्द्रह हजार रुपये के ईनामी 25, बारह हजार रुपये के ईनामी 18 तथा दस हजार रुपये के 63 ईनामी अपराधी हैं।
गिरफ्तार किये गये अपराधियों में प्रमुख नाम है हार्डकोर नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा व लालवृत कोल, भूपेन्द्र सिंह, बदन सिंह उर्फ बद्दो, सुशील मूछ, अजीत उर्फ हरीशंकर, सुन्दर भाटी, सरवर उर्फ पहलवान उर्फ मुन्ने, फरमान उर्फ कल्लू, सतीश मिश्रा उर्फ करिया, नीटू उर्फ वेद प्रकाश, रामजीत यादव, विपिन बावरिया, महेन्द्र राजभर, पृथ्वी सिंह, पिद्दू उर्फ प्रदीप सिंह, महिमा चन्द्र, सोनू उर्फ सुरजीत, रम्मो, पप्पू, अम्बर उर्फ कालिया, विजय उर्फ कुन्नू, बृजकिशोर मांझी, फईम, बाबू कटियार, नूर अली, जगदीश पासी, हरपाल सिंह आदि।
वर्तमान सरकार के उक्त अवधि के कार्यकाल में मुठभेड़ के दौरान पुलिस द्वारा की गयी आत्मरक्षार्थ कार्यवाही में कुल 4 अपराधी मारे गये हैं। मारे गये अपराधियों में से अपराधी सुमित व धर्मेन्द्र उर्फ लाला पर 1-1 लाख रुपये, धीरज सिंह पर 15 हजार रुपये तथा मुकेश वर्मा उर्फ चिडिया पर 10 हजार रुपये का ईनाम था। इसके अलावा 1 लाख रुपये का ईनामी अपराधी जोनी जनपद मुजफ्फरनगर में जनता के द्वारा मारा गया तथा 50 हजार रुपये का ईनामी राम चन्द्र उर्फ सिपाही सतना (मध्य प्रदेश) में मृत पाया गया।
वर्ष 2012 में 16 मार्च से 30 नवम्बर अवधि में महत्वपूर्ण अपराधों के अर्न्तगत विगत वर्ष के सापेक्ष डकैती में 16.76, लूट में 10.3, हत्या में 2.4, बलवा 6.36, दहेज मृत्यु में 3.81 एवं बलात्कार में 13.05 प्रतिशत की कमी आई है। आलोच्य अवधि में विगत वर्ष के सापेक्ष महिला उत्पीड़न मे दहेज मृत्यु मे 3.81, शीलभंग में 8.95, छेड़खानी में 38.34 एवं बलात्कार के अपराधों में 13.05 एवं कुल महिला उत्पीडन के अपराधों में 0.84 प्रतिशत की कमी आई है। आलोच्य अवधि में विगत वर्ष के सापेक्ष अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीडन के अर्न्तगत हत्या में 23., आगजनी 4.76ए बलात्कार में 33.71 गम्भीर चोट में 15.64, अन्य हस्तक्षेपीय अप0 में 17.97 एवं कुल अनुसूचित जाति/जनजाति अ0नि0अधि0 के अपराधों में 18.87 प्रतिशत की कमी आयी है।
निरोधात्मक कार्यवाही के अर्न्तगत उक्त अवधि में गुण्डा अधि0 10230, गैंगस्टर अधि0 1462, एनएसए 136, शस्त्र अधि0 18944, जुआ अधि0 5190, एनडीपीएस अधि0 5073, आबकारी अधि0 22026, 109 दप्रसं 11379, 110 दप्रसं 50111, आ0ब0अधि0 1145 एवं अन्य अधि0 के अन्तर्गत 1029848 की कार्यवाही की गयी।
उक्त अवधि में फैक्ट्री निर्मित बन्दूक 114, पिस्टल 59, रिवाल्वर 64, रायफल 61, ए.के. 47/56 रायफल 1, एसएलआर 2, स्टेनगन/कार्वाइन 2, हैण्डग्रेनेड 25, बम 2, डेटोनेटर 40011, कारतूस 21253 तथा देशी निर्मित बन्दूक 148, पिस्टल 2770, रिवाल्वर 256, रायफल 134, बम 823, कारतूस 284 एवं शस्त्र फैक्ट्री 198 बरामद की गयी। उक्त अवधि में डकैती, लूट, गृह भेदन एवं चोरी गयी कुल 1,320,363,275 रूपये की सम्पत्ति में रू0 349,287,755 रूपये मूल्य की सम्पत्ति पुलिस द्वारा बरामद की गयी जो प्रतिशत 26.45 रहा है।
प्रदेश पुलिस, एसटीएफ, एटीएस द्वारा 49 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 50 लाख रूपये से अधिक की उच्च कोटि की भारतीय मुद्रा बरामद करने में सफलता प्राप्त की गयी है। 203 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से हेरोइन 12.38 किग्रा, मारफीन 2.505 किग्रा, चरस 145.8 किग्रा, अफीम 8.79 किग्रा, डोडा पोस्ता 5 किग्रा, नशीला पाउडर 6.51 किग्राबरामद करने में सफलता प्राप्त की गयी है। 582 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 1021 दो पहिया एवं 192 चार पहिया वाहन बरामद करने में सफलता प्राप्त की गयी है। 21 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से कुल 15 अष्ट धातु एवं अन्य धातुओं की मूर्तियां बरामद करने में सफलता प्राप्त की गयी है।
उक्त अवधि में एसटीएफ द्वारा 78 संगठित अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही की गयी। जिसके अन्तर्गत बिहार से अवैध शस्त्रों की तस्करी करने वाले अपराधियों को गिरफ्तार कर उनसे पिस्टल व मैगजीन आदि बरामद की गयी। गोरखपुर के प्रतिष्ठित डाक्टर आर0डी0 मखीजा को भयादोहन हेतु धमकी देने वाले 3 अभियुक्तों को एस0टी0एफ0 द्वारा गिरफ्तार किया गया।
जालसाजी एवं ठगी करने वाले अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए एसटीएफ ने कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में फर्जी परीक्षाओं को बिठाकर उत्तीण कराने वाले गिरोह के 14 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। इसी प्रकार ।प्म्म्म् की परीक्षा में वास्तविक अभ्यर्थियों के स्थान पर फर्जी अभ्यर्थियों को बिठाने वाले गिरोह के साल्वर सहित 4 अभ्यिुक्तों को गिरफ्तार किया गया। बीएसएफ में भर्ती कराने के नाम पर ठगी करने वाले अपराधियों के विरुद्ध भी कार्यवाही की गयी। इसके अलावा विभिन्न मोबाइल कम्पनियों के टावर, मकानों की छतों व प्लाटों पर लगाने के नाम पर ठगी करने वाले संगठित गिरोह के अनावरण कर 28 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया।
ए0टी0एस0 द्वारा सीतापुर पुलिस के सहयोग से एक पाकिस्तानी राष्ट्रिक मो0हनीफ उर्फ दानिश खान को रोडवेज बस स्टैंड सीतापुर से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की गई। अलीगढ़ पुलिस के संयुक्त अभियान में अभियुक्त रफीक उर्फ छोटे तथा कयूमुद्दीन को मसूदाबाद बस स्टैंड, थाना बन्नादेवी, अलीगढ़ से गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 1,99,500 रू0 मूल्य की जाली भारतीय मुद्रा के नोट बरामद किये गये। एटीएस, पूर्वी जोन वाराणसी की टींम द्वारा जनपदीय पुलिस वाराणसी के संयुक्त अभियान में अभि0 प्रभात कुमार अग्रवाल उर्फ मोंटी पुत्र अरूण कुमार अग्रवाल निवासी ग्राम बेलागंज, थाना बेलागंज, जनपद गया (बिहार) को समय 0700 बजे गिरफ्तार कर उसके कब्जे से दस लाख रूपए मूल्य की जाली भारतीय मुद्रा के नोट बरामद किये गये। ‘‘डी कम्पनी’’ के शार्प शूटर जहांगीर उर्फ हसीन सिद्दीकी उर्फ शाबू को उ0प्र0 एटीएस की मध्य जोन लखनऊ की टीम द्वारा चारबाग रेलवे स्टेशन क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया।
कारागार विभाग को चुस्त-दुरुस्त बनाने के प्रयास : कारागार विभाग को और अधिक सुदृढ़ व चुस्त-दुरुस्त बनाने के प्रयास किये गये है। बलरामपुर जिले में नवनिर्मित जिला कारागार को क्रियाशील किया गया है जिससे 420 बंदी क्षमता सृजित हुई है। निर्माणाधीन जिला कारागार कौशाम्बी, सोनभद्र तथा बागपत को शीध्र क्रियाशील कराया जायेगा, जिनमें कारागारों की वर्तमान क्षमता में कुल 1620 की वृद्वि होगी।
आजमगढ जिला कारागार के नये परिसर का निर्माण कराया जा रहा है। जिसके लिए 1688 लाख रुपये की धनराशि शासन द्वारा मंजूर की जा चुकी है। इसका निर्माण कार्य प्रगति पर है तथा कार्य पूर्ण होने पर 1224 बन्दी क्षमता सृजित होगी। कारागारों का समय-समय पर निरीक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि जेल में कैदियों को उपलब्ध करायी जा रही मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो तथा भोजन, पानी, चिकित्सा सुविधा ठीक हो तथा शौचालय आदि साफ सुथरे रहें। जेलों की आंतरिक संचार व्यवस्था सुदृढ़ रहे तथा कैदियों के रिमाण्ड हेतु यदि वीडियों कान्फ्रेन्सिंग की सुविधा उपलब्ध हो तो उसका भरपूर उपयोग किया जाय।
प्रदेश की सभी कारागारों तथा जनपद न्यायालयों को वीडियो-कान्फ्रेन्सिंग से संयोजित किये जाने की कार्ययोजना क्रियान्वित की जा रही है। सात कारागारों में यह इकाईयां स्थापित करायी जा चुकी है। 10 कारागारों में ब्राण्डबैण्ड के माध्यम से वीडियो-कान्फेन्सिंग का कार्य प्रारम्भ हुआ है। प्रदेश की सभी कारागारों में समुचित कम्प्यूटरीकरण की व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु यूपी डेस्को के माध्यम से प्रथम चरण में कारागार मुख्यालय तथा 6 कारागारों के लिये पाइलेट प्रोजेक्ट तैयार कराया गया है, जो शासन में विचाराधीन है।
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