समाज में बेटियों के कम होते अनुपात की समस्या का समाधान केवल कानून बनाने से नहीं होगा इसके लिये सोच में बदलाव लाना होगा – शिवराजसिंह चौहान

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आई.एन.वी.सी,,

भोपाल,,

मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि समाज में बेटियों के कम होते अनुपात की समस्या का समाधान केवल कानून बनाने से नहीं होगा इसके लिये सोच में बदलाव लाना होगा। इस कार्य की सफलता में चिकित्सक असरकारी कड़ी बने। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहां मुख्यमंत्री निवास पर प्रदेश के चिकित्सको के साथ संवाद कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। बेटी बचाओ अभियान के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न चिकित्सक संगठनों के करीब दो सौ पदाधिकारियों ने समाज में बेटी के महत्व के बारे में जागृति लाने और अवैधानिक लिंग परीक्षण नहीं करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि चिक्तिसकों का योगदान 2021 की जनगणना की तस्वीर बदल सकता है। देश और प्रदेश में चिकित्सक संगठनों के साथ इस तरह का यह पहला अनूठा कार्यक्रम था।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आगे कहा कि प्रदेश सरकार केवल बेटियों वाले परिवारों के लिये पेंशन देने की योजना पर विचार कर रही है। साथ ही मां-बाप को अपने पास रहने के लिये बुलाने का बेटियों को वैधानिक हक देने का भी विचार है। उन्होंने कहा कि ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में मध्य प्रदेश 10 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर हासिल करने जा रहा है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 34 हजार रूपये की उपलब्धि हासिल की है। परंतु यदि बेटियों को नहीं बचाया गया तो सब व्यर्थ हो जायेगा। बेटियां नहीं होंगी तो सृृष्टि भी नहीं रहेगी। यह हम सब की चिंता है। प्रदेश में बेटियों के लिये मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, लाड़ली लक्ष्मी जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संतुलन हमेशा बना रहता है, भेद भाव इंसान करता है। समाज में सोच बदलेगी तब ही यह समस्या समाप्त होगी। सामाजिक असंतुलन से कई तरह के तनाव और समस्याएं पैदा होती है। यह समस्या शहरों में, शिक्षितों में और अमीरों में ज्यादा है। हमारे यहां हजारो वर्षों से बेटियों को सम्मान देने की परंपरा रही है। चिकित्सक समाज में सोच बदलने और जागरूकता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

कार्यक्रम में राज्य सभा सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री प्रभात झा ने कहा कि संसद के आगामी सत्र में इस अभियान के संबंध में बात रखी जायेगी। बेटी बचाओ अभियान एक रचनात्मक और पुनीत कार्य है। इस अभियान के बारे में सभी जन प्रतिनिधियों को जागरूक किया जाना चाहिये। मध्यप्रदेश में सामाजिक क्षेत्र में कई अनूठी योजनाएं शुरू की गई है।

कार्यक्रम में विभिन्न चिकित्सक संगठनों के पदाधिकारियों ने बेटी बचाओ अभियान में सकारात्मक सहयोग देने की बात कही। रेडियोलाजिकल एसोशिएशन आफ इंडिया के डॉ. शैलेश लूणावत ने कहा कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने बेटियो को बचाने का मिशन शुरू किया है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के डॉ. पी.आर.देव ने कहा कि हर जिले में एक समिति ‘‘डाक्टर्स अगेन्स्ट सेक्स सिलेक्शन’’ के नाम से बनायी गयी है। फाग्सी की प्रतिनिधि डॉ. रत्नाकोल ने बताया कि संस्था द्वारा भ्रूण परीक्षण करने वाले चिकित्सको का वहिष्कार किया जाता है। मध्यप्रदेश मेडिकल आफीसर्स एसोशिएशन के डॉ. ललित श्रीवास्तव ने कहा कि यह एक सामाजिक चेतना का विषय है और सति प्रथा की तरह इसका अंत किया जाना चाहिये। इंडियन पीडियाट्रिक्स एसोशिएशन के डॉ. राकेश मिश्रा ने कहा कि अभिभावक बेटियों से पक्षपात नहीं करें इस बारे में जागरूकता लायी जायेगी। नर्सिंग होम एसोशिएशन के डॉ. साकेत सराफ ने कहा कि समाज में संतुलन बनाये रखना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। प्रायवेट प्रेक्टिशनर एसोशिएशन के डॉ. अश्विनी स्याल ने कहा कि उनके संगठन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जन अभियान रेली निकाली जायेगी। आर्थोडिस्क एण्ड गायकोनायलाजिस्ट एसोशिएशन की डॉ. अंजली कन्हारे ने कहा कि उनका संगठन अभियान में पूरा सहयोग देगा। भारतीय जनता पार्टी चिकित्सा प्रकोष्ठ के डॉ. चांदोरकर ने कहा कि प्रत्येक फिजिशियन अपने प्रेसक्रिप्शन पर ‘‘बेटी है तो कल है’’ मुद्रित कराया जायेगा। नेशनल मेडिको आर्गेनाइजेशन के डॉ. आर.के.चौरसिया ने कहा है कि मेडिकल छात्रों को भी इस बारे में जागृत किया जायेगा। पैथालाजिस्ट एण्ड माइको बायलाजिस्ट डॉ. रीनी मलिक ने कहा है कि लक्ष्मी की तरह बेटियो का भी स्वागत होना चाहिये। आरंभ में जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. अजय मेहता ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में डाक्टरों के लिये तैयार की गयी सेल्फ लर्निंग किट का विमोचन किया गया। कार्यक्रम स्थल पर बेटियों पर केंद्रित चित्र और कविता प्रदर्शनी अनिल गोयल द्वारा लगायी गयी थी।

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