शुभेन्दु शेखर की कविता : कुछ अपनी बात करें
“कुछ अपनी बात करें”
आओ कुछ अपनी बात करें
टूटे सपने, झूठे रिश्ते पर
बैठ ज़रा परिहास करें
आओ कुछ अपनी बात करें।।
कितने सागर थे बह निकले,
अपनीं आँखों के पानी से
कितने दरिया थे पार किये,
कुछ उम्मीदों की कश्ती पे
ख़्वाबों की भग्न इमारत पर
आओ अब हम उल्लास करें।
आओ कुछ अपनी बात करें।।
जीना ही होगा जीवन ये
अपना हो या फिर अपनों का
सजने को अब ना बचा कुछ भी
बस राख शेष है सपनों का
आओ इसके ही काजल से
हम-तुम अपना ऋृंगार करें।
आओ कुछ अपनी बात करें।।
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शुभेन्दु शेखर
रांची , झारखंड .कोई भी साहित्यकार – सृजनकार अपने मन्तव्य को पाठकों तक पहुँचाने के लिए साहित्य की विविध विधाओं को चुनता है। कविता, कहानी, नाटक, निबन्ध, उपन्यास आदि के रूप में वह अपने भाव एवं विचार को संप्रेषित करता है। लेकिन रचनाकार चाहे जिस विधा को चुने अपने कथ्य को संप्रेषित करने के लिए वह अपनी अलग शैली चुनता है। भाषा तो केवल उपादान है शैली एक अलग पहचान है। ऐसे ही श्री शुभेन्दु शेखर जी की एक अपनी ही विशिष्ट – शैली है , भाव-पूर्ण और छायावाद का पुट लिए इनका लेखन ठंडी – हवा सा सुखद अहसास है l
शानदार जितनी तारीफ़ की जाए कम हैं
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कुछ अपनी बात करें….बहुत बढिया कविता ,वाह दिल खुश हो गया पढ़ कर