”पिछले कुछ दिनोँ में घटी कुछ घटनाओँ ने आज ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर हमारा समाज किस ओर जा रहा है? महिलाओँ के साथ अभद्र और शर्मनाक व्यवहार सदियोँ से होता चला आ रहा है।लेकिन अपनी अभद्रता और मानसिक बिमारी को महिलाओँ के खिलाफ बोलकर छिपाना और महिलाओँ में ही ग़लतियाँ निकालने का हाल फिलहाल जो चलन चल पड़ा है वो यक़िनन नया है।जिस तरह के बयान और टिप्पणीयाँ इन दिनोँ महिलाओँ के विरूद्ध बोली जा रही हैं उसे सुनकर लगता है कि जैसे पुरूष और स्त्री के समान प्रयासोँ से बने इस समाज में नारी सिर्फ आलोचना और छद्म सहानुभूति की वस्तु ही बन कर रह गई है।



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*सोनाली बोस
लेखिका सोनाली बोस वरिष्ठ पत्रकार है , ” अंतराष्ट्रीय समाचार एवं विचार निगम ” में उप सम्पादक पद पर कार्यरत है ।