शिक्षक सम्मान समारोह संपन्न – देश भर से आये 65 शिक्षकों को मिला शिक्षा श्री और शिक्षा रत्न अवार्ड – दूरदराज़ के गावों से आये शिक्षकों को नहीं था यकींन

Dr.mudgal devतुषार अहमद सैफी ,
आई एन वी सी ,
दिल्ली ,
आज दिल्ली में शिक्षक दिवस पर  देश भर से  आये 65 शिक्षकों को उनके शिक्षा के क्षेत्र में दियें गएँ योगदान के लियें इंडियन सोसाइटी ऑफ़ लॉ ,वी के कृष्णन मेनन भवन में आयोजित कार्यकर्म  में   न्यायमूर्ति पी एन भगवती ( पूर्व मुख्य न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय ) की अधय्क्षाता में बनी कमेटी द्वारा फाइनल किये गये सभी शिक्षकों को शिक्षा रत्न और शिक्षा श्री अवार्ड से जी वी जी कृष्ण मूर्ती ( पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त भारत सरकार ) ब्रिगेडियर बी पी एस लाम्बा ,डॉ महर्षि मुदगल देव ( कुलपिता महर्षि ग्रामोदय विश्वविधयापीठम –  मध्य प्रदेश एवं चेयरपर्सन एन आई सी एस आर – जापान ) डॉ कृष्ण वीर चौधरी अध्यक्ष भारतीय कृषक समाज ,नायारण सिंह केसरी पूर्व  राज्य सभा सांसद ने नवाज़ा !
आज इस अवार्ड समारोह का सबसे बड़ा आकर्षण था दूरदराज़ के गावों से आयें वोह शिक्षक थे जिनको  अवार्ड मिलने के बाद भी इस बात का यकींन नहीं हो रहा था  की उन्हें भी कोई सम्मानित कर सकता है ,इतने बड़े समारोह में उन्हें भी कोई शिक्षक रत्न और शिक्षक श्री सम्मान से सम्मानित कर सकता है , जब आई एन वी सी ने एसे ही कुछ लोगों से बात  उन्होंने बता की वोह देश के ऐसी  जगह शिक्षा का अलक जगा रहें है जहा उन्हें खुद स्कूल पहुचने के लियें चार चार- पांच पांच किलो मीटर तक पैदल या साइकिल से सफर करना पड़ता है , गौरतलब है की न्यायमूर्ति पी एन भगवती ( पूर्व मुख्य न्यायधीश सर्वोच्च न्यायालय ) की अध्यक्षटा वाली कमेटी ने सभी सिफारशी लोगों के सभी नामांकन रद्द  कर दिए थे और साथ में इस बात पर ज़्यादा जोर दिया  की देश के दूरदराज़ के इलाके में चल रहे एसे सभी शिक्षकों को भी सम्मानित किया जाए जो अवार्ड तो क्या शिक्षा विकास की मुख्य धारा से भी दूर है  ! कल शाम तक फिर आज सुबह तक लगभग सौ शिक्षकों को सम्मानित करने की खबर थी पर जब आई एन वी सी ने इस बाबत जब  डॉ महर्षि मुदगल देव से बात की तो उन्होंने बताया की हाँ सच में 35 एसे और लोगों को कमिटी ने बहार का रास्ता दिखा दिया जिनके लियें किसी भी सम्मान का कोई मूल्य नहीं है !

राष्ट्रीय समता स्वतंत्रता मंच के राष्टीय संयोजक महावीर प्रसाद टोरडी ने कार्यकर्म की सफलता पर ख़ुशी ज़ाहिर की साथ ही उन्होंने बताया की एसा कोई कार्यकर्म आज तक आयोजित नहीं हुया जिसमे पूरे देश में  दूर दराज़ के गावों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी उनके योगदान के बदले सम्मान के लियें बुलाया गया हो या फिर याद किया गया हो ,भारत गावों का देश है अगर गावों में शिक्षा का स्तर सुधर जाता है तो देश की व्यवस्ता सुधर जायेगी इसिलियं इस बार शिक्षक दिवस पर एसे शिक्षको के योगदान को सबसे पहले महत्तव दिया गया !

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