राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है हत्यारों को प्रोत्साहन

– तनवीर जाफरी –

राम राज्य के खोखले दावों के बीच देश में लगभग चारों ओर गुंडाराज का चलन बढ़ता जा रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस समय देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे नरेंद्र मोदी तथा देश के सबसे बड़े प्रांत उत्तर प्रदेश के सत्ता प्रमुख योगी आदित्यनाथ दोनों ही व्यक्ति स्वयं को फकीर व संत कहलवाने से खूब गदगद् होते हैं। प्राय: इन नेताओं से कुछ विशेष पत्रकार इनकी फकीरी व इनके संत स्वभाव के बारे में भी बातें करते देखे जाते हैं। बड़ा अजीब सा लगता है जब यही स्वयंभू संत सांप्रदायिक भीड़ द्वारा की जाने वाली किसी हत्या पर खामोश हो जाते हैं। प्रसिद्ध शायर खुमार बाराबंकवी ने फरमाया है कि-‘अरे ओ जफाओं पे चुप रहने वालो। ख़ामोशी जफाओं की ताईद भी है।। गोया यदि ज़ल्म-ो-सितम,अत्याचार के विरुद्ध आप अपनी आवाज़ बुलंद नहीं करते तो गोया आप उस अत्याचार व अन्याय का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि शायर ने यह विचार आम लोगों के लिए व्यक्त किए हैं जबकि सत्ता के जि़म्मेदारों पर तो यह बात और भी ज़ोरदार तरीके से लागू होती है। हत्यारी भीड़ द्वारा लोगों की हत्याओं का सिलसिला अब यहां तक आ पहुंच चुका है कि नरेंद्र मोदी के शासनकाल में चार वर्षों में अब तक लगभग 136 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें भीड़ द्वारा किसी निहत्थे, बेगुनाह अथवा किसी बुज़ुर्ग व्यक्ति की हत्या कर दी गई हो । बावजूद इसके कि इस प्रकार के हमले अधिकांशत: मुस्लिम समाज के लोगों पर किए गए हैं। परंतु हत्यारों की इस भीड़ ने हिंदू-समाज के लोगों को भी नहीं बख्शा है।

इसका ताज़ा-तरीन उदाहरण पिछले दिनों बुलंद शहर में दंगाई भीड़ द्वारा एक दबंग व ईमानदार पुलिस निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह की गोली मार कर हत्या किया जाना है। दंगाई सांप्रदायिक भीड़ के बुलंद हौसलों का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इसी भीड़ ने न केवल इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या की बल्कि उनकी जीप को भी आग के हवाले कर दिया। यहां तक कि उस पुलिस चौकी को भी आग लगा दी जहां हिंसक भीड़ प्रदर्शन कर रही थी। इस घटना से जुड़े कुछ पहलू ऐसे हैं जो हत्यारों के प्रति सत्ता के रुख का साफ पता देते हैं। जैसे घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के परिजनों से मिलने व उन्हें सांत्वना देने हेतु उनके घर जाने के बजाए शहीद की विधवा व परिवार को लखनऊ बुलाया गया और उनकी सभी मांगों को स्वीकार करने व सांत्वना धनराशि आदि घोषित करने का ‘पुनीत कायर्’ किया गया। घटना के बाद सरकार द्वारा जारी बयान में हत्यारों को पकडऩे या उन्हें सख्त सज़ा देने जैसा कोई संदेश देने के बजाए कथित गौ हत्या के संबंध में सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए गए। और इस आदेश पर अमल करते हुए पुलिस ने अपने अधिकारी के हत्यारों को तलाशने के बजाए गौहत्या के आरोपियों की धरपकड़ तेज़ कर दी। यहां तक कि चौकस पुलिस द्वारा गौहत्या के आरोप में 12 वर्ष के दो बच्चों को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

इसी तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि इतनी बड़ी घटना के बाद बुलंद शहर के पुलिस अधीक्षक सहित तीन पुलिस अधिकारियों को बुलंद शहर से स्थानांरित कर दिया गया। एसएसपी के स्थानांतरण के बाद बुलंदशहर के भाजपा विधायक देवंद्र लोधी अपने समर्थकों के साथ विजय जुलूस के रूप में शहर में घूमते व जश्र मनाते दिखाई दिए। इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के हत्या के मात्र एक सप्ताह के भीतर ही अपने गले में फूलों व नोटों की माला डाले एक-दूसरे को मिठाईयां खाते-खिलाते स्थानीय भाजपा विधायक देवेंद्र लोधी अपने इस भौंडे प्रदर्शन से आिखर क्या संदेश देना चाह रहे थे? गौर करने की बात है कि जिस शहर में एक जि़म्मेदार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी व एक अन्य नवयुवक की हत्या हुई हो वहां का सत्ताधारी दल का विधायक आिखर किस बात का जश्र मनाता फिर रहा है? दूसरी ओर यही विधायक अपने एक टीवी साक्षात्कार में यह कहने का साहस भी नहीं जुटा पाता कि इंस्पेक्टर के हत्यारों को गिरफ्तार कर उन्हें सख्त सज़ा दी जानी चाहिए जबकि आरोपी हत्यारे का नाम प्राथमिकी में दर्ज हो चुका है।

दरअसल सामूहिक रूप से भीड़ द्वारा सुनियोजित तरीके से हत्या किए जाने के चलन को सत्ता द्वारा खुले तौर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है तथा इसे सत्ता का संरक्षण हासिल है। अन्यथा जयंत सिन्हा जैसा केंद्रीय मंत्री जिसने हॉवर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए की शिक्षा ग्रहण की हो उस जैसे शिक्षित व्यक्ति द्वारा झारखंड में हत्यारी भीड़ के उन आठ सरगना हत्यारों का उनके गले में माला डाल स्वागत न किया जाता जिन्होंने भीड़ के साथ शामिल होकर 55 वर्षीय अलीमुदीन अंसारी की झारखंड के रामगढ़ कस्बे में  हत्या कर दी थी।  इसी प्रकार दादरी में मोहम्मद अखलाक के हत्यारों को केंद्रीय मंत्री द्वारा सम्मानित किया गया तथा इनमें से पंद्रह हत्यारों को एक भाजपा विधायक की सिफारिश पर कथित रूप से संविदा पर नौकरी भी दी गई। इसी प्रकार राजस्थान के राजसमंद में या रकबर खाऩ अथवा उमर ख़्ाान या पहलू खान आदि जैसे अनेक लोगों के हत्यारों के पक्ष में भीड़ तंत्र का खड़ा हो जाना और हत्यारों को सत्ता के संरक्षण में बेखौफ होकर उनकी मदद करना व उनके समर्थन में नारे लगाना यहां तक कि ज़रूरत पडऩे पर प्रशासन व न्यायपालिका से टकराने का भी साहस दिखाना यह सब निश्चित रूप से एक सोची-समझी हुई दूरगामी साजि़श का ही नतीजा है।

हत्यारों को महिमामंडित करने का इससे बड़ा दुर्भाग्यशाली प्रदर्शन आिखर और क्या हो सकता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम कि रामनवमी पर निकाली जाने वाली पावन शोभा यात्रा में जोधपुर में इसी वर्ष एक ऐसी झांकी निकाली गई थी जिसपर एक व्यक्ति को राजसमंद के हत्यारे शंभू रैगर की वेषभूषा में शाही कुर्सी पर बिठाकर उसका महिमामंडन किया जा रहा था। यह झांकी बेरोक-टोक प्रशासन की नाक के नीचे पूरे शहर में घूमी और जनता द्वारा इसका जय-जयकार किया गया। अब भले ही यह आयोजन किसी विशेष विचारधारा के कुछ लोगों द्वारा क्यों न किया गया हो परंतु आम जनता ने राजस्थान में भीड़तंत्र द्वारा किए जाने वाले इस प्रकार के घृणित अपराधों को किस रूप में लिया है इसका जवाब निश्चित रूप से राजस्थान की जनता ने अपने मतों के द्वारा स्पष्ट कर दिया है। हत्यारों के महिमामंडन का सबसे भयानक रूप उस समय भी देखने को मिला था जब कठुआ में एक आठ वर्षीय बालिका के बलात्कारियों व हत्यारों के समर्थन में भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं की एक भीड़ सडक़ों पर उतर आई। इस भीड़ में भाजपा के मंत्रीगण भी शामिल थे।

दरअसल अपराध अथवा अपराधियों को धर्म व संप्रदाय के चश्मे से देखना सबसे  खतरनाक है। परंतु आज धर्म के नाम पर अपराधियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बेरोज़गार व गुमराह नवयुवक धर्मांधता का शिकार बन सत्ता के चक्रव्यूह में उलझकर अपना जीवन व भविष्य बरबाद कर रहे हैं। दूसरी ओर देश की राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं हमारे सामाजिक सद्भाव को बिगाडऩे की कोशिश में लगे चंद नेता स्वयं को सबसे बड़ा धर्मरक्षक व राष्ट्ररक्षक बता कर गरीब जनता के पैसों पर ऐश करने का षड्यंत्र रच रहे हैं। और इसी खेल की आड़ में देश के चंद गिने-चुने उद्योगपति घरानों की जेबें बेतहाशा भरी जा रही हैं। राष्ट्र व जनता से जुड़े वास्तविक मुद्दे नक्क़ारख़ाने में तूती की आवाज़ की तरह गायब होते जा रहे हैं। ऐसे में हमें अपनी आंखें खोलने तथा अपने व राष्ट्र के अस्तित्व को सुरक्षित रखने हेतु यथाशीघ्र कदम उठाने की ज़रूरत है।

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 About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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Email – tjafri1@gmail.com –  Mob.- 098962-19228 & 094668-09228 , Address – Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar,  Ambala City(Haryana)  Pin. 134003

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