राजस्थान कला, साहित्य और संस्कृति का केन्द्र

आई एन वी सी न्यूज़
जयपुर,
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की राजधानी जयपुर में आगामी वर्ष में राजस्थानी लिटरेचर फेस्टिवल का वृहद स्तर पर आयोजन किया जाएगा। कला, साहित्य और संस्कृति मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने गुरूवार को शासन सचिवालय में राज्य के वर्ष 2019-20 के बजट में की गई घोषणा के तहत इस लिटरेचर फेस्टिवल को आयोजित करने के सम्बंध में बैठक ली।

बैठक में डॉ. कल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की मंशा है कि राजस्थान में आयोजित होने वाले इस लिटरेचर फेस्टिवल को ‘साहित्य के कुम्भ‘ के रूप में पहचान मिले। आने वाले वर्षों में यह नियमित गतिविधि बने और प्रतिवर्ष देश और विदेश में साहित्यिक जगत के लोग ऎसे आयोजन का बेसब्री से इंतजार करे।

कला, साहित्य और संस्कृति मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का प्रदेश में कला, साहित्य और संस्कृति की गतिविधियों को बढ़ावा देने पर पूरी तरह फोकस है। उन्होंने कहा कि राजस्थान कला, साहित्य और संस्कृति का केन्द्र है, यहां कला, साहित्य और संगीत के साथ-साथ अलग-अलग भाषाओं की अकादमियां है। इतनी संख्या में एकेड्मीज कहीं नहीं है। प्रदेश की साहित्यकारों, लेखकों, कवियों और विद्वानों के केन्द्र के रूप में भी अपनी अलग पहचान है। इन सभी को एक मंच प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार ने इस आयोजन का निर्णय लिया है।

डॉ. कल्ला ने बैठक में उपस्थित कला, साहित्य और संस्कृति जगत के प्रतिनिधियों से इस आयोजन की विस्तृत रूपरेखा तैयार करने के सम्बंध में चर्चा की और उनसे आगामी दिनों में अपने सुझाव कला, साहित्य और संस्कृति विभाग को भिजवाने का आग्रह किया। इसके आधार पर इस फेस्टिवल की कार्य योजना तैयार की जाएगी।

बैठक में कला, संस्कृति और पुरातत्व विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा ने बताया कि राज्य के वर्ष 2019-20 के बजट में राजस्थान के साहित्यकारों, कवियों, लेखकों, चिंतकों, कला विदाें आदि को एक मंच उपलब्ध कराने के लिए जयपुर में राजस्थानी लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजन की घोषणा की गई है। इसके लिए एक स्थायी आयोजन समिति के गठन और वर्ष 2019-2020 में 2 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने का प्रावधान किया गया है।

बैठक में उपस्थित कला, साहित्य और संस्कृति जगत के प्रतिनिधियों ने इस लिटरेचर फेस्टिवल के तहत राजस्थानी भाषा, महिला लेखन, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में बापू पर राजस्थान के लोगों के लेखन, संवाद, परिचर्चा और इंटरव्यूज पर आधारित सेशंस, पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित करने, सभी भाषाओं के प्रबुद्ध लेखकों को आमंत्रित करने और इसमें कवि सम्मेलन एवं मुशायरा आदि भी आयोजित करने के सम्बंध में अपने सुझाव दिए।
 
बैठक में कला, सािहत्य एवं संस्कृति विभाग, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, पर्यटन विभाग, शिक्षा एवं उच्च शिक्षा विभाग, अलग-अलग एकेड्मीज के प्रतिनिधि राजस्थानी एवं हित्दी भाषा के वरिष्ठ लेखक, कवि व साहित्यकार तथा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी मौजूद थे।



 

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