आई.एन.वी.सी,,
हरयाणा,,
हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने आज हरियाणा भवन नई दिल्ली में -हैरिटेज ऑफ हरियाणा- नाम की पुस्तक का विमोचन किया। यशपाल गुलिया द्वारा लिखी यह पुस्तक हरियाणा प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों के रंगीन चित्रों से सुसज्जित है। हुड्डा ने श्री यशपाल गुलिया के प्रयास की सराहना की और कहा कि यह एक मुश्किल काम है, लेकिन श्री गुलिया ने यह काम कर दिखाया है। यह केवल पुरानी विरासत की जानकारी की पुस्तक नहीं है, बल्कि इससे हरियाणा के इतिहास और संस्कृति की भी जानकारी मिलती है। हरियाणा का इतिहास बहुत वृहद है, जहां महाभारत का युद्ध हुआ और गीता के उपदेश हुये। पानीपत की तीन लड़ाईयों ने देश के इतिहास को नई दिशा दी। अभी भी कई स्थान ऐसे हैं, जहा खुदाई करने पर प्रचीन स यता के अवशेष मिल रहे हैं। हुड्डा ने कहा कि इस पुस्तक की एक-एक प्रति सभी जिला कलैक्टरों को भेजी जाएगी, ताकि उन्हें अपने इलाके के पुरात्व महत्व के स्मारकों की पूरी जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि सरकार प्रचीन स्मारकों के रखरखाव पर पूरा ध्यान दे रही है। इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है। इस अवसर पर करनाल के सांसद अरविंद शर्मा ने भी श्री यशपाल गुलिया के प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे पर्यटन को बढ़ावा देने मे मदद मिलेगी और युवा पीढ़ी को प्रदेश की विरासत की जानकारी मिलेगी। इस मौके पर रूरल हैरिटेज आर्गनाईजेशन के एस. के. मिश्रा ने भी अपने विचार व्यक्त किये और राखी गढी तथा राखी कलां गांव में हुई खुदाई का जिक्र किया । उन्होंने कहा कि यह वह स्थान है, जहां से सरस्वती नदी गुजरती थी। ऐसे स्थलों का पर्यटन स्थलों के रूप में विकास किया जा सकता है। अंग्रेजी में लिखी इस पुस्तक में ऐतिहासिक किलों, शाही महलों, पुरातात्त्विक महत्व के मकबरों और प्राचीन बावडिय़ों का वर्णन है और उनके अवशेषों के चित्र हैं। रंगीन चित्रों से युक्त अंग्रेजी भाषा मे हरियाणा प्रदेश के बारे में लिखी यह अपनी तरह की पहली पुस्तक है। पुस्तक में हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों- फरीदाबाद, मेवात, गुडग़ांव, झज्जर, नारनौल, रेवाड़ी, हांसी -हिसार, रानिया-सिरसा, रोहतक,सोनीपत-पानीपत, जीन्द, कुरूक्षेत्र, करनाल और अ बाला में उपलब्ध स्मारकोंं और प्राचीन इमारतों और पुरातत्व अवशेषों से स बन्धित जानकारी को अलग-अलग अध्यायों में संकलित किया गया है। इनके अलावा एक विविध अध्याय में भूले बिसरे किलों, मीनारों, मस्जिदों और खुदाई स्थलों का भी उल्लेख है। पुस्तक के लेखक गुलिया ने बताया कि प्रदेश में ऐसे मकबरे अभी भी मौजूद हैं, जिनकी खबसूरती दिल्ली स्थित मकबरों से कम नहीं है। देखरेख की उचित व्यवस्था के अ ााव में कई ऐतिहासिक किले जैसे बादशाहपुर का किला, कोटला का किला, लोहारू, महेन्द्रगढ़, बावल व जफरगढ़ का किला खण्डहरोंं में परिवर्तित हो रहे हैं। यदि रखरखाव की ठीक व्यवस्था कर दी जाये, तो इन्हें बचाया जा सकता है। यशपाल गुलिया हरियाणा पी.डब्ल्यू.डी. में एस.डी.ओ. के पद पर कार्यरत हैं। इतिहास के बारे में यह उनकी तीसरी पुस्तक है। इससे पहले, श्री गुलिया की हिन्दी भाषा में पुस्तक बावन बादशाह प्रकाशित हो चुकी है। इस पुस्तक में उन्होंने 1192 से 1857 तक की अवधि के दौरान भारत पर शासन करने वाले बावन राजाओं के जीवन-वृत संकलित हैं। श्री गुलिया की दूसरी पुस्तक हरियाणा का रियासती इतिहास प्रकाशित हुई थी, जिसमें उन्होंने हरियाणा क्षेत्र की रियासतों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी संकलित की है।