“तुझ पर सब कुछ अर्पण”
पल प्रति पल हो साथ मेरे
कोमल सपनों को थाम खड़े
तुम प्राण मेरे, अभिमान मेरे
पूजन वन्दन का ध्यान मेरे !!
आँचल मेरा ख़ुशियाँ तेरी
झुमका तेरा नथिया तेरी
सर्वस्व मेरे, अस्तित्व मेरे
तेरी इच्छा भवितव्य मेरे !!
तुझ पर मेरा सब कुछ अर्पण
मैं काया तुम मेरे दर्पण
आधार मेरे, आभार तेरे
तुम ही हो श्रृंगार मेरे !!!
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श्रीमती मौशमी शेखरहिन्दी – साहित्य की पद्य –विधा की एक उभरती हुई हस्ताक्षर हैं
की एक उभरती हुई हस्ताक्षर हैं l राँची (झारखंड) की इस मूर्धन्य सृजनकारा की लेखनी से जैसी रचनाएं निकल कर आ रही हैं वो आने वाले समय में अवश्य ही ‘अनमोल’ की श्रेणी में होंगी ।
मौशमी जी की सबसे बड़ी विशेषता इनका सरल लेकिन भाव-पूर्ण सृजन है । सामान्य हिन्दी जानने वाला कोई भी इनकी रचनाओं को आसानी से समझ सकता है। प्रेम-रस का जैसा पुट इनकी रचनाओं में देखने-पढ़ने को मिलता है उससे ‘मीरा बाई’ की रचनाएँ पढ़ने सा अहसास होता है !
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Wah wah wah, behad bhav poorn ati sunder rachna Moushami ji. Such me aapke har sunder shabd se sachche prem ki sukhad khushboo ka ehsas hota hai. Lajabaab. Behtareen rachna priy bahan. Safalta ki har seedhiya aapka swagat karne ka intjaar kar rahi hain. Shubh kamnayein.
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