भारी शोरशराबे और हंगामे के बीच ‘आप’ नहीँ पेश कर पाई ‘जनलोकपाल बिल’

images (32)आई एन वी सी,

दिल्ली,

शुक्रवार सुबह से दिल्ली विधानसभा मेँ जारी घमासान और हंगामे के बीच मेँ आखिरकार दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश नहीं कर सकी। स्पीकर की इजाज़त से मुख्यमंत्री ने बिल पटल पर तो रखा लेकिन बिल स्वीकार किया जाए या नहीं इसपर हुई वोटिंग में बीजेपी, कांग्रेस और दो अन्य विधायकों ने इसका विरोध किया। आम आदमी पार्टी के 27 विधायक बिल के समर्थन में खड़े हुए लेकिन चूंकि बहुमत इसे पेश करने के खिलाफ था इसलिए जनलोकपाल बिल अंततः विधानसभा में पेश नहीं हो पाया।

ग़ौर तलब है कि दिल्ली विधानसभा में पहले भारी विरोध और फिर बाद में वोटिंग के बाद जनलोकपाल बिल पेश नहीं किया जा सका। आप सरकार ने जनलोकपाल बिल को विधानसभा की मंज़ूरी के बिना ही पेश करने की कोशिश की थी। बिल पेश होने के खिलाफ 42 विधायकों ने मत दिया, जिससे यह प्रक्रिया मुश्किल हो गई। आप के विधायकों ने बिल को पेश करने का समर्थन किया था।

दरअसल आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही, बीजेपी और कांग्रेस के सदस्यों ने मांग की कि जनलोकपाल बिल को लेकर उपराज्यपाल ने जो पत्र स्पीकर को लिखा है उस पत्र को सदन में पढ़कर सुनाया जाए। दोनों पार्टियों ने इस मांग को लेकर सदन की कार्यवाही ठप कर दी। इसपर स्पीकर ने सदन की बैठक 20 मिनट के लिए स्थगित कर दी।

20 मिनट बाद जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो स्पीकर ने विपक्ष की मांग को लेकर उपराज्यपाल की चिट्ठी पढ़कर सदन में सुनाई। इसपर विपक्षी सदस्यों ने राज्यपाल के पत्र पर वोटिंग की मांग कर दी क्योंकि राज्यपाल के पत्र में लिखा था कि इस बिल पर विचार न किया जाए क्योंकि इसके लिए नियमों का पालन नहीं किया गया है।

दूसरी ओर सरकार का सदन में कहना था कि उपराज्यपाल के पत्र पर चर्चा कराई जाए और फिर वोटिंग हो। अंत में स्पीकर ने एलजी के पत्र को दरकिनार कर सरकार को जनलोकपाल बिल रखने की इजाज़त दे दी। जिसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सदन में बिल रखा। लेकिन सदस्यों ने बहुमत से बिल को पेश करने के खिलाफ वोट दिया जिससे बिल सदन में पेश नहीं माना गया।

दूसरी तरफ कांग्रेस और बीजेपी ने विधानसभा में कहा कि बिल को संवैधानिक तरीके से पेश नहीं किया गया है। दोनों दलों ने कहा कि आप सरकार बिल पेश करने का जो तरीका अपना रही है, वह गैरवाजिब है। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने बिल को विधानसभा में पेश करने की अनुमति दे दी। कांग्रेस ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि बिल पेश करने के लिए पहले वोटिंग जरूरी है और आप सरकार वोटिंग से बच रही है, क्योंकि उस प्रक्रिया में उसकी हार तय है।

भाजपा के नेता डॉक्टर हर्षवर्धन ने भी कहा कि बगैर लेफ्टिनेंट गवर्नर के आदेश के बिल पेश करना कानून का उल्लंघन है। इससे पहले विधानसभा में उपराज्यपाल नजीब जंग की चिट्ठी को सभी सदस्यों के सामने पढ़ने की मांग को लेकर जमकर हंगामा हुआ। यह मांग स्पीकर के सामने सबसे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. हर्षवर्धन ने उठाई। उप राज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को सलाह दी कि वह आम आदमी पार्टी सरकार को जनलोकपाल विधेयक विधानसभा में पेश करने की अनुमति न दें।

उधर , आप सरकार का कहना था कि वह इस मुद्दे पर पुनर्विचार नहीं करेगी। उपराज्यपाल नजीब जंग ने कहा कि सदन में पेश करने के लिए विधेयक को आवश्यक मंज़ूरी नहीं मिल पाई है। विधानसभा अध्यक्ष एमएस धीर को लिखे पत्र में उप राज्यपाल ने कहा कि आप सरकार ने विधेयक सदन में पेश करने के लिए मंजूरी हासिल करने की खातिर आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है। पत्र में उन्होंने धीर से कहा है कि सदन का संरक्षक होने के नाते उन्हें इस मुद्दे से निपटते समय इन पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए। शीर्ष सूत्रों ने बताया कि जंग के पत्र का सार यह है कि विधानसभा अध्यक्ष को विधेयक सदन में पेश करने की अनुमति नहीं देना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष को उप राज्यपाल द्वारा पत्र भेजे जाने के तत्काल बाद आप सरकार के सूत्रों ने बताया कि वे विधेयक सदन में पेश करने के फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेंगे।

धीर को लिखे पत्र में जंग ने संकेत दिया है कि उनकी मंज़ूरी के बिना विधेयक सदन में पेश करना असंवैधानिक है। केजरीवाल कहते रहे हैं कि विधेयक को सदन में पेश करने के लिए केंद्र या उपराज्यपाल से पूर्व अनुमति लेने की जरूरी नहीं है जबकि भाजपा और कांग्रेस की राय है कि ट्रांज़ेक्शन ऑफ बिज़नेस रूल्स (टीबीआर), 2002 के तहत यह अनुमति ज़रूरी है।

कानून मंत्रालय का कहना है कि टीबीआर के तहत यह जरूरी है कि उप राज्यपाल ऐसे प्रत्येक विधायी प्रस्ताव को केंद्र के पास भेजें जिसमें अतिरिक्त वित्त सहायता की जरूरत पड़ सकती है। कल से शुरू हुआ चार दिन का विधानसभा सत्र जनलोकपाल और स्वराज विधेयकों को पारित करने के लिए आयोजित किया गया है।

लेकिन जिस तरह से आज सदन मेँ जनलोकलपाल बिल पेश नहीँ हो पाया है उसके बाद अब ये सवाल उठने लगा है क्या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने पद से इस्तीफा देंगे? वैसे आज सुबह से ही यह कयासबाज़ी चल रही है कि अगर यह बिल पेश नहीं किया जा सका तो क्या मुख्यमंत्री इस्तीफा दे देंगे? ख़ैर अब इस सवाल का जवाब दिन के अंत तक मिल जाने की पूरी संभावना नज़र आ रही है।

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