प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस का जवाब देते हुए अपने चिरपरिचित अंदाज़ में कहा कि भारत की पहचान ‘स्कैम्ड इंडिया’ के रूप में बन गई है, उसे बदल कर ‘स्किल्ड इंडिया’ करना है। उन्होंने महिलाओं को सम्मान की गारंटी दिलाने की बात करते हुए नेताओं से प्रार्थना की कि रेप का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करना बंद करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तकरीबन एक घंटे के इस भाषण में महिला सुरक्षा, स्किल डिवलेपमेंट, राज्यों से संबंध, रोजगार समेत अपनी सरकार के ‘रोडमैप’ के हर बिंदु को छुआ, लेकिन उनका जोर ‘गांव और गरीब’ पर रहा।
नरेंद्र मोदी जब जवाब देने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने सबसे पहले कहा कि अगर कोई गलती हो जाए तो नया जान कर क्षमा कर दीजिएगा। इसके बाद मोदी ने बहस के दौरान उठाए गए मुद्दों का जवाब दिया। मोदी ने अपने भाषण का समापन भी क्षमा के साथ ही किया और कहा कि यदि सदन के किसी नियम-कायदे के पार जाकर कुछ बोला हो तो मैं इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं।
सदन में पहली बार बोलते हुए मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत ‘मैं लोकसभा में नया हूं और अगर कोई गलती हो जाए तो माफी चाहता हूं’ के साथ की। मोदी ने इसके बाद हाशिए के लोगों को मुख्य धारा में लाने पर जोर देते हुए कहा कि गरीबी मिटाना और गांवों का विकास करना सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि गरीब के बेटे आंसू पीकर सो जाएं, यह हालत बदलनी चाहिए। मोदी ने साथ ही विपक्षी दलों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि उनकी सरकार ज्यादा संख्या बल के घमंड में नहीं है और उनकी सरकार को विपक्ष के बिना आगे नहीं बढ़ना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि अगर हम गरीबों के लिए सरकार नहीं चलाते हैं तो देश की जनता हमें कभी माफ नहीं करेगी। उन्होंने कहा, ‘क्या सरकार सिर्फ पढ़े-लिखे लोगों के लिए हो, क्या सरकार सिर्फ गिने-चुने लोगों के लिए हो, सरकार गरीबों के लिए होनी चाहिए। अमीर का बच्चा बड़े स्कूलों में पढ़ सकता है, उसे इलाज मिल सकता है, लेकिन गरीब कहां जाएगा? गरीबों को गरीबी से बाहर लाने के लिए उसे शिक्षित करना होगा।’