भारत और पाकिस्तान समस्या पर राजनीति कब तक – अनिवार्य है तो युद्ध क्यों नहीं ?

10402573_869098013118914_4994361060865131039_n{ एस एन सिंह }
पाकिस्तान की निरकुंश सेना द्वारा लगातार युद्ध विराम का उल्लंघन कर देश के अंदर घुसपैठ और नशे की खेप पहुंचाने का खेल बिना आक्रामक हुए नहीं रोका जा सकता। इसके लिए सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे, ये कदम कारगिल युद्ध जैसा भी हो तो गुरेज नहीं करना चाहिए। कारगिल युद्ध में 527 सेना के जवान शहीद हुए थे, जबकि उसके बाद के दिनों में युद्ध विराम के दिनों में हजारों की संख्या में जवानों और देशवासियों को अपनी जान देनी पड़ी है।

ऐसी स्थिति में क्या यह आवश्यक नहीं कि आक्रामक रुख अख्तियार करते पाकिस्तान की निरंकु श सेना और कट्टरपंथियों के गठबंधन को सख्ती से दमन किया जाए? हमारे राजनीतिक नेतृत्व ने इस मसले पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जिसकी वजह से यह समस्या लगातार गहराती चली गई। यदि हम बीते दशक का इतिहास देखें तो हमारे देश की सरकार में प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं में कूटनीतिक कमजोरी भी मुख्य कारण है। इंदिरा गांधी और नरसिम्हा राव के बाद इस समस्या ने ज्यादा गंभीर रुप ले लिया और नतीजा सामने है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 19 बार सीजा फायर का उल्लंघन होना, पाकिस्तान द्वारा दबाब बनाने की राजनीति के साथ-साथ कथित हिन्दूवादी सरकार से भयभीत न होने का प्रोपोगंडा भी है। जब भी यह बात उठती है कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए, तब बुद्धिजीवियों की एक जामत विरोध में सामने आ जाती है।

नेता कहते हैं कि यह सही दिशा नहीं है या अभी इसका वक्त नहीं आया। बार-बार एक ही घटनाक्रम और इसी तरह की एक सी बयानबाजी से एक बड़ा सवाल उभरता है कि आखिर इस समस्या का समाधान क्या है समाधान यह नहीं है ऐसी आवाजें बड़ी जोर से सुनाई देती है पर समाधन है क्या इस पर गहरी चुप्पी छाई हुई है। कहीं ऐसा तो नहीं कि पाकिस्तान के साथ युद्ध एक फैसलाकुन लड़ाई ही इस समस्या का इकलौता समाधान हो? यदि युद्ध, अनिवार्य ही है तो फिर उसे टालते जाना बेवकूफी है। इस पर भी विचार होना चाहिये। सीज फायर रोकने या देश को ज्यादा शक्तिशाली बनाने एवं युवाओं में देश के प्रति भावना जगाने का सबसे शानदार तरीका सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया जाए। जैसा कि इजराइल जैसे छोटे देश में है सरकार को यह ऐतिहासिक फैसला लेना चाहिए, इस देश में जन्म लेने वाला हर स्वस्थ्य युवा, जब सीमा पर सैन्य प्रशिक्षण लेगा तो उसको देश की आजादी की कीमत का मान होगा और वह एक आम आदमी से ऊपर उठकर सोचेगा।

आज फैन्स क्लब, मोदी सेना, शिवसेना, फेस बुक ग्रुप बन रहे हैं यदि इन युवाओं की ऊर्जा को भारत सेना के रूप में तब्दील किया जाए तो चार चांद लग जाएगा और ये चार चांद सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य करने से लगेगा। एक बात मुझे हमेशा एक तरफ कचोटती है और दूसरी तरफ गौरान्वित भी करती है, वो ये है कि सीमा पर मरने के लिए मेरा भाई और देश के अंदर मलाई खाने के लिए रिजर्व कोटा क्यों भाई अब कोटा क्यों। देश की सुरक्षा एवं सम्मान राजनैतिक बयानबाजियों एवं सरकारों के कार्यकाल और टीका टिप्पणी में नहीं सिमटनी चाहिए।

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* एस एन सिंह
वरिष्ट पत्रकार हैं , दैनिक भास्कर ,दैनिक जागरण समूह में कई वरिष्ट पदों पर रहकर पत्रकारिता धर्म का पालन किया हैं !
अभी  राज एक्सप्रेस ग्रुप में भोपाल समाचार संपादक !

*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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2 COMMENTS

  1. शानदार ,लेख ,पढ़ने के बाद लगा की किसी इस विषय पर सोचना ही पडेगा !

  2. इतने सारे सवाल खड़े कर दियें हैं ,जिनके जबाब कौन सा नेता देगा ?

  3. इतने सारे सवाल खड़े कर दियें हैं ,जिनके जबाब कौन सा नेता देगा ?

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