भाजपा को कांग्रेस संगठन से नहीं विचारधारा से परेशानी

– तनवीर जाफरी –

नई दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पिछले दिनों संपन्न हुई। पेट्रोल-डीज़ल में होती जा रही ऐतिहासिक वृद्धि तथा इसके विरुद्ध 10 सितंबर को कांग्रेस के नेतृत्व में कई विपक्षी दलों द्वारा संयुक्त रूप से बुलाए गए भारत बंद के मध्य हुए इस कार्यकारिणी के सम्मेलन में एक बार फिर पार्टी ने 2019 के चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी का संकल्प लिया। यह उम्मीद जताई गई कि भाजपा 2019 के चुनाव ‘सरकार की सुगंध और नेतृत्व के करिश्मे’ के बल पर जीतेगी। मज़े की बात तो यह है कि नई दिल्ली के डा० अंबेडकर अंतराष्ट्रीय संस्थान में आयोजित हुई इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कई उक्तियों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया। परंतु इसमें वाजपेयी जी की वह उक्ति नदारद थी जिसमें उन्होंने 2002 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री व देश के वर्तमान प्रधानमंत्री को ‘राजधर्म का पालन’ किए जाने की सलाह दी थी। इस बैठक में प्रवेश द्वार के करीब लाल कृष्ण अडवाणी व मुरली मनोहर जोशी के चित्र भी लगाए गए ताकि पार्टी कार्यकर्ता मार्गदर्शक मंडल के इन नेताओं को भी याद रख सकें।

बहरहाल, एक बार फिर कार्यकारिणी में पार्टी नेताओं द्वारा 2014 में देश की जनता से किए गए वादों का न तो कोई जि़क्र किया गया,न ही यह बताया गया कि अब तक कितने स्मार्ट सिटी बन चुके हैं? न ही पार्टी सांसदों द्वारा सत्ता में आते ही बड़े ही जोश के साथ एक-एक गांव गोद लेने की योजना में हुई प्रगति का जि़क्र किया गया। न ही नोटबंदी के बाद देश के बदले हालात जैसे विषय पर कोई बात हुई। न तो गंगा सफाई अभियान के सिलसिले में हुई प्रगति पर बातें की गईं। न ही विपक्ष द्वारा बड़े ही ज़ोर-शोर से उठाए जा रहे राफेल विमान सौदे पर कोई सफाई या स्पष्टीकरण दिया गया, दो करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष रोज़गार दिए जाने संबंधी कोई आंकड़े  भी प्रस्तुत नहीं किए गए। सांप्रदायिक व जातिवादी वैमनस्य में होती जा रही बढ़ोतरी पर कोई चर्चा नहीं हुई। इस प्रकार के और भी अनेक ऐसे विषय जो देश की जनता से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं इनपर भी प्रकाश नहीं डाला गया। परंतु इसके बावजूद पार्टी ने सरकार की ‘सुगंध और नेतृत्व’ के करिश्मे पर भरोसा जताते हुए अपने विजय रथ को 2019 में भी विजय पथ पर दौड़ाने का संकल्प लिया। हां इस बैठक में एक बार फिर भाजपा के शीर्ष नेताओं ने अपनी पारंपरिक तथा वैचारिक रूप से धुर विरोधी पार्टी अर्थात् देश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को कोसने का फजऱ् ज़रूर निभाया।

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी के कार्यकर्ताओं को यह मुख्य स्प से यह संदेश दिया गया कि वे कांग्रेस पार्टी तथा विपक्षी दलों के कथित रूप से झूठे विषयों पर आधारित गठबंधन की पोल खोलें। पार्टी अध्यक्ष द्वारा यह भी कहा गया कि भाजपा मेकिंग इंडिया में लगी हुई है जबकि  कांग्रेस पार्टी ब्रेकिंग इंडिया में लिप्त है। यूं भी जब-जब कांग्रेस ने भाजपा के प्रति आक्रामक रुख अपनाया है और राफेल विमान सौदे,नोटबंदी,बेरोज़गारी,मंहगाई,किसानों की आत्महत्या,किसान आंदोलन,दलितों व अल्पसंख्यकों पर बढ़ते जा रहे अत्याचार तथा मॉब लिंचिंग जैसी विषय उठाकर भाजपा को घेरने की कोश्शि की है या 2014 के भाजपा के चुनावी संकल्प याद दिलाने का प्रयास किया है तब-तब भाजपा नेतृत्व द्वारा कांग्रेस पार्टी से कभी साठ वर्षों का तो कभी चार पुश्तों का हिसाब मांगा गया है। हैरानगी की बात है कि जिस अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु के बाद उनकी सहानुभूति हासिल करने के लिए पार्टी ने देश के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा ‘अस्थि कलश’ प्रदर्शन किया तथा 2019 तक अटल यात्रा व अटल संकल्प जैसे लोकलुभावने शब्दों का प्रयोग किया जाता रहेगा उन्हीं महापुरुष ने संसद में प्रधानमंत्री रहते कांग्रेस पार्टी की पचास वर्षों की उपलब्धियों को स्वीकार किया था तथा इसकी सराहना की थी। बड़े आश्चर्य की बात है कि स्वयं को ‘अटल परस्त’ कहने वाले इन नेताओं को न तो वाजपेयी जी का ‘राजधर्म संदेश‘याद है न ही देश के विकास में कांग्रेस का पचास वर्षों में योगदान संबंधी उनका कथन?

भारतीय जनता पार्टी अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जहां विपक्षी महागठबंधन को कोस रही थी तथा ढकोसले व झूठ पर आधारित गठबंधन बता रही थी वहीं दूसरी ओर ठीक उसी समय कांग्रेस मुख्यालय में एक बार फिर पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राफेल विमान सौदे का मुद्दा उठाते हुए स्पष्ट रूप से यह आरोप लगाया कि सरकार इस सौदे में 41 हज़ार करोड़ रुपये के घोटाले को छिपाने की कोशिश कर रही है। कांगेस ने मोदी सरकार के उस तर्क को खारिज किया जिसमें यह कहा गया है कि राफेल लड़ाकू विमान सौदे में अतिरिक्त तकनीकी विशेषताओं के कारण इसकी कीमत में बढ़ोतरी हुई है। कांग्रेस का कहना है कि यह तर्क निराधार है क्योंकि तकनीकी आधार पर इन विमानों में कोई भी नयापन नहीं है। कांग्रेस ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के समय जिस प्रणाली व तकनीक से लैस विमानों व हथियारों की खरीद तय हुई थी हूबहू उसी तकनीक व प्रणाली पर आधारित विमान मोदी सरकार भी खरीद रही है। इसलिए 526 करोड़ रुपये तय की गई कीमत के विमान 1670 करोड़ रुपये प्रति विमान की दर से खरीदा जाना सरकारी खज़ाने की सरासर लूट है। मोदी सरकार अभी तक यह भी नहीं बता सकी कि राफेल विमान के रख-रखाव का काम देश की सबसे प्रतिष्ठित सरकारी विमान निर्माण कंपनी एचएएल को दिए जाने के बजाए अंबानी की नवनिर्मित व अनुभवहीन कंपनी को क्यों दिया गया?

दरअसल कांग्रेस पार्टी भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती देने वाली एकमात्र विपक्षी पार्टी तो है ही साथ-साथ विचारधारा को लेकर भी कांग्रेस एक ऐसा संगठन है जो देश की समान व धर्मनिरपेक्ष विचारधारा रखने वाली पार्टियों को अपने साथ लेकर चलने की क्षमता रखती है। कांग्रेस के जिस सहयोगी गठबंधन को भाजपा ढकोसला व झूठ पर आधारित गठबंधन बता रही है इसी में से कई दल वाजपेयी सरकार में भी सहयोगी रह चुके हैं। यहां तक कि तेलगू देशम पार्टी,लोकजन शक्ति पार्टी, शिवसेना,बीजू जनता दल तथा जूडीयू जैसे दलों का 2019 में क्या रुख होगा यह भी अभी तक स्पष्ट नहीं है। ऐसे में आिखर क्या वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के वक्तव्यों में तथा भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कांग्रेस पार्टी पर पारंपरिक रूप से हमला तो ज़रूर किया जाता है,शब्दों के तीर चलाए जाते हैं, तुकबंदियां की जाती हैं, राहुल गांधी का मज़ाक उड़ाया जाता है, सोनिया गांधी के नाम के साथ इटली और रोम शब्द जोडक़र देश के लोगों को उनके विदेशी होने का बार-बार एहसास कराया जाता है परंतु कांग्रेस पार्टी द्वारा उठाए जाने वाले जनता सेजुड़े सवालों का माकूल जवाब नहीं दिया जाता। इसकी एकमात्र वजह यही है कि जब तक कांग्रेस का वजूद इस देश में कायम है तब तक कांग्रेस पार्टी भाजपा के खांटी हिंदुत्ववाद के मिशन में छेद करने का काम करती रही है तथा भविष्य में भी करती रहेगी। भाजपा ने महात्मा गांधी को स्वच्छता अभियान मिशन से जोडक़र उनके साथ अपना रिश्ता तो ज़रूर बिठाने का प्रयास किया है। परंतु कंाग्रेस पार्टी गांधीवादी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का अनुसरण करने वाली पार्टी है तथा गांधीवादी शांति व अहिंसा के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने वाला राजनैतिक संगठन है। यही वैचारिक मतभेद भाजपा को अपनी उपलिब्धयां गिनाने पर कम कांग्रेस को कोसने पर अधिक मजबूर करते हैं।

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About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.

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