आई एन वी सी न्यूज़
खराब और गतिहीन जीवनशैली उनके मोटापे का एक बड़ा कारण है। मोटापा एक ऐसी समस्या है जो एक या दो नहीं बल्कि अनगिनत बीमारियों को जन्म देता है, जिसमें फैटी लिवर जैसी एक गंभीर बीमारी भी शामिल है, जो मध्यम आयु वर्ग की आबादी के बीच एक आम बीमारी बनती जा रही है।
फैटी लिवर एक मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, जो कई समस्याओं के कारण होता है, जैसे कि ब्लड प्रेशर, हाई बल्ड शुगर, मोटापा, असंतुलित कोलेस्ट्रॉल स्तर आदि। अक्सर ये समस्याएं एकसाथ होती हैं और फैटी लिवर के जोखिम को बढ़ाती हैं। फैटी लिवर के डायग्नोसिस के लिए एक सामान्य अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा लिवर डैमेज का पता लगाने के लिए लिवर फंक्शन से संबंधित कई टेस्ट किए जाते हैं।
नई दिल्ली में साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की गैस्ट्रोएंटरोलॉजी सलाहकार, डॉक्टर निवेदिता पांडे ने बताया कि, “फैटी लिवर, लिवर में अतिरिक्त वसा के जमने से होता है। दुर्भाग्य से कई मरीजों में इस बीमारी के लक्षण नजर नहीं आते हैं। अक्सर इसके लक्षण तब नजर आने शुरु होते हैं, जब लिवर संबंधी बीमारी बढ़ने लगती है। इसके लक्षणों में भूख न लगना, थकान, पीलिया और छोटी चोट में भी ब्लीडिंग आदि शामिल हैं। लिवर में जमा हुआ वसा लिवर को बुरी तरह नुकसान पहुंचाती है, जिसके बाद इसके रोगियों को गैर-शराबी स्टीटो हेपेहाइटिस (एनएएसएच) नाम की समस्या होती है और आखिर में यह सिरोसिस को जन्म देता है। बीमारी की गंभीरता के बारे में जागरुकता में कमी एक बड़ी चिंता का विषय है। यदि फैटी लिवर का निदान और इलाज न किया जाए तो यह न केवल लिवर को पूरी तरह से डैमज करता है बल्कि लिवर कैंसर का भी कारण बनता है।”
चूंकि, फैटी लिवर जीवनशैली से संबंधित बीमारी है इसलिए इसकी रोकथाम के लिए बीमारी के हर पहलू पर काम करना पड़ता है। केवल डाइट में बदलाव से सुधार संभव नहीं है बल्कि सही परिणामों के लिए रूटीन में एक्सरसाइज को भी शामिल करना अनिवार्य है। आकड़ों के अनुसार, यदि रोगी का वजन 3-5% भी कम हो जाए तो भी लिवर की फंक्शनिंग में सुधार लाया जा सकता है।
डॉक्टर निवेदिता ने आगे बताया कि, “फैटी लिवर का इलाज बीमारी के चरण पर निर्भर करता है। ग्रेड 1 फैटी लिवर बीमारी का पहला चरण है, जिसे हेल्दी लाइफस्टाइल जैसे कि नियमित एक्सरसाइज, डाइट कंट्रोल आदि की मदद से आसानी से ठीक किया जा सकता है। जैसे-जैसे बीमारी के चरण बढ़ते जाते हैं, वैसे-वैसे इसकी गंभीरता भी बढ़ती जाती है और लिवर डैमेज हो जाता है। डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रण में रखना भी बेहद असरदार साबित हो सकता है। इसके अलावा विटामिन ई भी बीमारी को ठीक करने में मददगार है। लेकिन लिवर की बीमारी के एडवांस चरण में लिवर को ट्रांसप्लानंट करना पड़ सकता है।”