न जाने क्या सोच के रोता रहा कातिल मेरा तन्हा

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तो क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी की आत्मा बदल गई है, या उनकी आत्मा उन्हें कचोट रही है या कुछ और मसला है? सरकार बनने के एक महीने से कम समय में ही मोदी का वह रूप दिखाई देने लगा जिसकी कल्पना नहीं थी। कम से कम सोशल मीडिया पर गाली-गलौज कर रही मोदी की गुण्डा वाहिनी को तो उनके इस रूप की उम्मीद कतई नहीं ही थी। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सदन में बोलते हुए नरेंद्र मोदी ने जो कुछ कहा वह एक माह पहले ही संपन्न हुए चुनाव में उनके कहे के एकदम विपरीत था।

हालांकि जब सरकार बनते ही मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को न्यौता भेजा था तभी खुसफुसाहट शुरू हो गई थी कि “नक्शे में से नाम मिटा दो पापी पाकिस्तान का” नारा देने वाले किस तरह नवाज शरीफ का स्वागत करेंगे। मोदी के इस कदम को पड़ोसी मुल्कों से संबंध सुधारने की दिशा में एक सार्थक कदम मानते हुए आलोचना कुछ कम हुई और बात आई-गई हो गई। लेकिन राष्ट्रपति ने जब अपने अभिभाषण में कहा कि सरकार ‘सब का साथ, सब का विकास’ सिद्धांत को अपनाएगी, तो लोगों को आश्चर्य हुआ कि फिर उन बांग्लादेशी घुसपैठियों का भी विकास होगा जिनको देश से बाहर निकाल फेंकने की हुंकार भरी जा रही थी ?

सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह रही कि मोदी अभिभाषण पर जब जवाब देने के लिए खड़े हुए तो उन्‍होंने सबसे पहले कहा कि अगर कोई गलती हो जाए तो नया जान कर क्षमा कर दीजिएगा और अपने भाषण का अंत भी क्षमा प्रार्थना के साथ किया। जबकि अंग्रेजी अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ को चुनाव पूर्व दिए एक साक्षात्कार में मोदी ने कहा था कि वह गुजरात दंगों के लिए किसी से माफी नहीं मांगेगे। उन्होंने दो टूक कहा था अगर आपको लगता है कि यह बड़ा अपराध है तो दोषी को माफ क्यों किया जाना चाहिए? इसके बावजूद अगर मोदी प्रधानमंत्री की हैसियत से सदन में क्षमा के साथ अपनी बात का आदि और अंत करते हैं तो आश्चर्यजनक है ही।

हालांकि यह बदलाव लोकतंत्र की बेहतरी के हिसाब से सकारात्मक कहा जा सकता है लेकिन यह इतना सहज मामला है नहीं जितना दिखाई दे रहा है। दरअसल मोदी हों या उनका रिंग मास्टर संघ परिवार, दोनों ही यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि देश बहुत बड़ा है और इसको संघ के एजेंडे के मुताबिक सीधे-सीधे नहीं हांका जा सकता है। इसलिए मोदी ने भी उदारता का चोला ओढ़ने की कोशिश की है जिस चोले को अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले ही ओढ़ लिया था। दूसरे इतना जहरीला चुनाव प्रचार अभियान चलाने और कॉरपोरेट घरानों की जबर्दस्त सहयोग व मीडिया के साष्टांग प्रणाम के बाद भी भाजपा को 31 फीसदी मत ही मिल सका यानी आधे से भी अधिक हिन्दुओं ने मोदी और भाजपा के खिलाफ ही वोट दिया, जिसका सीधा-सीधा मतलब है कि जनता को जो सब्जबाग अच्छे दिन लाने के दिखाए गए थे वह नहीं आते हैं (जोकि नहीं ही आने हैं) तो आसानी से पलटी मारी जा सके। क्योंकि हनुमान बनकर तो श्रीलंका तक ही जा सकते हैं न, देश को आगे ले जाने के लिए तो जतन करने पड़ेंगे, जाहिर है कि वह जतन संघ परिवार के हिंसक, उग्र हिंदुत्व के एजेंडे पर चलकर तो नहीं ही किए जा सकते हैं।

वह मोदी जो चुनाव पूर्व तक हिंसक और उत्तेजनात्मक शब्दावली का प्रयोग करते रहे, मियां नवाज शरीफ पुकारते रहे, दावा करते रहे कि गुजरात ने तय कर लिया कि दंगा नहीं होने देंगे तो दंगा नहीं हुआ। मतलब साफ संकेत देते रहे कि उनका गुजरात मॉडल असल में क्या है और देश को गुजरात बनाने का ढोल पीटा जाता रहा, उनका मुसलमानों को लेकर रवैया संसद् में एकदम उलट था। उन्होंने घोषणा कर दी कि गुजरात मॉडल सारे देश में लागू नहीं किया जा सकता। अब नरेंद्र मोदी कहते हैं कि भारत के मुसलमान पिछड़े हैं और उनके विकास के लिए विशेष योजनाएं बनाने की जरूरत है। उनकी नज़र में यह तुष्टिकरण भी नहीं है जबकि कांग्रेस के समय में यह तुष्टिकरण घोषित किया जाता था। मोदी के कार्यकाल में गुजरात सरकार ने अल्पसंख्यकों के कल्याण की केंद्र सरकार की कई योजनाओं को लागू नहीं किया गया और अब मोदी कह रहे हैं -‘जिन मुसलमान भाइयों को मैं अपने बचपन से देख रहा हूँ, उनकी तीसरी पीढ़ी भी साइकल ठीक करने का काम करती है। यह दुर्भाग्य क्यों जारी है? हमें उनकी ज़िन्दगियों में बदलाव लाने के लिए ध्यान केन्द्रित करना होगा। हमें ऐसे कार्यक्रम शुरू करने होंगे। मैं इन कार्यक्रमों को तुष्टिकरण की धुरी के अन्दर नहीं मानता। मैं इन्हें उन लोगों की ज़िन्दगियों में बदलाव लाने का माध्यम मानता हूँ। अगर किसी व्यक्ति का एक अंग बीमार है तो उसे स्वस्थ नहीं कहा जा सकता। एक व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए उसके शरीर के सारे अंगों को फिट रखना होगा। इसी तरह समाज के हर तबके को सशक्त करना होगा।’

जिन मदरसों को अब तक आतंकवाद का अड्डा बताया जाता रहा अब राष्ट्रपति के अभिभाषण में राष्ट्रीय मदरसा आधुनिकीकरण कार्यक्रम शुरू करने की बातें की जा रही हैं। भारत की प्रगति में सभी अल्पसंख्यकों को बराबर का भागीदार बनाने के लिए कृतसंकल्प होने के दावे किए जा रहे हैं और अल्पसंख्यक समुदायों में आधुनिक और तकनीकी शिक्षा का प्रसार करने के उपायों को विशेष तौर पर कारगर बनाने की बातें की जा रही हैं।

हाल ही में उत्तर प्रदेश के बदायूँ में दो नाबालिगों से बलात्कार और उनकी हत्या, पुणे में एक इंजीनियर मोहसिन की हत्या और मनाली में छात्रों के डूबने की घटना पर पीड़ा व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि पिछले दिनों जो घटनाएं घटी हैं, वे पीड़ादायक हैं। चाहे पुणे की घटना हो, उत्तर प्रदेश की घटना हो, मनाली की घटना हो, चाहे बहनों से बलात्कार की घटनाएं हों। ये सभी घटनाएं हम सबको आत्मचन्तिन के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के लिए हमारी आत्मा हमें माफ नहीं करेगी।

अब सवाल उठता है कि क्या मोदी जी की आत्मा ने गुजरात 2002 के लिए उन्हें माफ कर दिया है ? यदि नहीं तो पुणे में इंजीनियर की हत्या पर आत्मा को कचोटने की नौटंकी किसलिए? और यदि वास्तव में इन घटनाओं पर मोदी को उनकी आत्मा ने झकझोरा है तो गुजरात 2002 के लिए भी कम से कम अब तो उनकी आत्मा जाग ही जानी चाहिए। इशरत जहां फर्जी मुठभेड़, सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़, सादिक जमाल मोहतर फर्जी मुठभेड़ पर भी आत्मा को जागना चाहिए, वरना उनके इस भाषण पर किसी शायर के शब्दों में बस इतना ही कहा जा सकता है –

सबके लबों पर तबस्सुम था मेरे कत्ल के बाद
न जाने क्या सोच के रोता रहा कातिल मेरा तन्हा

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Amalendu-1 - Copy - Copy(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक समीक्षक हैं। हस्तक्षेप डाट कॉम hastakshep.com के संपादक)
अमलेन्दु उपाध्याय
एससीटी लिमिटेड
सी-15, मेरठ रोड इंडस्ट्रियल एरिया
गाजियाबाद
मो0– 9312873760
*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC.

2 COMMENTS

  1. A man is what he thinks. Time & responsibilities forces a man to change. However in Modi case what we know as Anti-Modi is just malicious propaganda. His deed always told other story. But unfortunately our most of secular & Muslim brothers are not ready to believe the story Modi wrote in Gujrat. No..No..No don’t talk 2002 because that will spring many more questions about other CMs too. As PM let Modi prove his words as he spelled them.
    Why you people question every move by Modi? He has just come. Let him work for 1 year then question. If you people have questioned the previous congress government even half of Modi, Muslims might have been more prosperous.
    Stop writing such negative & meaningless post please

  2. अमलेन्दु उपाध्याय जी आपने जो मुद्दे उठाये हैं उनका जबाब कौन देगा ?

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