-इंदौर के व्यापारियों ने दायर की थी याचिका –
हेमंत पटेल ,
आई एन वी सी ,
भोपाल।
40 माइक्रॉन या इससे कम माइक्रॉन की पन्नी पर से बेन हटा लिया गया है। अब यह ेबैन केवल केरीबैग्स (लटकाने वाली थैली) पर ही रहेगा। यह आदेश नेशनल ग्रीन ट्रेब्यूनल (एनजीटी) सेंट्रल जोन-भोपाल ने दिया है।
एनजीटी ने यह आदेश सोमवार को इंदौर के व्यापारियों द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने आदेश में ४० माइक्रॉन पन्नी और लटकाने वाली थैली की परिभाषा को भिन्न-भिन्न कर स्पष्ट किया है। इससे पहले ग्वालियर के संदीप लहेरिया ने पिटीशन दायर की थी कि ४० माइक्रॉन की पन्नी के विक्रय पर पूरी तरह पाबंदी लगाई जाए। इस पर कोर्ट ने सहमति जताते हुए सभी प्रकार की 40 माइक्रॉन और इससे कम माइक्रॉन की पॉलिथीन के विक्रय पर रोक के आदेश जारी कर दिए थे। पिटीशन दायर करने वाले श्री लहेरिया ने कोर्ट में 40 माइक्रॉन पन्नी के संबंध में केरीबैग्स और पॉलिथीन की परिभाषा को स्पष्ट नहीं किया। इससे व्यापारियों में हड़कंप मच गया। प्रशासनिक अमले ने छापामार कार्रवाई करते हुए कई टन पन्नी की जब्ती की। अधिकांश व्यापारियों ने केस दर्ज होने के डर से जब्ती भी करा दी, लेकिन उन बड़े व्यापारियों को आदेश में स्पष्टिकरण नहीं दिखाई दिया, जिसमें ४० माइक्रॉन या इससे कम की पॉलिथीन की डेफिनेशन दिखाई दे। पॉलिथीन विक्रेताओं का कहना है, 40 माइक्रॉन या इससे कम की पॉलिथीन का अधिकांश उपयोग वस्तु की पैकेजिंग पर होता है। मसलन, मोबाइल बॉक्स व अन्य डिब्बों पर इनकी सुरक्षित पैकेजिंग के लिए उपयोग होता है। लिहाजा, इंदौर के होल सेल पॉलिथीन विके्रता ललित जैन और पियूष आजाद ने एनजीटी में याचिका लगाई। व्यापारियों की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पर्यावरण विधी विशेषज्ञ मनोज कुमार शाही ने बताया कि कोर्ट ने पैकेजिंग पन्नी को बैने से छूट दे दी है। वहीं ४० माइक्रोन तक की वह सभी पॉलिथीन जिसका उपयोग व्यापारिक दृष्टि से बाजार में केवल खरीदारी कर सामान रख लाने-ले जाने के लिए होगा, को पूरी तरह बेन किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति पी. ज्योति मनी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. आजाद ए देश पांडे ने दिया।
-इन्हें कराना होगा पालन
एनजीटी सेंट्रल जोन-भोपाल में सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि इस पर अमल कराने की जवाबदारी कमिश्नर, कलेक्टर, डीजीपी, प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण विभाग, प्रदूषण नियंत्रण विभाग की होगी। एनजीटी द्वारा दिए गए आदेश की कॉपी २४ अप्रैल को सार्वजनिक कर दी जाएगी।
होगा।
-वर्जन
एनजीटी के इस आदेश से बड़े व्यापारियों को राहत मिलेगी। वहीं पूर्व के आदेश में 40 माइक्रान व इससे कम की पॉलिथीन का स्पष्ट हवाला न होने से व्यापारियों और लोगों कई प्रकार की दिक्कतें थी। व्यापारियों ने इस आदेश का स्वागत किया है।
मनोज कुमार शाही, वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पर्यावरण विधी विशेषज्ञ