नागरिकता की मांग को लेकर 18 राज्यों के शरणार्थी देंगे धरना

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आई एन वी सी न्यूज़
नई दिल्ली,

– 18 राज्यों के शरणार्थी बंगाली नागरिकत्व अधिनियम संशोधन बिल पारित कराए जाने की मांग को लेकर 21 व 22 नवंबर को दिल्ली केजंतर-मंतर पर धरना व प्रदर्शन करेंगे।

– निखिल भारत बंगाली उद्बास्तू समन्वय समिति के अध्यक्ष डॉ. सुबोध विश्वास व महासचिव एडवोकेट अंबिका राय ने बताया कि शरणार्थी बंगाली दिल्ली पहुंचना शुरू हो गए हैं।

 

Nikhil-Bharat-Bangali-Udbasशरणार्थी बंगालियों के नेताओं ने कहा कि द्विराष्ट्रीय सिद्धान्त की आधार पर 1947 मे देश का बंटवारा हुआ एवं आधुनिक भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ। भारत विभाजन की शर्त पर, भारत की भूमिका वन्दन हुया, परन्तु लोगों का विनिमय नहीं हुआ। देश विभाजन के उपरान्त पाकिस्तान मे जातीय दंगा होते रहे, उसे हिन्दू, बुद्धिष्ट, सिख, इसाई भारत में आने के लिये मजबूर होते रहे हैं। यह सिलसिला आज भी बंगलादेश में जारी है।

उन्होंने कहा कि 1971 मे पूर्व पाकिस्तान से बंगला देश को आजादी मिली। परंतु कुछ जेहादी कट्टरवादियों से आज भी बंगलादेश की आम जनता को आजादी नहीं मिली। हिंदू महिलाओं का बलात्कार, लाखों की तादाद मे हिंदुओं का कत्ल एवं लाखो हेक्टर जमीन से हिंदुओं को बेदखल किया गया। आज पाकिस्तान में जो अल्पसंख्यक की हालात है उससे भी दयनीय हालात बांग्लादेश के हिंदुओ का है। जिस कारण वहां के हिंदुओं का पलायन जारी है। वहां के अल्पसंख्यकों की तादाद 31% से घटकर अब केवल 7% रह गयी। यह विभीषिका ऐसे ही चलती रही तो आने वाले समय में वहां के अल्पसंख्यक लुप्त हो जायेंगे।

डॉ. सुबोध विश्वास ने कहा कि 1955 मे भारत का नागरिक अधिनियम बना उसी संविधान में हिंदू, बंगाली, बुद्धिस्ट, ईसाई भारत की नागरिकता देने का अवसर दिया गया था। परंतु 2003 में नागरिक अधिनियम संशोधित होने से बंगाली शरणार्थी भारत की नागरिकता होगी उसके विरोध में निखिल भारत बंगाली उद्बास्तू समन्वय समिति 2005 से लगातार 18 राज्यो में संघर्ष करती आ रही है। 2011 एवं2015 में दिल्ली में दो-दो बार समिति की ओर से धरना एवं रैली का आयोजन किया गया एवं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के माध्यम से केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को 14 सितम्बर 2015 को ज्ञापन सौंपा गया।

एडवोकेट अंबिका राय ने कहा कि हर्ष की बात है हमारी मांग मांगते हुये पिछली लोकसभा अधिवेशन में मोदी सरकार नागरिकत्व अधिनियम संशोधन का प्रस्ताव संसद में लायी थी। कुछ राजनैतिक दलों के विरोध के कारण बिल पारित नहीं हो सका एवं गृहमंत्री ने सर्वदलीय सिटीजनशिप पार्लिमेंन्ट्री समिति का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि दुखद बात यह है कि, कुछ राजनैतिक दल इस बिल के विरोध में लगे हैं।

समिति ने उन राजनैतिक दलों से अनुरोध किया है कि, नागरिकता अधिनियम संसद में पारित करने का सह्योग करें। समिति भारत सरकार जो बिल संशोधन के लिये लायी उसके लिये हम उसे धन्यवाद दिया है।

डॉ.सुबोध विश्वास व अंबिका राय ने बताया कि निम्नलिखित मांगों को लेकर 21, 22 नवम्बर 2016 जंतर मंतर पर दो दिवसीय धरना आंदोलन किया जायेगा। उस आंदोलन में भारत के 18 राज्य से शरणार्थी बंगाली भाग लेंगे। तत्पश्चात महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री को ज्ञापन सौंपा जायेगा।

1.   पूर्वी.पाकिस्तान (बांग्लादेश) से विस्थापित अल्पसंख्यक हिन्दु, बौद्ध, इसाई शरणार्थीयो को भारतीय नागरिकता सुनिश्चित किया जाए। डीवोटर कानून रद्द तथा डिटेन्शन कॅम्पस से राहत।

2.   विस्थापित अनुसुचित समुदायों को जातिय आधारित आरक्षण की मान्यता व संवैधानिक अधिकार प्रदान किया जाए।

3.   बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू बुद्धिस्ट ईसाई समुदायों का धार्मिक एवं जान, माल एवं महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत सरकार से विनंती।

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