दिल्ली,,
नवरात्रे वह समय होता है जब आदमी गेहूं का आटा खाना छोड़ इसके विकल्प बकव्हीट फ्लोर यानी कुट्टू का आटा खाता है। यह वक्तव्य पद्मश्री, डाॅ. बी सी राय नेषनल अवार्डी और हार्ट केयर फाउंडेषन आॅफ इंडिया व एमटीएनएल परफैक्ट हेल्थ मेला के अध्यक्ष डाॅ. के के अग्रवाल ने दिया। यह अनाज नहीं होता है लेकिन इसे फल के तौर पर वर्गीकृत किया गया है इसलिए यह नवरात्रे में फास्ट का बेहतर विकल्प है जब लोग अनाज का सेवन नहीं करते हैं।
1. आटे मंे प्रोटीन भरपूर मात्रा में होती है और जिन लोगों को ग्लूटेन (गेहूं में पाया जाता है) से एलर्जी हो तो उनके लिए यह बहुत बढि़या विकल्प है।
2. यह सीलियक बिमारी के मरीजों के लिए भी बेहतर होता है क्योंकि यह ग्लूटेन फ्री होता है।
3. इसमें फाइटोन्यूट्रीएंट रूटिन होता है जो कोलेस्ट्राॅल और ब्लड प्रेषर को कम करता है।
4. इसमें मैग्नीषियम, विटामिन बी, आइरन, कैल्षियम, फोलेट, जिंक, काॅपर, मैग्नीज और फास्फोरस भरपूर मात्रा में होता है।
5. कुट्टू का आटा चबाने में सख्त होता है और परंपरागत तरीके से इसे छह घंटों तक भिगो कर रखते हैं और इसके बाद पकाते हैं जिससे यह मुलायम और आसानी से हजम हो जाता है।
6. इसमें एल्फा लिनालेनिक एसिड भी होता है जो एचडीएल कोलेस्ट्राॅल (‘‘गुड’’ कोलेस्ट्राॅल) को बढ़ाता है साथ ही एलडीएल कोलेस्ट्राॅल (‘‘बैड’’ कोलेस्ट्राॅल) को नियंत्रित रखता है।
7. यह इनसोल्यूबिल फाइबर का भी बेहतर स्त्रोत जो गाल ब्लैडर स्टोन को रोकता है। अमेरिकन जर्नल आॅफ गैस्ट्रोएंट्रोलाॅजी के मुताबिक, इंसोल्यूबिल फाइबर में 5 फीसदी की बढोतरी से गाल ब्लैडर स्टोन के खतरे में 10 फीसदी की कमी होती है।
8. कुट्टू में 75 फीसदी काॅम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट और 25 फीसदी प्रोटीन होती है जो वज़न घटाने के लिए आदर्ष भोजन होता है।
9. आटा ग्लूटेन-फ्री होता है और इस तरह आटे में आलू के साथ में प्रयोग होता है।
10. आटे में कई तरह का स्वाद होता है।
11. गेहूं के आटे की पूडि़यों की तुलना में इस आटे से तैयार पूड़ी अधिक स्वादिश्ट होती हैं।
12. व्यक्ति को चाहिए कि वह हाइड्रोजनेटिड आॅयल या वनस्पति से पूडि़यां न तैयार करे क्योंकि इससे सभी चिक्तिस्य फायदे खत्म हो सकते हें।
13. कुट्टू के आटे में भी अब मिलावट होने लगी है।
14. इसमें राइ फ्लोर, इंडियन काॅर्न फ्लोर, व्हीट फ्लोर और अन्य जमीन के नीचे पाऐ जाने वाले अनाज को अक्सर कुट्टू के विकल्प के तोर पर इस्तेमाल किया जाता है।
15. फाइबर की उच्च मात्रा और ग्लाइसेमिक इंडेक्स की कमी होने से यह मधुमेह रोगियों के लिए बेहतर विकल्प होता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स कुट्टू के आटे में 47 होता है। कम जीआई वाले भोजन में जीआई की मात्रा 55 से कम होती है; मध्यम जीआई भोजन में जीआई की मात्रा 55 से 69 के बीच ओर उच्च जीआई वाले भोजन में यह मात्रा 70 से अधिक होती है।
16. चीरो इनोसिटाॅल भी कुट्टू के आटे में होता है जिसे मधुमेह को रोकने के लिए जरूरी कारक माना जाता है।
17. संवेदनषील बच्चों में अस्थमा के लक्षण हो सकते हैं जब कुट्टू के आटे को बंद कमरे में पकाया जाए, इसमें सांस की बिमारी सम्बंधी लक्षण देखे गए हैं।
18. पूड़ी या पकौड़े (फ्राइड भोजन) की जगह कुट्टू के आटे की रोटी का प्रयोग करें।
19. व्यक्ति कुट्टू के आटे से इडली भी तैयार कर सकते हैं और समा के चावल से डोसा बना सकते हैं।
20. पिछले साल के बचे हुए आटे से फूड प्वायजनिंग हो सकती है।