जे. इक़बाल
इस्लामाबाद. तालिबान पाकिस्तान के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. तालिबानी ने पाकिस्तान चैन-अमन को ख़त्म करके रख दिया है. इस तालिबान ने पाकिस्तान सरकार को धमकी दी है कि अगर दीर ज़िले में सेना की कार्रवाई जल्द ही बंद नहीं की गई तो उसका अंजाम अच्छा नहीं होगा. इतना ही नहीं तालिबानियों ने स्वात के एक टेलीफोन एक्सचेंज पर क़ब्जा कर लिया है।
उधर, पाकिस्तान के हिंसाग्रस्त पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में कल तालिबानी आतंकियों और सेना के बीच हुए संघर्ष में एक जवान सहित कई आतंकी के मरने की खबर है। सेना के एक प्रवक्ता के मुताबिक़ प्रांतीय सरकार के अनुरोध पर सुरक्षाबलों ने हेलीकॉप्टर से दीर जिले के इस्लामपुर और लालकिला इलाकों में कल सुबह तालिबानी आतंकियों के ठिकानों पर हमले किए. काला डाग इलाके में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई भारी गोलीबारी में तालिबान कमांडर मौलवी शाहिद समेत पांच आतंकियों की मौत हो गई. इसमें एक जवान की मौत हो गई, जबकि एक मेजर समेत पांच अन्य जवान ज़ख्मी हुए हैं।
गौरतलब है कि दीर और स्वात जिले मलकंद डिवीजन में आते हैं, जहां तालिबान के दबाव के चलते पाकिस्तान सरकार ने शरीयत कानून लागू करने की मंज़ूरी दी है। स्वात घाटी में शरीयत कानून लागू करने के लिए आसिफ अली जरदारी ने 14 अप्रैल को बाक़ायदा एक बिल पर हस्ताक्षर कर इसे मंजूरी दी है. इस बिल को गत 13 अप्रैल को ही नेशनल असेंबली ने भी पास करदिया था। स्वात घाटी पर तालिबान का क़ब्जा तो पहले ही हो चुका है और वहां प्रांतीय असेंबली शरीयत कानून लागू करने को पहले ही मंजूरी दे चुकी थी। इसके बाद सिर्फ नेशनल असेंबली की बाधा ही रह गई थी, बाद में इसे बहुमत से पास कर दिया गया। दिलचस्प बात यह भी है कि शरीयत कानून लागू करने की मंज़ूरी देते वक़्त असेंबली में आधे से ज़्यादा वे प्रतिनिधी तो सभा में मौजूद ही नहीं थे जो बिल का बायकॉट कर रहे थे।
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