आई.एन.वी.सी,,
लखनऊ,,
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री माननीया सुश्री मायावती जी ने राज्य में मनरेगा के क्रियान्वयन को लेकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश द्वारा लिखे गए पत्र पर कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा है कि केंद्रीय मंत्री की यह कार्यवाही राजनीति से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि श्री रमेश की मंशा इसी से स्पष्ट हो जाती है कि उनके द्वारा लिखा गया पत्र राज्य सरकार को प्राप्त होने से पहले, मीडिया में जारी कर दिया गया।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने मा0 प्रधानमंत्री जी को आज पत्र लिखकर केंद्रीय मंत्री द्वारा उठाए गए विभिन्न बिंदुओं पर राज्य सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि उन्हें इस मामले पर संवैधानिक जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखने से पहले भारत के संविधान में केंद्र एवं राज्यों के बीच वित्तीय बंटवारे के लिए की गई व्यवस्था की भी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि उन्हें यह भी मालूम होना चाहिए कि मनरेगा जैसी तमाम योजनाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी गई धनराशि राज्यों द्वारा ही प्राप्त राजस्व से ही निर्धारित मानकों के आधार पर आवंटित की जाती है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने अपने पत्र में लिखा है कि केंद्रीय मंत्री के पत्र से स्पष्ट है कि, उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर केंद्रीय मंत्री द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद तथा तथ्यों से परे है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षो में मनरेगा को लागू करने में उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों से काफी आगे रहा है। उन्होंने कहा कि इस तथ्य की जानकारी भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर भी प्राप्त की जा सकती है। पारिवारिक आच्छादन, रोजगार सृजन करने तथा खर्च के मामले में राज्य सरकार की प्रगति काफी अच्छी है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम मजदूरी तय करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है। उन्होंने कहा कि मजदूरी जॉब कार्ड धारक को ही पहुंचे, इस नियत से वर्ष 2008 से जॉब कार्डधारकों की मजदूरी बैंक/डाक घर में खोले गए उनके खातों में भेजी जा रही है। इसके अलावा लगभग तीन चौथाई धनराशि का खर्च ग्राम पंचायतों द्वारा किया जा रहा है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री द्वारा मनरेगा में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर राज्य सरकार द्वारा कार्यवाही न करने के आरोप का जवाब देते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार को कतई बर्दास्त नहीं करती। उन्होंने कहा कि बी0एस0पी0 की स्थापना ही भ्रष्टाचार तथा राजनीति में अपराधीकरण के खिलाफ हुई है और बी0एस0पी0 सरकार शुरू से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर रही है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की शिकायत प्राप्त होने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाती है चाहे वो कितना बड़ा व्यक्ति क्यों न हो। नेशनल लेवल मॉनीटर (एन0एल0एम0) की चर्चा करते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि मनरेगा लागू होने से अब तक राज्य सरकार को एन0क्यू0एम0 की 67 report प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि इसमें से 49 मामलों में राज्य सरकार द्वारा कार्यवाही (ए0टी0आर0) की report भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेज दी गई और शेष मामलों में विभिन्न स्तरों पर कार्यवाही की जा रही है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसके अतिरिक्त अब तक 18 प्रथम श्रेणी के, 13 द्वितीय श्रेणी के तथा 43 तृतीय श्रेणी के अधिकारियों के साथ-साथ 236 फील्ड लेवल कर्मचारियों के विरूद्ध निलंबन तथा अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई। वित्तीय अनियमितताओं के मामले में 71 एफ0आई0आर0 दर्ज की गई। इसके अलावा 53.97 लाख रुपए की धनराशि वसूली गई है तथा 131 लाख रुपए की वसूली की कार्यवाही प्रगति पर है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने उन 07 जनपदों, जिनका उल्लेख श्री रमेश ने अपने पत्र में किया है, में की गई कार्यवाही का ब्यौरा देते हुए कहा कि 06 मुख्य विकास अधिकारियों, 08 परियोजना निदेशकों, 30 खंड विकास अधिकारियों तथा 52 फील्ड स्तरीय अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही शुरु की गई। इसके अलावा 01 अधीक्षण अभियंता, 01 डी0एफ0ओ0, 04 अधिशासी engineer, 03 सहायक अभियंता, 16 अवर अभियंता तथा 28 ग्राम प्रधानों के विरूद्ध भी कार्यवाही शुरु करते हुए 10 एफ0आई0आर0 दर्ज करायी गई है। इसी के साथ 02 जिलाधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही विचाराधीन है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि श्री रमेश ने अपने पत्र में राज्य सरकार द्वारा स्टेट क्वालिटी मॉनीटर्स (एस0यू0एम0) नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करने की सराहना की है और कहा है कि इससे योजना को विशेष रूप से फील्ड में सही एवं उचित ढंग से लागू करने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अभी कुछ माह पूर्व ही भारत सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय ने श्री प्रदीप भार्गव की अध्यक्षता में फील्ड निरीक्षण के लिए एक समिति भेजी थी। समिति ने व्यापक एवं सघन रूप से फील्ड निरीक्षण किया और राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयासों एवं लिए गए निर्णयों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि इस समिति की report को भी देखा जा सकता है। श्री रमेश ने चित्रकूट में काम करने वाले एक एन0जी0ओ0 से वार्ता करके तथा केवल 07 जनपदों के कुछ मामलों के आधार पर पूरे प्रदेश के मामले में गलत धारणा बना ली और शायद उन्हें स्मरण नहीं है कि अब उत्तर प्रदेश में 75 जनपद हैं।
केंद्रीय मंत्री श्री जयराम रमेश द्वारा मनरेगा के लिए राज्य सरकार के बजट को रोकने की दी गई धमकी का उल्लेख करते हुए माननीया मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इससे साफ़ जाहिर है कि श्री जयराम रमेश को भारतीय संविधान में संघीय व्यवस्था के तहत वित्तीय अधिकारों की जानकारी का अभाव है। संभवत: यह समझते हैं कि केंद्रीय परियोजनाओं के लिए सहायता जारी करना केंद्र का पूरा अधिकार है। श्री जयराम रमेश जी द्वारा एन0आर0एच0एम0 से मनरेगा की तुलना करना कहां तक उपयुक्त है। इससे स्पष्ट है कि उन्हें रूल ऑफ business का ज्ञान नहीं है। उन्हें मालूम होना चाहिए कि प्रत्येक मंत्रालय अपने निर्णय स्वतंत्र रूप से लेता है। उन्होंने कहा कि एन0आर0एच0एम0 से ग्रामीण विकास मंत्रालय का कुछ भी लेना-देना नहीं है। उन्होंने मनरेगा की सी0बी0आई0 से जांच कराने का सुझाव दिया है, लेकिन शायद वे समझते हैं कि राज्य सरकार के पास अपनी कोई एजेन्सी नहीं है जो आवश्यकता पड़ने पर इस प्रकार की जांच कर सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की एजेिन्सयां भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने में सक्षम है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने अपने पत्र में मा0 प्रधानमंत्री जी को यह भी अवगत कराया है कि पूर्व में उनकी सरकार ने मनरेगा के संबंध में प्राप्त शिकायतों पर कठोर कार्यवाही की है और श्री रमेश द्वारा इंगित मामलों को भी संज्ञान में लिया जा रहा है। बलरामपुर, गोंडा, मिर्जापुर तथा महोबा जनपदों की वित्तीय अनियमित्ताओं की जांच ई0ओ0डब्ल्यू0 से कराने के निर्देश दे दिए गए हैं। इसके अलावा एक गैर सरकारी संस्था उत्तर प्रदेश सहकारी निर्माण एवं विकास लिमिटेड के कार्यों की गुणवत्ता में कमी पाए जाने पर इसकी भी जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही यह भी निर्देश दिए गए हैं कि अनियमिताओं के मामले में वे तेजी से जांच करें और इसके लिए जो भी जिम्मेदार हों उनके विरूद्ध कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही उपलब्ध धनराशि का 60 प्रतिशत से अधिक धनराशि खर्च कर लिया है और दूसरी किश्त के लिए आवश्यक अभिलेखों के साथ मांग प्रेषित की गई है।
माननीया मुख्यमंत्री जी ने माननीय प्रधानमंत्री जी से अनुरोध किया है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करके धनराशि को समय से अवमुक्त कराने की पहल करें ताकि योजना का समय से क्रियान्वयन हो सके। उन्होंने कहा कि जरूरतमंद परिवारों को नियमानुसार रोजी-रोटी उपलब्ध कराने के लिए केंद्र और राज्य दोनों को एक साथ खड़े होना चाहिए।