आई.एन.वी.सी,,
चण्डीगढ,,
मानव उत्थान सेवा समिति की ओर से सतपाल महाराज के परम शिष्या महात्मा रतनेश्वरानन्द द्वारा श्री हंस सत्संग मन्दिर सैक्टर 40 चण्डीगढ में दो दिवसिय साधना शिविर का आयोजन किया गया । आसन, प्रणायाम, ध्यान, सत्संग एवं विचार शुद्धिकरण का अपने जीवन में समावेश करने के लिए हिमाचल, हरियाणा, पजाम्ब, चण्डीगढ आदि से लगभग 4भ्0 श्रधालुओं नें इस साधना शिविर का लाभ उठाया । इस शिविर में न केवल मानव उत्थान सेवा समिति ने आध्याçत्मक शçक्तियों का जीवन में महत्व उजागर किया बल्कि समाज में फैली कुरितियों जैसे बाल विवाह, भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, नशा, उन्मूलन, भ्रष्टाचार आदि के खिलाफ एकजुट होकर उन्हे मिटाने का संकल्प दोहराया । महात्मा रतनेश्वरानन्द ने अपने विचारो द्वारा परिवार, समाज व देश में शान्ति, भ्रातृत्व का सन्देश दिया और कहा कि गुरूमुख सदा गुरू की सीख को अपनाता है । गुरमत के रास्ते पर चलता है । जबकि मनमुख ऐसे रास्ते पर चलते है¡, जहां बुराइयां ही बुराइयां हैं काण्टे ही काण्टे हैं । उनकी पीड़ा भी उन्हें महसूस होती है और वह पीड़ा उनकी बेचैनी के रूप में सामने आती है । उन्होने कहा कि आत्म-विद्या साधारण विद्या नही है । आत्म-विद्या का ज्ञानी अपने आप को स्वतंन्न तथा हल्का अनुभव करता है ।
कार्यक्रम में महात्मा रतनेश्वराानन्द के अलावा अजंना बाई, हबिüता बाई, नवनीत बाई व भद्रश्वरी बाई ने भी अपने आध्याçत्मक ज्ञाण से भक्तजनो को लाभविन्त किया । इस भव्य आयोजन में संस्थान की ओर से अनिल गुप्ता, के के खुराना, रिटायर्ड आई पी एस अरूण वोहरा तथा प्रसिद्ध समाज सेवी ओम प्रकाश अग्रवाल आदि विशेष रूप से मौजूद रहे । इस साधना शिविर में उपस्थित लोग मंन्नमुगध हो भçक्तभाव में डूब गए ।