गलती किसकी? मतदाता या अधिकारी की — ईपिक होने के बाद भी नहीं कर सके मतदान

question-markआई एन वी सी ,
भोपाल ,

– मतदाता सूचियों में दिन भर ढूंढते रहे नाम
जिले की सात विधानसभा के लिए 25 नवंबर को हुए मतदान में हजारों लोग मतदान के लिए इधर-उधर भटकते रहे। दरअसल उनका नाम न मतदाता सूची में मिला और न ही निर्वाचन आयोग की वेबसाईट पर सर्च हुआ। ऐसी हालत में बीएलओ ने भी उनकी मदद करने से साफ इंकार कर दिया। अंतत: वे अपने संवैधानिक मताधिकार से वंचित ही रह गए। अब सवाल यह उठता है कि निर्वाचन की प्रक्रिया में इस भारी गफलत के पीछे आखिर गलती किसकी है, मतदाता या अधिकारी की? मतदाता की गलती इसलिए नहीं मानी जा सकती क्योंकि उनके पास मतदान करने के लिए प्रमुख दस्तावेज के रूप में निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदत्त जो ईपिक कार्ड होना चाहिए था, वह मौजूद था। इसके बावजूद उनका नाम सूची से हटना प्रशासनिक व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े करता है। यदि इन मतदाताओं के नाम सूची में होते तो मतदान प्रतिशत 64 नहीं बल्कि 70 प्रतिशत से उपर होता। हालांकि कम प्रतिशत मतदान होने के मामले में मु य निर्वाचन आयोग ने भी संज्ञान लेते हुए कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारी निशांत वरवड़े को नोटिस जारी कर दिया है।
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क्यों नहीं दी जानकारी –
जिन मतदाताओं ने अपने मतदाता परिचय पत्र (ईपिक) 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले बनवाए थे। उनके  नाम 2013 की मतदाता सूची में दर्ज नहीं है। इनमें से जिन लोगों ने नए ईपिक बनवा लिए हैं, उनके नाम जरूर सूची में शामिल हैं। इधर निर्वाचन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि पुराने ईपिक कार्ड जिनके सीरीज , एमपी/30/230, जेएलक्यू व एचडीवाय से प्रारंभ होती है, वे सभी कार्ड जिले के शहरी क्षेत्रों में वितरित किए गए थे। नगर निगम के परिसीमन के बाद वार्ड और क्षेत्र में बदलाव होने के चलते ईपिक में लिखी जानकारी बदल गई। इसके चलते इनको खत्म कर दिया गया। जिस क्षेत्र में मतदाताओं के नाम शि ट हुए उस क्षेत्र की सूची में उनके नाम जोड़ ाी दिए गए। अब सवाल यह उठता है कि जब नामों को दूसरे क्षेत्र में शि ट कर दिया गया तो इसकी जानकारी मतदाताओं तक क्यों नहीं पहुंचाई गई। यही नहीं उनको दूसरे ईपिक बनवाने के लिए भी जागरूक तक नहीं किया गया। सूत्रों की माने तो इन सीरीजों के हटने से सबसे अधिक नुकसान गोविंदपुरा में रहने वाले मतदाताओं को हुआ। यहां की कुछ कालोनियों के 60 से   70 परिवारों के नाम ही सूची से गायब हो गए हैं।
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इनको लौटना पड़ा वापस घर –
महामाई बाग निवासी प्रहलाद का ईपिक नंबर-एमपी/30/239/822638 है, जबकि उनकी पत्नी ईपिक नंबर जेएलक्यू2855047 है। जब वे मतदान करने पहुंचे तो उनका नाम ही सूची में नहीं था। जब इन ईपिक की जांच पड़ताल के लिए जिला निर्वाचन आयोग पहुंचे और वहां सीईओ की साईट पर दिखवाया तो पता चला कि उनके नाम मतदाता सूची में ही नहीं है।  यही स्थिति मतदान के दिन एक नहीं बल्कि अनेक लोगों के साथ हुई। उनके पास पुराने ईपिक तो थे, लेकिन नाम सूची से हटा दिया गया।
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बूथ क्रमांक भी बदले –
ऐसा नहीं है कि मतदाता सूची में मतदाताओं के नामों की गड़बडि?ां केवल पुराने ईपिक को लेकर हुई है, बल्कि नए ईपिक जारी होने के बाद भी मतदाताओं के बूथ बदल दिए गए। नरेला के बूथ क्रमांक-93 की सूची में गोपाल राहुल का नाम दर्ज था। उनका ईपिक नंबर यूआईआर0020545 हैं। मतदान के दिन जो पर्ची आई उसमें भी बूथ क्रमांक- 93 ही लिखा हुआ था, जब वहां की सूची में नाम तलाश तो नहीं मिला। परेशान होने के बाद राहुल नेट कैफे गए और वहां सीईओ मप्र की साईट पर देखा तब उन्हें पता चला कि उनका नाम बूथ क्रमांक 120 में दर्ज कर दिया गया है।
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अलग-अलग बूथों पर किया मतदान –
मु य निर्वाचन पदाधिकारी जयदीप गोविंद, उनकी पत्नी व मां के नाम एक साथ थे। उनकी पचिर्यां तो घर पर नहीं पहुंची लेकिन उनकी मां की पर्ची जरूर पहुंची। वे परिवार के सभी सदस्यों का नाम एक साथ होने की बात को ध्यान में रखकर सरोजनी नायडू स्कूल स्थित पोलिंग बूथ पर पहुंचे तो पता चला कि उनकी माता जी का नाम तो उसी बूथ पर दर्ज है, जबकि उनके व पत्नी के नाम शिवाजी नगर स्थित बूथ पर शि ट हो गए। यही स्थिति जिले के अन्य मतदाताओं के साथ बनी। परिवार में चार मतदाता को चार अलग- अलग बूथों में पहुंचकर मतदान करना पड़ा, जबकि उनके नाम तो एक ही सूची में दर्ज थे।
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सर्वे पर भी उठ रहे सवाल –
पुराने ईपिक वाले मतदाता जब उसी जगह रह रहे हैँ तो उनके नाम सूची से हट जाना, बीएलओ के  सर्वे पर सवालिया निशान खड़े करता है। या तो बीएलओ ने सर्वे सही तरीक से नहीं किया या फिर उसने मतदाताओं को सही जानकारी नहीं दी, जिससे वे अपना नाम सूची में दर्ज कराने के लिए अपना आवेदन भर सकें।
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सनीजा और फजलुर्रहमान निलंबित
– पांच को दिया शोकाज नोटिस
भोपाल।
चुनाव कार्य में लापरवाही बरतना सात लोगों को महंगा पड़ा। कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारी ने बुधवार को दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। साथ ही पांच को शोकाज नोटिस जारी किया है।
निलंबन आदेश में जानकारी दी गई है कि इन्हें चुनाव डयूटी का आदेश लेने से इंकार करने के चलते निलंबित किया है। इसमें भोपाल विकास प्राधिकरण के कार्यभारित लिपिक फजलुर्रहमान और लोक शिक्षण संचालनालय की सहायक ग्रेड तीन सुश्री सनीजा खान शामिल हैं। सुश्री खान ने लाल परेड ग्राउंड सामग्री वितरण स्थल पर स्वेच्छा से अनुपस्थित थीं। बताया जाता है कि सनीजा ने अपनी अनुपस्थिति की सूचना अधिकारियों को देना ही उचित नहीं समझा।

-इन्हें शोकाज
शोकाज नोटिस जिन्हें दिए गए हैं, उनमें सहायक प्राध्यापक योजना एवं वास्तुकला विद्यालय भोपाल के सहायक प्राध्यापक आनंद जयन्त बाडेकर, शासकीय विज्ञान एवं कामर्स महाविद्यालय के प्राध्यापक एसके जैन, कार्यालय आयुक्त उच्च शिक्षा में विशेष कर्तव्य अधिकारी एएस यादव, शा.उच्चतर मा.विद्यालय बालक स्टेशन रोड भोपाल के सहायक शिक्षक वैभव पौराणिक और कार्यालय आयुक्त पुरातत्व अभिलेखागार की प्रयोगशाला सहायक राखी उइके शामिल हैं।
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