केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को शिक्षा-दीक्षा के लिए नवीन ‘बालबंधु योजनाÓ शुरू की है। इसमें मप्र को शामिल नहीं किया है, जबकि छत्तीसगढ़ सहित अन्य नक्सल पीडि़त राज्यों को इसमें शामिल किया गया है।
जबकि मप्र प्रदेश के चंबल क्षेत्र में अब भी कुछ गिरोह सक्रीय हैं। प्रारंभिक तौर पर इस योजना में ९ जिलों को शामिल किया गया है। यह योजना केंद्र के सहयोग से राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने बच्चों को शिक्षित करने के लिए शुरू की थी। इस योजना को शुरू हुए वैसे तो दो साल हो चुके हैं, लेकिन अब तक इसे योजना में शामिल नहीं किया गया है।-यहां लागू योजना
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नवीन बालबंधु योजना की शुरुआत दो साल पहले की थी।
इसे छत्तीसगढ़ में सुखमा, महाराष्ट्र के गढ़चिरौली, आंध्र प्रदेश के खम्मान, बिहार के श्योहार, जम्मुई एवं रोहतास तथा असम के कोकराझार एवं चिरांग शामिल किया गया। इस योजना के तहत वह युवा बच्चों को शिक्षित करते हैं, जो आदिवासी समुदाय के भीतर के ही हैं। उन्हें इसकी टे्रनिंग भी दी जाती है।
बढ़ गई मुश्किलें
बताया जाता है कि जल्दी दूसरे चरण में इसका विस्तार किया जा रहा है। दूसरे चरण में भी मप्र को शामिल नहीं किया गया है। दूसरी ओर प्रदेश के चार जिले को नक्सल प्रभावित माना जाता है। यह बालाघाट, सीधी, मण्डला एवं सिवनी है।
-…और यह भी हैं योजनाएं
बालबंधु योजना के अलावा केंद्र सरकार के सहयोग से अन्य योजनाएं संचालित हैं। प्राप्त जानकारी और आंकड़ों के हिसाब से वाम उग्रवाद प्रभावी जिलों में 77 आवासीय स्कूल एवं छात्रावास संचालित हैं। इसमें 31 हजार 650 बच्चें पढ़ रहे हैं। जो क्षेत्र ज्यादा प्रभावित हैं, वहां कक्षा 6 से लेकर 8 तक के लिए 889 कस्तूरबा गांधी विद्यालय आवासीय स्कूल लड़कियों के लिए खोले गए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नक्सल प्रभावित जिलों में अनुसूचित जनजाति बालिका आश्रम स्कूल और बाल आश्रम का निर्माण करने का निर्णय लिया है। इसके तहत केंद्र से 100 फीसदी आर्थिक मदद इन क्षेत्रों को दी जा रही है।