कांग्रेस की पराजय के परिपे्रक्ष्य में जनादेश 2014

Author Tanveer Jafri, defence, Delhi, India, internationalnewsandviews.com, invc, minister, MP, tanveer jafri, Tanveer Jafri Archives . Articles, tanveer jafri columinst, Tanveer Jafri columnis, Tanveer Jafri Columnist, Tanveer Jafri columnist in India, Tanveer Jafri Former Member of Haryana Sahitya Academy, Tanveer Jafri India, tanveer jafri writer, Tanveer Jafri writer & columnist based in Haryana, Tanveer Jafri वरिष्ठ पत्रकार, लोकसभा चुनाव 2014{ तनवीर जाफरी }  16वीं लोकसभा के परिणाम आ चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इन चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल की है। अन्य राजनैतिक दलों की तो बात ही क्या करनी स्वयं भाजपा के लोग इतनी बड़ी जीत की उम्मीद नहीं कर रहे थे। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी को जिस तरह ही करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है उसकी भी ऐसी दुर्दशा की उम्मीद नहीं की जा रही थी। नरेंद्र मोदी के पीछे चल रही भारतीय जनता पार्टी विशेषकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने इन चुनावों में अपनी जीत दर्ज कराने के लिए क्या-क्या रणनीति अपनाई और किन-किन हथकंडों का इस्तेमाल किया यह एक अलग विषय है। परंतु सबसे बड़ी सोचने की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने आ$िखर ऐसा कौन सा ‘अपराध’ कर दिया था, उसके नेतृत्व,नीतियों तथा शासन व्यवस्था में ऐसी कौन सी कमियां थीं जिनके चलते जनता को कांग्रेस पार्टी को पराजय की उस इंतेहा तक ले जाना पड़ा जहां स्वतंत्रता से लेकर अब तक कांग्रेस पार्टी पहले कभी भी नहीं पहुंची थी। तो क्या भारतीय जनता पार्टी को यह जीत वास्तव में नरेंद्र मोदी द्वारा देश की जनता को दिखाए गए सपनों के कारण हासिल हुई है या फिर यह कांग्रेस के प्रति जनता के $गुस्से का नतीजा है?

कांग्रेस पार्टी की ओर से इस बार भी अपने चुनाव प्रचार में मनरेगा,सूचना का अधिकार,खाद्य सुरक्षा कानून,स्वास्थय का अधिकार जैसी नीतियों की आधी-अधूरी चर्चा की गई तथा उनका श्रेय हासिल करने की नाकाम कोशिश की गई। परंतु इन योजनाओं की भरपूर ‘मार्किटिंग’ न होन पाने के कारण इसका नतीजा कुछ भी नहीं निकला। बजाए इसके चुनाव परिणामों से तो ऐसा प्रतीत हुआ कि देश की जनता इन नीतियों से लाभान्वित होने के बजाए उल्टे इनसे नाखुश ही हो गई हो। इन्ही योजनाओं की तरह यूपीए 2 सरकार ने आधार नामक एक विशाल पहचान योजना शुरु की। इस योजना पर भी सैकड़ों करोड़ रुपये $खर्च हुए। और यह योजना भी अधर में लटक गई। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए2 सरकार ने जितनी भी योजनाएं जनहित के मद्देनज़र चलाने की कोशिश की, देश की जनता ने उन्हें सकारात्मक रूप में स्वीकार नहीं किया। कम से कम जनादेश 2014 के चुनाव परिणाम तो यही बता रहे हैं। गत् वर्ष राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद ही इस बात के संकेत मिलने लगे थे कि अब आम जनता विकास जैसे प्रमुख विषय को इतना महत्व नहीं देती। अन्यथा राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार ने तथा दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार ने किसी अन्य राज्य से कम विकास नहीं किया था। दिल्ली व राजस्थान के राज्य के कई नेता अपने-अपने राज्यों में हार के बाद सा$फतौर पर यह कहते सुनाई दिए थे कि यूपीए सरकार की नाकामियों,भ्रष्टाचार, बदनामियों तथा मंहगाई का ठीकरा जनता ने उनके सिर पर फोड़ा है।

राजस्थान व दिल्ली के परिणाम आने के बाद ही इस बात की संभावना बहुत प्रबल हो गई थी कि लोकसभा 2014 के चुनावों में जनता मनरेगा,आरटीआई,खाद्य सुरक्षा जैसी जनहितकारी नीतियों के पक्ष में या इनसे प्रभावित होकर कांग्रेस अथवा यूपीए गठबंधन के अन्य सहयोगियों को वोट नहीं करने वाली। और नतीजा भी वैसा ही आया। हमारे देश में भ्रष्टाचार और मंहगाई दोनों का ही चोली-दामन का साथ है। मंहगाई भी देश में हमेशा से ही बढ़ती रही है और भ्रष्टाचार भी होते रहे हैं। परंतु यह कहने में कोई संकोच नहीं कि यूपीए 2 के शासन में जितने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुए और जितने अधिक भ्रष्टाचार हुए और इन भ्रष्टाचारों में नेताओं का $खासतौर पर सत्तारुढ़ दल के नेताओं व अति विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी के नेताओं के नाम उजागर हुए उसे देखकर तो ऐसा प्रतीत होने लगा था कि गोया कांग्रेस पार्टी अथवा यूपीए गठबंधन भ्रष्टाचार की ही पर्याय बन कर रह गई है। आज तक इन घोटालों के कई आरोपी यहां तक कि पूर्व मंत्री व सांसद तक जेल की सला$खों के पीछे हैं। एक ओर तो यूपीए सरकार व इसके मुखिया प्रधानमंत्री डा० मनमोहन सिंह एक के बाद एक होने वाले इन ‘मेगा’ घोटालों को रोक पाने में असफल रहे तो दूसरी ओर विपक्ष तथा मीडिया ने मिलकर इन घोटालों को जनता तक पहुंचाने में अपनी पूरी सक्रियता दिखाई। इतनी सक्रियता जितनी कि कांग्रेस पार्टी व यूपीए अपनी जनहितकारी नीतियों के प्रचार को आम जनता तक पहुंचाने में नहीं दिखा सकी। इन्हीं घोटालों के बीच कभी अन्ना हज़ारे जनलोकपाल $कानून बनाने की मांग को लेकर सडक़ों पर यूपीए व कांग्रेस विरोधी लहर बनाते दिखाई दिए तो कभी बाबा रामदेव विदेशों से काला धन वापस लाने की अपनी रटी-रटाई बात पर इस तरह पूरे देश में घूम-घूम कर चर्चा करते दिखाई दिए कि ऐसा लगने लगा कि विदेशों में शायद केवल कांग्रेस पार्टी के नेताओं का ही धन जमा है।

कांग्रेस व यूपीए की हार के लिए दूसरा सबसे बड़ा कारण मंहगाई भी रहा। यदि मान लिया जाए कि मनरेगा,खाद्य सुरक्षा तथा स्वास्थय के अधिकार जैसी योजनाओं से जनता लाभान्वित हो रही है ऐसे में रोज़मर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं विशेषकर खाद्य सामग्री,अन्न,सब्ज़ी,तिलहन व दलहन जैसी वस्तुओं की कीमतें दोगुनी,तिगुनी और चार गुणा बढ़ जाने से आ$िखर मनरेगा और खाद्य सुरक्षा की योजनाओं का लाभ उठाने वालों को क्या $फायदा मिलेगा? जनता इस मंहगाई को लेकर गत् तीन वर्षों से देश में त्राहि-त्राहि करती रही है। डॉलर के मु$काबले में भारतीय मुद्रा का ज़बरदस्त अवमूल्यन होता रहा। परंतु केंद्र सरकार की ओर से कभी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से यह कहा जाता था कि सौ दिन में मंहगाई नियंत्रण में आ जाएगी तो कभी शरद पवार यह बोलते सुने जाते थे कि मंहगाई बढ़ रही है तो मैं क्या करूं? तो कभी वित्तमंत्री के रूप में पी चिदंबरम जनता को यह दिलासा देते हुए सुनते पाए गए कि-मैं हूं न। जनता को महंगाई से होने वाली दु:ख-तकलीफों से बेखबर यूपीए सरकार इसी बात पर अपनी पीठ थपथपाती रही कि जब अमेरिका सहित दुनिया के कई बड़े देशों में मंदी का दौर रहा उस समय भारतवर्ष की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ रही। देश में बढ़ती मंहगाई,आए दिन डीज़ल,पैट्रोल,गैस व खाद्य सामग्रियों में होने वाली बढ़ोतरी से बेपरवाह यूपीए सरकार को इस बात की $गलत$फहमी भी थी कि देश में राष्ट्रीय स्तर का कोई दूसरा राजनैतिक विकल्प नहीं है संभवत: इसलिए भी वह मंहगाई व भ्रष्टाचार को रोकने व नियंत्रित कर पाने में दिलचस्पी नहीं ले रही थी।

डा० मनमोहन सिंह को लेकर दस वर्षों तक एक तर्क यह भी दिया जा रहा था कि चूंकि वे एक अर्थशास्त्री हैं सामाजिक रूप से ज़मीन से जुड़े नेता नहीं इसलिए उनकी सोच जनहितकारी होने के बजाए एक अर्थशास्त्री की सोच है। यानी सर्वप्रथम वे देश के $खज़ाने की चिंता करेंगे उसके बाद जनता की जेब की। ज़ाहिर है भारतवर्ष जैसा देश जहां लोकहितकारी या राष्ट्रहितकारी नीतियां नहीं बल्कि लोकलुभावनी नीतियां व वादे ज़्यादा पसंद किए जाते हों वहां अर्थशास्त्री की सोच कोई मायने नहीं रखती। और जनता ने चुनाव में मौ$का मिलते ही यह साबित भी कर दिया कि नेता की $काबिलियत,अर्थशास्त्र में उसकी महारत या नेहरू-गांधी परिवार की कुर्बानियों के इतिहास को दोहरा कर अब जनता वोट नहीं देने वाली। आम जनता अब घोटालों,भ्रष्टाचार,मंहगाई जैसी आम जनजीवन से जुड़ी रोज़मर्रा की बातों को लेकर ज़्यादा चिंतित व गंभीर है। इन्हीं बातों को लेकर जनता ने अपना $गुस्सा कांग्रेस व यूपीए गठबंधन पर निकाला है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने निश्चित रूप से कांग्रेस व यूपीएगंठबंधन की इन्हीं नाकामियों का लाभ उठाया है। भाजपा को भी नरेंद्र मोदी के वादे के अनुसार जनता ने 60 महीने का समय दिया है। बावजूद इसके कि येदिउरप्पा जैसे नेता भाजपा के साथ खड़े हैं फिर भी यदि वे अपने शासनकाल में भ्रष्टाचार व मंहगाई को यथाशीघ्र संभव रोक नहीं सके तो ऐतिहासिक राजतिलक करने वाली देश की जनता कांग्रेस पार्टी की ही तरह इन्हें भी सिंहासन से उतारने में हरगिज़ नहीं चूकेगी।

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Tanveer Jafri,Author Tanveer Jafri, defence, Delhi, India, internationalnewsandviews.com, invc, minister, MP, tanveer jafri, Tanveer Jafri Archives . Articles, tanveer jafri columinst, Tanveer Jafri columnis, Tanveer Jafri Columnist, Tanveer Jafri columnist in India, Tanveer Jafri Former Member of Haryana Sahitya Academy, Tanveer Jafri India, tanveer jafri writer, Tanveer Jafri writer & columnist based in Haryana, Tanveer Jafri वरिष्ठ पत्रकार, लोकसभा चुनाव 2014**Tanveer Jafri –  columnist,(About the Author) Author Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc. He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.Contact Email : tanveerjafriamb@gmail.com
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*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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