कवि हेमंत देवलेकर की चुनी हुई कविताएं

मिट्टी

पत्थरों की हड्डियाँ हैं मिट्टी के जिस्म में
 जड़ें शिराएँ,
गहराईयों में चुपचाप सरकता पानी
 वीर्य है मिट्टी का।

 फूल मिट्टी का हँसता हुआ चेहरा
 तितलियाँ उस हँसी में खिले हुए गड्ढे।

 मिट्टी का स्वाद है अनाज
 वृक्ष महत्वाकांक्षा मिट्टी की
 वसंत मिट्टी के जन्म का उत्सव।

 पत्तियाँ मिट्टी की अनन्त हथेलियाँ
 जो आशीर्वाद की मुद्रा में झुकी हैं
 छाया बन
 उनका बजना मिट्टी के साँस लेने की आवाज़ है,
पंछियों के कंठ से मिट्टी ही गाती है।

 मिट्टी में जीवों के वैभवशाली नगर हैं
 फल मिट्टी का गर्भ,
कुआँ मिट्टी का गड़ा हुआ धन
 और बादल कामेच्छा है मिट्टी की।

 बारिश से सहवास के समय
 मिट्टी की देह से निकली गंध
 दुनिया की पुरातन सुगंध है

 पृथ्वी के साथ ही मिट्टी पैदा हुई
 यह हमारी सबसे आदिम सम्पत्ति

 मृत्युएँ हमें फिर मिट्टी में बो देती हैं
 लेकिन हम मिट्टी में प्लास्टिक का अनश्वर कचरा
 बोकर उसे मृत्यु तक पहुँचा देते हैं।

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रौशनियों के प्रतिबिंब
(बड़ी झील पर रात में अक्सर)

अंधेरे के घनघोर झुरमुट में
 नींद की तरह पडे़ पत्तों पर
 एक चमकदार हरी इल्ली है
 जो रेंगना भूलकर
 ठिठकी सी खड़ी है।

 पत्तियों की पतली रेशेदार झिल्ली में
 हर वक़्त कुछ कंपकंपाता रहता है,
पक्षियों की सफेद बीट-सा
 पड़ा हुआ है चाँद उस पर,

दूर कहीं एक लंबी टहनी है
 जिस पर किसी और ही दुनिया से
 आ रही है धूप
 उस पर रौशनी की चींटियों ने
 नाक से नाक मिलाते हुए
 मचा रखी है भागमभाग
 और ये रात सो नहीं पा रही,

अचानक कहीं से घुरघुर करता एक जुगनू
 आकर
 दूर अंधेरे में धँस जाता है

 हवा के थपेड़ों से कितनी पत्तियाँ उड़ीं
 और लहरें बनी
 मगर एक चमकदार हरी इल्ली है
 सिमटी हुई, जहाँ की तहाँ रुकी हुई
 ख़ामोश……

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Hemant 11परिचय – :  

हेमंत देवलेकर

रंगकर्म
 उज्जैन में शिप्रा संस्कृति स्थान एवं भोपाल में वरिष्ठ रंग निर्देशक श्री लखनंदन के नाट्य  समूह नट बुंदेले में अभिनय  और अन्य रंगमंचीय धाओं में सक्रियता, बाल नाटकों का  लेखन.

 

 प्रकाशन    एक कविता संग्रह प्रकाशित – हमारी उम्र का कपास धीरे-धीरे लोहे में बदल रहा है” विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित.
स्थायी पता
17, सौभाग्य, राजेन्द्र नगर, शास्त्री नगर के पास,नीलगंगा, उज्जैन पिनकोड- 456010 (म0प्र0)  मोबाईल – 090398-05326

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2 COMMENTS

  1. वाह ,शानदार कविताएं ,पढ़ कर ,फिर पढ़ने का मन हुआ

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