जयपुर,
हिलव्यू पब्लिकेशन की ओर से जेकेके के शिल्पग्राम में आयोजित किए जा रहे दस दिवसीय पिंकसिटी आर्ट-कल्चर-लिटरेचर फेस्टिवल एवं बुक फेयर के आठवें दिन शुक्रवार का आगाज पोस्टकार्ड लेखन प्रतियोगिता से हुआ। इसमें बियानी कॉलेज, एसएसजे स्कूल एंड कॉलेज, एमजीडी स्कूल व स्वामी विवेकानंद स्कूल सहित शहर के अन्य स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया। इसके बाद दोपहर को खुला मंच पर थिएटर कार्यक्रमों की शृंखला शुरू हुई। इसमें राजस्थान संगीत संस्थान के छात्र सुनील सोगन ने हिरण्यकश्यप नाटक पर एकल प्रस्तुति दी। वहीं सक्षम सोनी ने मूक अभिनय और रीना जांगिड़ ने रानी लक्ष्मीबाई आधारित नाटक प्रदर्शित किया। इसके बाद समूह प्रस्तुतियों में सार्थक थिएटर ग्रुप के देवराज यादव एंड ग्रुप ने महात्मा गांधी के बचपन को बयां किया। मुस्कान मेहता एंड ग्रुप ने पानी बचाने की सीख दी। जयश्री चौहान एवं समूह ने कामकाजी महिलाओं के दर्द-शोषण को आवाज दी। रामचरण मीणा एवं समूह ने बाल विवाह पर आधारित नाटक पेश कर बच्चों को शिक्षित करने और उनके परिवारजनों को अपने बच्चों का कम उम्र में विवाह नहीं करने की अपील की।
गांधी के सपनों का भारत कहां!
शहीद दिवस के अवसर पर आयोजित गांधी के सपनों का हिंदुस्तान: सपना या हकीकत विषयक परिचर्चा में पद्मश्री डीआर मेहता, एसएस बिस्सा, रिजवान एजाजी, संगीता गर्ग, पंचशील जैन तथा नंद भारद्वाज ने गांधी के ख्वाबों के मुल्क पर चर्चा की। इसमें गांधी के बाद के भारत और उसकी दशा-दिशा पर भी चिंतन हुआ। चर्चा में भारद्वाज ने कहा कि देश गांधी के रास्ते से भटक गया है। वहीं एजाजी ने मुल्क को दोबारा विश्वगुरु बनाने और सभी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए पुन: गांधीवाद की ओर चलने का संकल्प लेने की अपील की। बिस्सा ने देश को नए सिरे से गांधीवाद को समझने की वकालत की। जैन ने गांधी को असल मायनों में समझने की दरकार बताई।
फिजा में घुली संस्कृति की महक
शाम को खुला मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का दौर चला, जिसमें विभिन्न कलाकारों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने उपस्थित दर्शकों को संस्कृति की सौंधी महक का अहसास कराया। नवोन्मेष कार्यक्रम के तहत आयोजित इन प्रस्तुतियों में कलाकार स्वप्न सेठ ने वायलिन पर मनोहारी प्रस्तुति दी। इसके बाद संगीत गुरु गिरधारी महाराज के शिष्यों ने विभिन्न नृत्यों की प्रस्तुति दी। वहीं संस्कृति डांस एकेडमी की ओर से भगवान विष्णु के दस रूपों पर आाधरित क्लासिकल तराना दशावतार पेश किया गया। आगंतुकों ने इन सभी प्रस्तुतियों के साथ-साथ बुक फेयर में मौजूद पांच लाख से अधिक किताबों में से अपनी पसंदीदा पुस्तकों का भी चयन किया। साथ ही मेले में अन्य कलात्मक उत्पादों के संग फूड जोन में चटपटे व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया।
गांधी के सपनों का भारत कहां!
शहीद दिवस के अवसर पर आयोजित गांधी के सपनों का हिंदुस्तान: सपना या हकीकत विषयक परिचर्चा में पद्मश्री डीआर मेहता, एसएस बिस्सा, रिजवान एजाजी, संगीता गर्ग, पंचशील जैन तथा नंद भारद्वाज ने गांधी के ख्वाबों के मुल्क पर चर्चा की। इसमें गांधी के बाद के भारत और उसकी दशा-दिशा पर भी चिंतन हुआ। चर्चा में भारद्वाज ने कहा कि देश गांधी के रास्ते से भटक गया है। वहीं एजाजी ने मुल्क को दोबारा विश्वगुरु बनाने और सभी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए पुन: गांधीवाद की ओर चलने का संकल्प लेने की अपील की। बिस्सा ने देश को नए सिरे से गांधीवाद को समझने की वकालत की। जैन ने गांधी को असल मायनों में समझने की दरकार बताई।
फिजा में घुली संस्कृति की महक
शाम को खुला मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का दौर चला, जिसमें विभिन्न कलाकारों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने उपस्थित दर्शकों को संस्कृति की सौंधी महक का अहसास कराया। नवोन्मेष कार्यक्रम के तहत आयोजित इन प्रस्तुतियों में कलाकार स्वप्न सेठ ने वायलिन पर मनोहारी प्रस्तुति दी। इसके बाद संगीत गुरु गिरधारी महाराज के शिष्यों ने विभिन्न नृत्यों की प्रस्तुति दी। वहीं संस्कृति डांस एकेडमी की ओर से भगवान विष्णु के दस रूपों पर आाधरित क्लासिकल तराना दशावतार पेश किया गया। आगंतुकों ने इन सभी प्रस्तुतियों के साथ-साथ बुक फेयर में मौजूद पांच लाख से अधिक किताबों में से अपनी पसंदीदा पुस्तकों का भी चयन किया। साथ ही मेले में अन्य कलात्मक उत्पादों के संग फूड जोन में चटपटे व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया।