ओमप्रकाश नदीम की ग़ज़ल

आज नहीं तो कल बदलेंगे मौसम के हालात
कुछ तो हद है आख़िर कब तक होगी ये बरसात

प्यार-मोहब्बत,इश्क़-ओ-वफ़ा के इंसानी जज़्बात
मुफ़्त मिले हैं हमको, हम भी बाँटेंगे खैरात

सूरज को गंदा करने का देख रहे हैं ख़्वाब
आँधी के झोंके में ज़र्रे भूल गए औक़ात

कुछ अंगारे इसने डाले कुछ डाले उसने
मुझको जला कर सेंक रहे हैं दोनों अपने हाथ

इस दुनिया में मैनें देखी हैं दो दुनियाएँ

इक दुनिया में दिन होता है इक दुनिया में रात

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ओम प्रकाश नदीम , एकाउंट आफ़ीसर, लखनऊ

निवासी – फतेहपुर उ. प्र.

 

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