हम सभी जानते हैं कि ऊर्जा दुर्लभ और महंगी है और ऐसे समय में जब देश ऊर्जा की कमी का सामना कर रहा है, इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। ऊर्जा प्रबंधन ऊर्जा कौशल ऊर्जा क्षेत्र के लिए नवयुगीन मांग है। 2012 तक सभी के लिए ऊर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विकसित नीति के साथ ऊर्जा कौशल को प्रोत्साहन देना और देश में ऊर्जा का संरक्षण शामिल है। यह मांग और आपूर्ति के बीच अंतर को कम करने का सबसे किफायती उपाय है।
नीति
ऊर्जा बचत की विशाल क्षमता और ऊर्जा कौशल के लाभों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 पारित किया। इस अधिनियम में केन्द्रीय और राज्य स्तर पर वैधानिक ढांचे, संस्थागत व्यवस्था और नियामक तरीके का प्रावधान है ताकि देश में ऊर्जा कौशल का अभियान चलाया जा सके।
सरकार ने 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के दौरान 10,000 मैगावाट की अतिरिक्त क्षमता के बराबर ऊर्जा की बचत का लक्ष्य रखा है। ऊर्जा मंत्रालय के अधीन स्वायत्तशासी निकाय ऊर्जा कौशल कार्यालय ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए छह राष्ट्रीय योजनाओं की शुरूआत की है। ये विभिन्न क्षेत्र हैं – व्यावसायिक भवन, उपभोक्ताओं के लिए मानक, उपकरण और यंत्र, कृषि और नागरिक मांग प्रबंधन, लघु और मझौले उद्यम, प्रकाश-व्यवस्था और बड़े उद्योगों के लिए ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार।
सभी योजनाएं सरकार द्वारा स्वीकृत हैं और कार्यान्वित की जा रही हैं। ऊर्जा कौशल कार्यालय को प्रदत्त अन्य महत्वपूर्ण भूमिका संस्थागत ऊर्जा बचत की क्षमता को सुदृढ करना है। राज्य स्तर पर गठित ये संस्थाएं राज्य निर्दिष्ट एजेंसियों (एसडीए) के जरिये इन योजनाओं पर नजर रखती हैं। इसका उद्देश्य अपने -अपने राज्यों में ऊर्जा कौशल उपायों का कार्यान्वयन करवाना, अपनी मध्यस्थता से ऊर्जा की बचत का पता लगाना और ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 के प्रावधानों को कार्यान्वित कराना है।
2008-09 की उपलब्धियां
सरकार के ऊर्जा कौशल संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों से ऊर्जा की बचत 2008-09 में करीब 51 लाख टन ईंधन के बराबर रही। यह देश में ऊर्जा की कुल आपूर्ति का लगभग एक प्रतिशत है। विद्युत बचत 6.6 अरब यूनिट यानि देश में बिजली की खपत के एक प्रतिशत के बराबर रही जो पैदा न की गई 1505 मेगावाट बिजली के बराबर थी।
ये बचत ऊर्जा कौशल कार्यालय (बीईई) के तारांकित फ्रिजों और एयर कंडीशनरों की अधिक बिक्री, उद्योग में संवृध्द ऊर्जा कौशल और सरकार द्वारा संचालित सीएफएल कार्यक्रमों के कारण संभव हो पाई है। 2008-09 में बेचे गए कुल फ्रिजों में से करीब 75 प्रतिशत तारांकित थे, जबकि पिछले वर्ष तारांकित फ्रिजों की बिक्री 50 प्रतिशत से भी कम रही थी। जहां तक एयर कंडीशनरों का संबंध है 2008-09 में बेचे गए लेबलशुदा उत्पाद 50 प्रतिशत थे जबकि एक वर्ष पहले इनका प्रतिशत 12 प्रतिशत रहा था। अकेले इन दो उत्पादों से 2.12 अरब यूनिट बिजली की बचत हुई।
बिजली की इस बचत को राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद द्वारा सत्यापित किया गया था। सरकार के ऊर्जा कौशल कार्यक्रमों से संबंधित उत्पादित परिहरित क्षमता 2007-08 में 621 मेगावाट रही। इस प्रकार 11वीं योजना के पहले दो वर्षों के लिए कुल परिहरित क्षमता 2126 मेगावाट रही। चालू वर्ष 2009-10 के लिए लक्ष्य 2600 मेगावाट है और 11वीं पंचवर्षीय योजना का संचित लक्ष्य 10,000 मेगावाट है।
ऊर्जा कौशल कार्यालय (बीईई) के महानिदेशक का कहना है कि ऊर्जा की बचत वास्तव में राष्ट्रीय कार्यक्रम है इसलिए हम सभी को मिलकर भारत को ऊर्जा कौशल अर्थव्यवस्था बनाने का हर संभव प्रयास करना होगा।
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