आई एन वी सी न्यूज़
लखनऊ,
देश की केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं के कारण प्रदेश में निवेश बढ़ा है। अब उत्तर प्रदेश निवेशकों के लिए अपार संभावनाओं वाला प्रदेश है। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश का निर्यात जहां 84 हजार करोड़ रहा था, वहीं अब बढ़कर एक लाख 21 हजार करोड़ हो गया है, जोकि आगामी तीन वर्षों में तीन लाख करोड़ रुपये तक बढ़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बावजूद भी उत्तर प्रदेश से उत्पादों का निर्यात कम नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के साढ़े चार साल के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश निवेशकों के लिए सबसे आकर्षक निवेश स्थल बन गया है और महाराष्ट्र के बाद यूपी दूसरे स्थान पर है।
श्रीमती पटेल ने यह विचार आज इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में देश की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाये जा रहे आजादी का अमृत महोत्वस की श्रृंखला में आयोजित दो दिवसीय वाणिज्य उत्सव के शुभारम्भ अवसर पर व्यक्त किये। उन्होंने परिसर में लगी एमएसएमई प्रदर्शनी का शुभारम्भ और निर्यात संवर्धन पुस्तिका का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव भारत के विकास के जश्न का महोत्सव है। सभी देशवासियों को इसे मिलकर मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोराना महामारी के कारण ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। इसके बावजूद पिछले पांच महीनों में देश से 98 बिलियन डालर मूल्य के उत्पादों का निर्यात हुआ है। इस वर्ष 164 बिलियल डालर का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2026-27 तक देश से 02 ट्रिलियन डालर एक्सपोर्ट का लक्ष्य निर्धारित किया है। आत्मनिर्भर भारत की इस परिकल्पला को साकार करने में निर्यातकों की अहम भूमिका होगी। इसके लिए एक्सपोर्ट से जुड़े सभी स्टाक होल्डर्स को एक मंच पर आकर सरकार के साथ मिलकर एकजुट प्रयास करने होंगे।
श्रीमती पटेल ने राज्य सरकार की सरहाना करते हुए कहा कि देश के निर्यात में 5.6 प्रतिशत की भागीदारी उत्तर प्रदेश की है। सरकार के निर्यात संवर्धन नीति की दृष्टि से योजनाएं लागू की है। प्रदेश से कुल निर्यात का 80 फीसदी ओडीओपी उत्पादों से किया जा रहा है। अक्टूबर से आयोजित होने वाले दुबई एक्सपों में ओडीओपी कारीगरों की प्रतिभागिता कराई जा रही है। लखनऊ की चिकनकारी पूरे विश्व में पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर जिले के महत्वपूर्ण पारंपरिक उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां एग्रो प्रोडक्ट्स के निर्यात को प्रोत्साहित करने हेतु अलग से निवेश नीति बनाई गई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री जी ने सभी जनपदों को एक्सपोर्ट हब के रूप विकसित करने संकल्प लिया था। केन्द्र सरकार द्वारा 739 जिलों का डिस्ट्रिक्ट एक्सपोर्ट प्लान तैयार कराया जा रहा है, जिसमें से 464 जिलों का प्लान तैयार हो चुका है।
उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह ने कहा कि सम्पूर्ण संसार में भारत वर्ष वाणिज्य के क्षेत्र में सर्वोपरि था, तभी भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। प्रधानमंत्री जी ने वाणिज्य के क्षेत्र में हिन्दुस्तान की जो छवि बनाई है, उसकी जितनी तारीफ की जाय वह कम है। उन्होंने कहा कि देश में उत्तर प्रदेश पांचवां सबसे बड़ा निर्यातक राज्य है, जबकि उत्तर प्रदेश लैण्ड लॉक राज्यों की श्रेणी में आता है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश से 121148 करोड़ रुपये मूल्य के उत्पादों का निर्यात किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश से निर्यात बढ़ाने के लिए नई राज्य निर्यात नीति लागू की गई है। जिसमें निर्यातकों की सुविधओं को बढ़ाया गया है। ओडीओपी योजना को निर्यात के साथ जोड़ा भी गया है।
अपर मुख्य सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम डा0 नवनीत सहगल ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में निर्यात बहुत बड़ा साधन है। उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। उन्हांेने कहा कि लैण्ड लॉक स्टेट होने के कारण निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा ज्यादा है। इसको दृष्टिगत रखते हुए फ्रेट सब्सिडी में वृद्धि की गई है। राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मेलों तथा प्रदर्शिनियों में उद्यमियों की भागीदारी बढ़ाई जा रही है। उत्पादों की मार्केटिंग के लिए ई-कॉमर्स पोर्टल से एमओयू किया गया है। साथ ही प्रदेश से सर्विस एक्सपोर्ट को बढ़ावा भी दिया जा रहा है। अगले तीन वर्षों में 03 लाख करोड़ के निर्यात का लक्ष्य है।
कार्यक्रम में संयुक्त सचिव, वाणिज्य विभाग, भारत सरकार श्री अनन्त स्वरूप, प्रमोशन काउंसिल ऑफ इण्डिया के चेयरमैन श्री महेश विश्नोई ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर आयोजित तकनीकी सत्र में ओडीओपी कार्यक्रम की निर्यात संवर्धन एवं रोजगार सृजन में भूमिका, कृषि निर्यात नीति, निर्यात नीति एवं अन्तर्निहित लाभ तथा निर्यात प्रोत्साहन में लॉजिस्टिक व पूर्ति श्रंखला की भूमिका पर विस्तार से चर्चा हुई। प्रश्नोत्तर सत्र के साथ-साथ विचार-विमर्श व आपसी संवाद भी किया गया है।