पर्यटन के हिसाब से विश्व में प्रसिद्द उत्तराखंड का पहाड़ी क्षेत्र आज किस हालत में है कोई सुध लेने वाला नहीं है, खास तौर पर जंगली जानवरो द्वारा की जा रही तबाही पर, पहाड़ों में जिंदगी यूं भी मुश्किल होती है, बाकि रही कसर बंदरों व जंगली सूअरों ने तबाही मचाकर पूरी कर दी है । रोज दिन में बन्दर व रात को जंगली सूअर खेतों में घुस फसल को बर्बाद कर रहे हैं। उत्तराखंड के नक़्शे को कुदरत ने एक विशेष दिन इतमिनान से बैठकर बनाया होगा, उत्तराखंड का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि मानव जाती का, इतनी सारी खुबिया होने के बाद भी उत्तराखंड के निवासी रोजगार की तलाश में लगातार पलायन कर रहे हैं क्योंकि रोजगार का अभाव तो है ही और खेती भी कोई खास नहीं होती , तो क्या सरकार कुछ सोचेगी कि जो गरीब लोग या जिनको अपनी जन्म भूमि से प्यार है, और वे लोग उत्तराखंड में रहना चाहते हैं, तो क्या वो लोग भी पलायन कर जायें, अब सवाल है कि यह सब हुआ कैसे कि जहाँ आज तक सब कुछ सही था यह हालत हुई कैसे और इसका समाधान क्या है ।
इसका मुख्य कारण है जंगलो का विनाश, जहां पर जानवरो को खाने के लिए खुछ बचा नहीं है । तथा स्थानीय लोगो के अनुसार पहले भी बन्दर होते थे जो साल में कभी कभार दिखते थे पर अब तराई क्षेत्र से लाकर पहाड़ों पर छोड़ दिये गए बंदरो ने लोगो का जीना मुश्किल कर रखा है, जो खेतों में घुस फसल को बर्बाद तो कर ही रहे हैं, और घरों में घुसकर भी काफी नुक्सान पंहुचा रहे हैं । व सूअर तो दिखते भी नहीं थे, लेकिन जब से जंगलो का नाश हुआ है तब से सुअरो का गाँव मैं आकर खेती को उजाडना आम बात है । अब हालत यह है कि लोगो ने खेती करना बहुत कम कर दिया है । एक तो रोजगार का अभाव और ऊपर से इस तरह की समस्या तो उन लोगो का क्या होगा, जो अपनी जन्म भूमि में रहकर अपना जीवन निर्वाह करना चाहते हैं । इलाके के जनप्रतिनिधियों से भी सवाल है कि इलाके की जनता खाली वोट तक ही सिमित है या उनको भी अच्छी तरह जीने का अधिकार है तो इस बड़ी समस्या पर कुछ बिचार कर लोगो का दर्द समझेंगे और स्थानी लोगो से निवेदन है कि जंगलो का बचाव ही पहाड़ी क्षेत्र का बचाव है ।