आर्ट आॅफ लिविंग बनाम यमुना प्रकरण – अगर वह न चेते, तो हमें चेत होगा

 

– अरुण तिवारी –

तिथि: 24 फरवरी, 2016 अखबार: अमर उजाला, संस्करण: लखनऊ, विचारणीय:  दो समाचार –

shri shri ravi shankar1. पहले उत्कृष्ट कार्य हेतु पुरस्कृत और फिर चंद मिनट बाद रेलवे टैªक पर पेशाब करने के जुर्म में चैरीचैरा स्टेशन के स्टेशन सुपरिटेंडेंट सस्पेंड।
2. बोट क्लब के पास यमुना तट (इलाहाबाद) पर लघुशंका करने आरोप में एडीएम (नजूल) ओ पी श्रीवास्तव फंसे; फोटो हुआ वायरल।
एक तरफ स्वच्छता में छोटी सी चूक पर इतना बवाल, ऐसी कार्रवाई और प्रदेश के प्रमुख अखबार में मय फोटो पूरे तीन काॅलम खबर, दूसरी तरफ एक तीन दिवसीय उत्सव (11-मार्च, 2016) के लिए आर्ट आॅफ लिविंग द्वारा दिल्ली में यमुना की छाती पर डम्पिंग, निर्माण, 35 लाख लोगों द्वारा नदी तट रौंदने की तैयारी, परिणामस्वरूप होने वाले कचरे और यमुना की ज़मीन पर कब्जे की आशंका के बावजूद दिल्ली के सभी प्रमुख अखबारों/चैनलों में घटाघोप चुप्पी!!

शुचिता के खिलाफ उक्त घटनाओं पर हमारी प्रतिक्रियाओ में इतना विरोधाभास क्यों ?

यह विरोधाभास शायद इसलिए है कि गंदगी फैलाने वाले श्रीवास्तव और स्टेशन सुपरिटेंडेंट.. छोटे से अफसर हैं और दिल्ली के हिस्से की यमुना को रौंदने का आयोजन करने वाली शख्सियत विश्वविख्यात श्री श्री रविशंकर हैं, उसके उद्घाटन में प्रधानमंत्री की मौजूदगी हैं और समापन सत्र में महामहिम राष्ट्रपति जी की। दरअसल, यह विरोधाभास, वर्तमान व्यवस्था का भ्ी सच है और हमारी मानसिकता का भी।

विचारणीय प्रश्न

निस्संदेह, यमुना तट पर पेशाब करना धर्म विरुद्ध कार्य है। सार्वजनिक पद पर बैठे को व्यक्ति तो अपने सार्वजनिक जीवन में विशेष सावधानी रखनी ही चाहिए। इससे भला किसे इंकार हो सकता है, किंतु दिल्ली यमुना तट पर जो हो रहा है, यह ? यह क्या धर्म सम्मत कार्य है ??

कितना धर्मसम्मत आयोजन स्थल का चुनाव ?

दिल्ली की यमुना में भले ही आज की तारीख में जल की बजाय, मल बहता हो; भले ही यमुना की ज़मीन पर समाधि, बिजली घर, मेट्रो, माॅल, खेलगांव और अक्षरधाम जैसे प्रकृति विरुद्ध निर्माण पहले हो चुके हों, किंतु क्या हम इस बिना पर यमुना के छाती पर आगे निर्माण, कब्जा और कचरा फैलाने की इज़ाजत दें ? ऐसा करके हम दिल्ली मेें यमुना पुनरोद्धार की बची-खुची संभावनायें भी समाप्त कर देना क्या धर्मसम्मत होगा ? क्या हम भूल जाना धर्म सम्मत है कि मयूर विहार फेज-एक के सामने जिस इलाके में आर्ट और लिविंग का आयोजन होने वाला है, वहां यमुना के भीतर जल का एक ऐसा गहरा एक्युफर वास करता है, जिसके जरिए यमुना हमें वैसे ही जलपान कराती है, जैसे कोई मां अपने स्तनों से अपने शिशु को दूध ?
(महत्वपूर्ण तथ्य: स्पंजनुमा गहरे एक्युफर में जल को संजोकर रखने के कारण, यमुना का मयूर विहार फेज-वन क्षेत्र मां यमुना के स्तर सरीखे ही हैं।)


क्या निराधार है यह आशंका ?

क्या हम इस सत्य को भी भूल जायें कि यदि एक बार यमुनाजी की छाती पर इतने बङे आयोजन स्थल के तौर पर दिल्लीवासियांे ने मंजूर कर लिया, तो यह एक नज़ीर बन जायेगा। आज एक उत्सव हो रहा है, कल यमुना की छाती, तमाम तरह के आयोजनों का अड्डा बना जायेगी; रामलीला मैदान के लिए हुंकार के लिए राजनेताओं को भी फिर यहां आगे होने वाले आयोजनों को कोई नहीं रोक सकेगा; यमुना के स्तन सूख जायेंगे, दिल्ली, पानी के मामले में पूरी तरह परजीवी हो जायेगी और दिल्ली में यमुना की बहने की आज़ादी निरंतर कम होती जायेगी; बावजूद, इस आशंकाओं और संभावनाओं के मीडिया चुप हैं और केन्द्र व दिल्ली शासन भी; क्यों ?
एक अक्षरधाम बनने के बाद यमुना की छाती पर क्या-क्या हुआ, क्या हम भूल गये ? यमुना बाढ़ क्षेत्र में खलल पैदा करना, यमुना की आ़जादी में ही खलल है, यह दिल्लीवासियों के पीने के पानी, किसानों की रोजी-रोटी और मवेशियों के चारागाह भी खलल है। क्या यह चुप रहने की बात है ??

उठने लगी है आवाज़

हम मुद्दे के पक्ष-विपक्ष की बजाय, स्वयं को व्यक्ति अथवा दलों के खेमों में खङा करके निर्णय लेने लगे हैं। ऐसे विरोधाभासों को लेकर, हमने अब अपनी आत्मा की आवाज़ और वाजिब तर्काें… दोनो की सुननी भले ही बंद कर दी हो; हमंे भले ही यमुना से ज्यादा, राजनैतिक खेमों की चिंता हो; किंतु कुछ सिरफिरे यमुना प्रेमी हैं, जिन्हे अभी भी यमुना की ही चिंता है। वे भवानी भाई के आहृान की राह चल पङे हैं:


”अभागों की टोली का सुर जब चढे़गा
तो दुनिया का मालिक नया कुछ गढे़गा
अगर वह न चेते, तो हमें चेत होगा
हमारा नया घर, नया खेत होगा
छिनाये हुए को चलो छीन लाओ,
कि गा गा के दुनिया को सिर पर उठाओ
चलो गीत गाओ, चलो गीत गाओ…”

याचिका पर कवायद रफ्तार पर

गौरतलब है मयूर विहार मेट्रो स्टेशन के सामने के यमुना हिस्से में चल रहे उत्सव तैयारी के खिलाफ ’यमुना जीये अभियान’ की पहल पर दायर याचिका पर राष्ट्रीय हरित पंचाट ने सुनवाई शुरु कर दी है। 17, 19, 21, 23 और फिर 24 फरवरी…लगातार कवायद जारी है। प्रो. सी. आर. बाबू, प्रो. जी. के गोसाईं, प्रो बृजगोपाल और जलसंसाधन मंत्रालय के सचिव श्री शशिशेखर ने मौके का मुआयना कर लिया है। 23 फरवरी को उन्होने अपनी सीलबंद रिपोर्ट, माननीय राष्ट्रीय हरित पंचाट को सौंप दी है। याची के वकील श्री ऋितिक दत्ता ने भी मौके पर हो रहे तैयारी कार्य संबंधी दस्तावेज व फोटो माननीय पंचाट के दे दिए हैं।
वन एवम् पर्यावरण मंत्रालय को भी कहा गया है कि वह भी अपनी मौका-रिपोर्ट दे। मंत्रालय के वकील ने अपने संदर्भ के लिए सीलबंद रिपोर्ट की प्रति मांगी थी, किंतु पंचाट ने इसे नकार दिया। पंचाट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण तथा आर्ट आॅफ लिविंग को कहा है कि वे बाढ़ भूमि का उपयोग करने, न करने तथा मलवा गिराने व हटाने को लेकर नये सिरे से अपना शपथ पत्र जमा करें।


आईना दिखाने को मज़बूर हुआ श्री श्री भक्त

एक तरफ हरित पंचाट ने यमुना बाढ क्षेत्र सुरक्षा को लेकर थोङी सी उम्मीद बंधाई है, तो दूसरी ओर श्री श्री ने एक अखबार में यह बयान देकर और निराश कर दिया है कि मौके पर मलवा डंप करने आदि की बात गलत है। श्री श्री ने आयोजन से यमुना को नुकसान की बजाय, फायदा होने के पक्ष में तर्क दिया है कि उनके समर्थक एक ऐसा एंजाइम लाकर दिल्ली के 17 नालों में डालेंगे, जिनसे यमुना को साफ होने में मदद मिलेगी।
विश्व सांस्कृतिक उत्सव आयोजन के लिए यमुना बाढ़ क्षेत्र का चुनाव करने व दिए तर्क से नाराज श्री श्री भक्त श्री केतन बजाज जी ने श्री श्री के नाम एक खुला खत लिखकर, उनके द्वारा दिए जाने वाले शांति और अहिंसा प्रिय उपदेश की याद दिलाई है। श्री बजाज ने श्री श्री से अनुरोध किया है कि वह जीवन में तनाव घटाने की कला सिखाते हैं, किंतु आर्ट आॅफ लिविंग का यह आयोजन, यमुना जी के जीवन में तनाव बढ़ा देगा; लिहाजा, यमुना को आर्ट आॅफ लिविंग की हिंसा से बचायें।
इसी तरह नोएडा के श्री आनंद आर्य ने भी श्री श्री को पत्र लिखकर, अपने शंाति संदेशों के आइने में झांकने का अनुरोध किया है।

श्री श्री से निराश दिलों ने शुरु किया चेतना अभियान

हालांकि विश्वास के स्तंभों का टूटना अक्सर अच्छा नहीं होता। श्री श्री के प्रति विश्वास का टूटना भी अच्छा नहीं होगा। विश्वास न टूटे; इस दृष्टि से श्री बजाज और श्री आर्य के पत्र निश्चित ही बेशकीमती हैं। इसी दृष्टि से यमुना चेतना अभियान द्वारा श्री श्री को आर्ट आॅफ लिविंग के कृत्य और  उनके बयान के नुकसानदेह आयामों से अवगत कराने वाला पत्र लिखने का निर्णय भी कम महत्व नहीं रखता।
विश्वास स्तंभों के रवैये से निराश कुछ चैतन्य मन, 23 फरवरी को मानव अभ्युथान संस्थान, आई टी ओ पर एकत्रित हुए। बतौर पानी लेखक मैने भी शिरकत की। यूथ फे्रटरनिटी फाउंडेशन और भारतीय न्यायमंच के आहृान् पर डाॅ. आंेकार मित्तल की अध्यक्षता में हुई बैठक में आयोजन को तार्किक तौर पर न सिर्फ यमुना विपरीत माना, बल्कि इसके ज़मीनी विरोध की रणनीति पर भी चर्चा की। खबर मिली कि श्री श्री ने विरोध रोकने की दृष्टि से उत्सव के दौरान सर्वधर्म सभा भी आहूत की है। मौजूद लोगों ने इस आशंका को काफी गंभीर माना कि यमुना मसले पर इस विरोध को दक्षिणपंथी बनाम वामपंथी बनाने की कोशिश की जा सकती है। बैठक श्री श्री समेत अन्य अध्यात्मिक, धार्मिक, नागरिक संगठनों व स्कूली वि़द्यार्थियों को यमुना बाढ़ क्षेत्र की महत्ता व आयोजन से होने वाले बहुआयामी नुकसान से अवगत कराने का फैसले के साथ संपन्न हुई।

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आप भी चेतें, फैसला करें और आर्ट आॅफ लिविंग समेत अन्य जिन्हे उचित समझें, उन तक अपनी और यमुना जी की गुहार पहुचायें।

 

आपकी सुविधा के लिए कुछ संबंधित पते निम्नलिखित हैं:

HON’BLE PRESIDENT OF INDIA
presidentofindia@rb.nic.in
pmosb@pmo.nic.in, PMO – pmosb@gov.in
Sri Sri Ravi Shankar – secretariat@artofliving.org
supremecourt@nic.in
umashribharti@gmail.com
ltgov <ltgov@nic.in
vcdda <vcdda@dda.org.in
cmdelhi <cmdelhi@nic.in
Mr. prakash Javdekar Javdekar – Prakash.j@sansad.nic.in
Delhi urban art commission delhi – duac74@gmail.com
Minister – MOEF – psmos-mef@nic.in
ccb.cpcb@nic.in, akmehta@nic.in, chdpcc@nic.in,
dr.mahesh@sansad.nic.in

dr.mahesh@sansad.nic.in

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arun-tiwariaruntiwariअरूण-तिवारीपरिचय -:

अरुण तिवारी

लेखक ,वरिष्ट पत्रकार व् सामजिक कार्यकर्ता

1989 में बतौर प्रशिक्षु पत्रकार दिल्ली प्रेस प्रकाशन में नौकरी के बाद चौथी दुनिया साप्ताहिक, दैनिक जागरण- दिल्ली, समय सूत्रधार पाक्षिक में क्रमशः उपसंपादक, वरिष्ठ उपसंपादक कार्य। जनसत्ता, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, अमर उजाला, नई दुनिया, सहारा समय, चौथी दुनिया, समय सूत्रधार, कुरुक्षेत्र और माया के अतिरिक्त कई सामाजिक पत्रिकाओं में रिपोर्ट लेख, फीचर आदि प्रकाशित।

1986 से आकाशवाणी, दिल्ली के युववाणी कार्यक्रम से स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता की शुरुआत। नाटक कलाकार के रूप में मान्य। 1988 से 1995 तक आकाशवाणी के विदेश प्रसारण प्रभाग, विविध भारती एवं राष्ट्रीय प्रसारण सेवा से बतौर हिंदी उद्घोषक एवं प्रस्तोता जुड़ाव।

इस दौरान मनभावन, महफिल, इधर-उधर, विविधा, इस सप्ताह, भारतवाणी, भारत दर्शन तथा कई अन्य महत्वपूर्ण ओ बी व फीचर कार्यक्रमों की प्रस्तुति। श्रोता अनुसंधान एकांश हेतु रिकार्डिंग पर आधारित सर्वेक्षण। कालांतर में राष्ट्रीय वार्ता, सामयिकी, उद्योग पत्रिका के अलावा निजी निर्माता द्वारा निर्मित अग्निलहरी जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के जरिए समय-समय पर आकाशवाणी से जुड़ाव।

1991 से 1992 दूरदर्शन, दिल्ली के समाचार प्रसारण प्रभाग में अस्थायी तौर संपादकीय सहायक कार्य। कई महत्वपूर्ण वृतचित्रों हेतु शोध एवं आलेख। 1993 से निजी निर्माताओं व चैनलों हेतु 500 से अधिक कार्यक्रमों में निर्माण/ निर्देशन/ शोध/ आलेख/ संवाद/ रिपोर्टिंग अथवा स्वर। परशेप्शन, यूथ पल्स, एचिवर्स, एक दुनी दो, जन गण मन, यह हुई न बात, स्वयंसिद्धा, परिवर्तन, एक कहानी पत्ता बोले तथा झूठा सच जैसे कई श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम। साक्षरता, महिला सबलता, ग्रामीण विकास, पानी, पर्यावरण, बागवानी, आदिवासी संस्कृति एवं विकास विषय आधारित फिल्मों के अलावा कई राजनैतिक अभियानों हेतु सघन लेखन। 1998 से मीडियामैन सर्विसेज नामक निजी प्रोडक्शन हाउस की स्थापना कर विविध कार्य।

संपर्क -:
ग्राम- पूरे सीताराम तिवारी, पो. महमदपुर, अमेठी,  जिला- सी एस एम नगर, उत्तर प्रदेश ,  डाक पताः 146, सुंदर ब्लॉक, शकरपुर, दिल्ली- 92
Email:- amethiarun@gmail.com . फोन संपर्क: 09868793799/7376199844

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