– तनवीर जाफरी –
2014 के लोकसभा चुनाव के पूर्व देश में घूम-घूम कर नरेंद्र मोदी द्वारा पाकिस्तान के विरुद्ध दिए जा रहे उन आक्रामक बयानों को हमारे देश के लोग अभी शायद भूल नहीं पाए होंगे जिनमें वे न केवल पाकिस्तान के विरुद्ध दिल खोलकर दहाड़ते रहते थे बल्कि सीमापार से प्रायोजित आतंकवाद के संदर्भ में पिछली यूपीए सरकार को भी इस बात के लिए कोसते रहते थे कि यूपीए सरकार कथित रूप से पाकिस्तान के प्रति नर्म रुख अिख्तयार कर रही है। मोदी बार-बार यह दोहराते थे कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना चाहिए, यह लव लेटर लिखना बंद कर दो। वे कहा करते थे कि धमाकों की गूंज के बीच बातचीत की आवाज़ मद्धम पड़ जाती है लिहाज़ा पहले पाकिस्तान को सीमापार से आतंकवादियों की भारत में पैठ बंद करानी चाहिए। उन्होंने अपने एक लोकलुभावने भाषण में यहां तक कहा था कि जब वे सत्ता में आए तो भारतीय सैनिक के एक सिर के बदले दस सिर काटकर लाएंगे। और पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देंगे। देश को इस बात की उम्मीद भी थी कि मोदी सरकार के गठन के बाद भारत पाकिस्तान के विरुद्ध आतंकवाद के विषय पर सख्त रुख अपनाएगा। परंतु मई 2014 में देश में बनी भाजपा की पहली पूर्ण बहुमत की सरकार के पहले मुखिया के रूप में नरेंद्र मोदी ने जब से प्रधानमंत्री का पद संभाला है उस समय से भारत की पाकिस्तान नीति देश के लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप दिखाई नहीं दे रही है। बल्कि देश इस बात को लेकर भ्रमित है कि वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-पाक नीति को आिखर किस रास्ते पर ले जाना चाहते हैंं? सवाल यह भी उठाए जाने लगे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का चुनाव पूर्व पाकिस्तान के विरुद्ध उगला जाने वाला गुस्सा तथा यूपीए सरकार को उसकी कथित ढुलमुल पाक नीति के लिए कोसा जाना क्या महज़ एक चुनावी स्टंट था और यह सारा शोर-शराबा सिर्फ जनता को पिछली सरकार के विरुद्ध वरगलाने के लिए किया जा रहा था?
इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान आतंकवादियों की घुसपैठ के विषय को लेकर तथा कश्मीरी अवाम को वरगलाने के विषय को लेकर भारत के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। और भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान ही अकेला ऐसा देश भी है जो भारत-पाक की विभिन्न सीमाओं से यहां तक कि समुद्री सीमाओं से भी आतंकियों की घुसपैठ कराता रहता है। पाकिस्तान के इस सीमापार प्रायोजित आतंकवाद से अब तक हमारे देश में हज़ारों बेगुनाह लोग मारे जा चुके हैं तथा सैकड़ों जवान भी शहीद हो चुके हैं। परंतु पाकिस्तान की भारत में आतंक फैलाने की नीति में कोई परिवर्तन आता दिखाई नहीं देता। भारतीय संसद पर हमले से लेकर 26/11 के मुंबई हमले तक पाकिस्तान से आए प्रशिक्षित आतंकवादियों ने देश में कई ऐसे दु:स्साहसिक हमले किए हैं जिन्हें देश की जनता कभी भुला नहीं सकती। अभी गत् 2 जनवरी को पंजाब के पठानकोट स्थित वायुसेना स्टेशन पर जोकि देश की पश्चिमी वायु कमान का एक प्रमुख केंद्र है वहां पाकिस्तान के प्रशिक्षित आतंकवादियों ने भारतीय सेना की वर्दी पहनकर एक बड़ा हमला बोल दिया। लगभग 17 घंटे तक चली इस मुठभेड़ में सात भारतीय सुरक्षाकर्मी शहीद हुए तथा 6 आतंकवादी व एक नागरिक की मौत हो गई। इस हमले में पाक स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का हाथ बताया जा रहा है। पाक की ओर से आए इन आतंकवादियों द्वारा अंजाम दिए गए पठानकोट हादसे के बाद देश के लोगों में पाकिस्तान के प्रति एक बार िफर गुस्से की लहर दिखाई दी।
परंतु एक ओर तो पाकिस्तान अपनी ऐसी हरकतों से बाज़ आने का नाम नहीं ले रहा है तो दूसरी ओर हमारे वही प्रधानमंत्री जो कल तक हमारे एक जवान के एक सिर के बदले पाकिस्तान के जवानों के दस सिर कलम करने की बात कहते थे जो पाकिस्तानियों को बिरयानी खिलाना बंद करो जैसे व्यंगात्मक तीर यूपीए सरकार पर छोड़ा करते थे वही नरेंद्र मोदी आज पाकिस्तान के प्रति इतने नर्म दिखाई दे रहे हैं गोया उन्होंने पाकिस्तान के प्रति कभी किसी कड़े रुख अपनाने की बात ही न की हो। अभी गत् वर्षांत में यानी 25 दिसंबर को मोदी अचानक नवाज़ शरीफ की नातिन के विवाह में शिरकत करने बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के लाहौर जा पहुंचे। वहां वे नवाज़ शरीफ से गले मिले तथा बड़ी ही गर्मजोशी से नवाज़ शरीफ की मेज़बानी कुबूल की। इस यात्रा की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि शादी में मोदी की शिरकत की सूचना न तो पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने अपने मंत्रिमंंडलीय सहयोगियों को दी न ही विपक्ष को और न ही सेना अथवा आईएसआई को। इसी प्रकार नरेंद्र मोदी ने भी अपने मंत्रिमंडल को अपनी अचानक पाक यात्रा की पूर्व सूचना नहीं दी थी न ही विपक्ष को इस यात्रा के बारे में विश्वास में लिया था। नतीजतन पाकिस्तान में शासन व सेना की ओर से मोदी को उतना उत्साहजनक सम्मान उनकी लाहौर यात्रा के समय नहीं मिल सका जितना अपेक्षित थे। खासतौर पर पाकिस्तान में इस बात की भी चर्चा उस दौरान गर्म रही कि मोदी का यह अचानक पाक दौरा चुंूकि एक व्यवसायिक घराने द्वारा अपने व्यवसायिक हितों के मद्देनज़र तय किया गया था इसलिए भी पाक हुक्मरानों व सैन्य अधिकारियों ने इसमें ज़्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई।
अब एक बार फिर मोदी सरकार पठानकोट वायु सैनिक अड्डे पर हुए हमले के संबंध में पाकिस्तान द्वारा भेजी गई जांच टीम को लेकर कड़ी आलोचना का सामना कर रही है। मोदी सरकार से न केवल उनकी सहयोगी शिवसेना बल्कि लगभग सभी विपक्षी दल एक स्वर में यह सवाल कर रहे हैं कि पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमलों की जांच करने हेतु पाकिस्तान संयुक्त जांच दल को वहां जाने की इजाज़त देने का आिखर औचित्य क्या है? खासतौर पर उस जांच टीम को जिसमें कि पाकिस्तान की खुिफया एजेंसी आईएस आई के पूर्व अधिकारी तथा पाक सेना के पूर्व अधिकारी भी शामिल हों? गौरतलब है कि भारत हमेशा से यह कहता आ रहा है कि यहां पाक प्रायोजित आतंकवाद में सबसे बड़ी भूमिका वहां की खुिफया एजेंसी आईएसआई की ही रहा करती है। और इसे रोक पाने में पाक सेना व पाक सरकार की विफलता यह प्रमाणित करती है कि इस सीमापार प्रायोजित आतंकवाद में पाकिस्तान के शासकों की ही भूमिका रहती है। खासतौर पर भारत के ऐसे आरोपों की पुष्टि उस समय भी हो जाती है जबकि भारत में कई आतंकी हमलों के जि़म्मेदार हािफज़ सईद,ज़की-उर-रहमान लखवी तथा अज़हर मसूद जैसे कई आतंकी सरगना पाकिस्तान में सरेआम घूमते-फिरते रहते हैं और पाकिस्तान में कहीं भी जनसभाएं कर भारत के विरुद्ध ज़हर उगलते व साजि़शें रचते रहते हैं। परंतु पाकिस्तान सरकार उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई करती नज़र नहीं आती। और जब कभी पाकिस्तान से भारत में पाक की ओर से आए आतंकियों द्वारा किए गए हमलों पर सवाल किया जाता है तो पाकिस्तान बड़ी ही चतुराई से यह कहकर अपना दामन बचाने की कोशिश करता है कि भारत से अधिक आतंकवाद का भुक्तभोगी तो पाकिस्तान है जहां लगभग प्रतिदिन कोई न कोई छोटा-बड़ा आतंकी हादसा होता ही रहता है।
पाकिस्तान का आतंकवाद का भुक्तभोगी होने का विलाप करना न केवल उसका अदरूनी मामला है बल्कि पाकिस्तान वास्तव में आतंकवाद की उसी फसल को काट रहा है जो बीज उसी के पूर्व शासकों द्वारा बोए गए थे। उसका भुगतान भारत को करना पड़े इसे कभी न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। पहले संसद फिर मुंबई के 26/11 इसके अतिरिक्त कई धर्मस्थलों पर हुए हमले और अब पठानकोट के वायुवैनिक अड्डे पर किया गया हमला इस बात का प्रतीक है कि पाक प्रायोजित आतंकियों के हौसले एक सधी हुई रणनीति के तहत दिन-प्रतिदिन और अधिक से अधिक चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। यह इस बात का भी प्रमाण है कि नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई घुड़कियों की भी यह आतंकी तथा पाक में बैठे इनके आका कोई परवाह नहीं कर रहे हैं। और इन सब हालात के बीच पठानकोट में संयुक्त जांच टीम का पाकिस्तान से आना जोकि देश में पहली बार देखा व सुना गया है,यह अपने-आप में यह सोचने के लिए काफी है कि मोदी सरकार की पाकिस्तान नीति कतई स्पष्ट नहीं है। आईएसआई जैसे जिन संगठनों पर भारत द्वारा आतंकवाद प्रायोजित करने का इल्ज़ाम लगाया जाता रहा हो और पाकिस्तान के ही कई उच्चाधिकारियों द्वारा स्वयं ऐसी बातें कई बार स्वीकार भी की जा चुकी हों उस पाक सुरक्षा एजेंसी के लोगों को ही भारत में हुए आतंकी हमले की जांच में शामिल करने का फलसफा पूरे देश के लोगों की समझ के बाहर है।
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Tanveer Jafri
Columnist and Author
Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.
He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities
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