– अर्जुन राम मेघवाल –
मेरा सपना एक ऐसे डिजिटल भारत को निर्मित करने का है जिसमें मोबाइल और ई-बैंकिंग से वित्तीय समावेशन सुनिश्चित होगा : प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी
”वित्तीय समावेशन” एक ऐसा मार्ग है जिस पर सरकारें आम आदमी को अर्थव्यवस्था के औपचारिक माध्यम में शामिल करके ले जाने का प्रयास करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतिम छोर पर खड़ा व्यक्ति भी आर्थिक विकास के लाभों से वंचित न रहे तथा उसे अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल किया जाए और ऐसा करके गरीब आदमी को बचत करने,विभिन्न वित्तीय उत्पादों में सुरक्षित निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है तथा उधार लेने की आवश्कता पड़ने पर वह उन्हीं औपचारिक माध्यमों से उधार भी ले सकता है।
वित्तीय समावेशन का अभाव होना समाज एवं व्यक्ति दोनों के लिए हानिकारक है। जहां तक व्यक्ति का संबंध है, वित्तीय समावेशन के अभाव में, बैंकों की सुविधा से वंचित लोग अनौपचारिक बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ने के लिए बाध्य हो जाते हैं, जहां ब्याज दरें अधिक होती हैं और प्राप्त होने वाली राशि काफी कम होती है। चूंकि अनौपचारिक बैंकिंग ढांचा कानून की परिधि से बाहर है, अत: उधार देने वालों और उधार लेने वालों के बीच उत्पन्न किसी भी विवाद का कानूनन निपटान नहीं किया जा सकता।
जहां तक सामाजिक लाभों का संबंध है, वित्तीय समावेशन के फलस्वरूप उपलब्ध बचत राशि में वृद्धि होती है, वित्तीय मध्यस्थता की दक्षता में वृद्धि होती है, तथा नए व्यावसायिक अवसर प्राप्त करने की सुविधा प्राप्त होती है।
इस परिस्थिति में सरकार द्वारा प्रायोजित सर्वसुलभ बैंकिंग प्रणाली के कारण अधिक प्रतिस्पर्धी बैंकिंग परिवेश की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक आर्थिक विविधीकरण में योगदान प्राप्त हुआ है।
1980 और 1990 के दशकों में शुरू किए गए ढांचागत समायोजन कार्यक्रमों से वित्तीय बाजार के सुधार के लाभ अनेक विकासशील देशों में पहुंचे। 20वीं शताब्दी के आरंभ में भारत में बीमा कंपनियां (जो जीवन बीमा और साधारण बीमा योजनाएं चलाती थीं) और एक कार्यशील स्टॉक एक्सचेंज काम कर रहा था।
वित्तीय समावेशन का कार्यक्षेत्र केवल बैंकिंग सेवाओं तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह समान रूप से बीमा, इक्विटी उत्पादों और पेंशन उत्पादों आदि जैसी अन्य वित्तीय सेवाओं के संबंध में भी लागू होता है। अत: वित्तीय समावेशन का अर्थ बैंकिंग सेवा से वंचित किसी भी क्षेत्र में स्थित किसी शाखा में केवल एक बैंक खाता खोलना ही नहीं है।
आम आदमी को अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल करने से अनेक अन्य लाभ भी हैं तथा इससे एक ओर जहां समाज में कमजोर तबके के लोगों को उनके भविष्य तथा कष्ट के दिनों के लिए धन की बचत करने, विभिन्न वित्तीय उत्पादों जैसे कि बैंकिंग सेवाओं, बीमा और पेंशन उत्पादों आदि में भाग लेकर देश के आर्थिक क्रियाकलापों से लाभ प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन प्राप्त होता है, वहीं दूसरी ओर इससे देश को ”पूंजी निर्माण” की दर में वृद्धि करने में सहायता प्राप्त होती है और इसके फलस्वरूप देश के कोने-कोने से होकर धन के प्रवाह से अर्थव्यवस्था को गति मिलती है और आर्थिक क्रियाकलापों को भी संवर्धन प्राप्त होता है।
देश के जो लोग वित्तीय दृष्टि से मुख्यधारा में शामिल नहीं हुए हैं, वे प्राय: अपनी बचत/अपना निवेश भूमि, भवन और बुलियन आदि जैसी अनुत्पादक आस्तियों में लगाते हैं। जबकि वित्तीय दृष्टि से अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में शामिल हो चुके लोग ऋण सुविधाओं का आसानी से उपयोग कर सकते हैं, चाहें वे लोग संगठित क्षेत्र में काम कर रहे हों अथवा असंगठित क्षेत्र में, शहरी क्षेत्र में रहते हों अथवा ग्रामीण क्षेत्र में। सूक्ष्म वित्तीय संस्थाएं (एमएफआई) गरीब लोगों का आसान एवं सस्ती ब्याज दरों पर ऋण देने के सर्वाधिक सुलभ उदाहरण हैं और इस क्षेत्र में इन संस्थाओं ने अनेक सफलताएं प्राप्त की हैं।
वित्तीय समावेशन से सरकार को सरकारी सब्सिडी तथा कल्याणकारी कार्यक्रमों में अंतराल एवं हेरा-फेरी पर भी रोक लगाने में भी मदद मिलती है क्योंकि इससे सरकार उत्पादों पर सब्सिडी देने के बजाय सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थी के खाते में अंतरित कर सकती है। वास्तव में, इससे सरकार को सब्सिडी के बिल में लगभग 57,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि की बचत हुई है और इससे सब्सिडी का लाभ सीधे वास्तविक लाभभोगी तक पहुंचना सुनिश्चित हुआ है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार अपने कार्यकाल की शुरूआत से ही देश के हर व्यक्ति के वित्तीय समावेशन पर विशेष बल देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस सरकार द्वारा किए गए अनेक उपायों में जैम-जनधन, आधार और मोबाइल सुविधा उपलब्ध कराना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
जनधन योजना- बैंकिंग सेवाओं की पहुंच में वृद्धि करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी परिवारों के पास कम से कम एक बैंक खाता हो, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिए गए भाषण में प्रधानमंत्री जनधन योजना नामक राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन मिशन की घोषणा की गई तथा इस स्कीम को 28 अगस्त, 2014 को औपचारिक रूप में शुरू किया गया। शुरू किए जाने के एक पखवाड़े के भीतर ही, रिकार्ड संख्या में बैंक खाते खोले जाने के आधार पर यह स्कीम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने में सफल रही। अगस्त, 2017 के मध्य तक इस स्कीम के अंतर्गत 29.48 करोड़ खाते खोले गए जो एक बड़ी उपलब्धि है तथा इन खातों में से 17.61 करोड़ खाते ग्रामीण/अर्द्धशहरी क्षेत्रों और शेष 11.87 करोड़ खाते शहरी क्षेत्रों में खोले गए।
जनधन योजना के तहत खाता खोलने पर मिलने वाले अतिरिक्त लाभ ये हैं कि ग्राहक को एक रुपे डेबिट कार्ड जारी किया जाता है जिसमें 1 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, खाते को छ: महीने तक संतोषजनक रूप में संचालित करने पर ग्राहक को 5,000 रुपये की ओवर ड्राफ्ट सुविधा प्रदान की जाती है। ग्राहकों को एक विशेष समय तक खाता खोलने के लिए 30,000 रुपये का जीवन बीमा भी दिया गया है। यह स्कीम बहुत सफल रही है और इस स्कीम के अंतर्गत दिसंबर 2016 तक सर्वेक्षण किए गए 21.22 करोड़ परिवारों में से 99.99 प्रतिशत परिवारों को कवर किया गया है। 44 लाख से अधिक खातों को ओडी सुविधा मंजूर की गई है जिसमें से लगभग 300 करोड़ की राशि से 23 लाख से अधिक खाताधारकों ने इस सुविधा का उपयोग किया है।
बीमा और पेंशन स्कीम- सभी नागरिकों और विशेषकर गरीब और सुविधा रहित लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए,वर्तमान सरकार ने प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना शुरू की है।
पूर्व की स्कीम अर्थात प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीआई) 18 से 70 वर्ष के आयु समूह को कवर करती है और केवल 12 रुपये वार्षिक के वहनीय प्रीमियम पर 2 लाख रुपये का जोखिम कवर प्रदान करती है। इस स्कीम के तहत 12 अप्रैल, 2017 के तक लगभग 10 करोड़ कुल नामांकन दर्ज किए गए।
बाद की स्कीम अर्थात प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना 18 से 50 वर्ष के आयु समूह को कवर करती है, जिनके पास बैंक खाते हैं। किसी भी कारण से बीमाशुदा व्यक्ति की मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये का जीवन कवर बीमाशुदा व्यक्ति के आश्रित को प्रदान किया जाता है। इस स्कीम के तहत 12 अप्रैल, 2017 तक, लगभग 3.10 करोड़ से अधिक व्यक्तियों का नामांकन किया गया।
अटल पेंशन योजना- यह स्कीम 2015 में 18 से 40 आयु वर्ग के सभी खाताधारकों के लिए शुरू की गई और वे पेंशन राशि के आधार पर भिन्न अंशदान चुन सकते हैं। इस स्कीम के अंतर्गत अभिदाता को मासिक पेंशन की गारंटी प्रदान की जाती है और उसके बाद उसके जीवन साथी को तथा उनकी मृत्यु के बाद उनके बच्चों को, 60 वर्ष की आयु तक संचित पेंशन कार्पस को,अभिदाता के नामिती को वापस कर दिया जाता है। केंद्र सरकार भी अंशदान के 50 प्रतिशत का योगदान करती है, बशर्ते कि वह 1000 रुपये प्रतिवर्ष से अधिक न हो। 31 मार्च, 2017 तक लगभग 46.80 लाख अनुमोदनकर्ता इस योजना के साथ जुड़े।
वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना: वे सभी अभिदाता जिन्होंने 15 अगस्त, 2014 से 14 अगस्त, 2015 तक वीपीबीवाई में अभिदान किया है, उन्हें नीति के तहत 9 प्रतिशत का सुनिश्चित गारंटी रिर्टन मिलेगा।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना- यह स्कीम गैर-कारपोरेट लघु व्यापार क्षेत्र को औपचारिक वित्तीय सुविधा पहुंच प्रदान करने के लिए अप्रैल 2015 में शुरू की गई। इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था के गैर वित्तपोषित क्षेत्र को प्रोत्साहित करना एवं बैंक वित्तपोषण सुनिश्चित करना है। मुद्रा योजना के तहत, इसके प्रारंभ से लेकर 13 अगस्त, 2017 तक कुल लगभग 8 करोड़ 70 लाख ऋण दिए गए जिसमें से लगभग 6 करोड़ 56 लाख महिलाएं थीं। इस योजना के तहत लगभग 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपए (जिसमें से लगभग 1 लाख 88 हजार करोड़ रुपए महिलाओं को) की राशि के ऋण स्वीकृत किए गए जिसमें से लगभग 3 लाख 63 हजार करोड़ रुपए (जिसमें से लगभग 1 लाख 66 हजार करोड़ रुपए महिलाओं को) के ऋण वितरित किए जा चुके हैं।
अन्य स्कीमें जिनमें जीवन सुरक्षा बंधन योजना; सुकन्या समृद्धि योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, सामान्य क्रेडिट कार्ड और भीम ऐप शामिल है।
एटीएम और और व्हाइट लेबल एटीएम की नीतियों का उदारीकरण किया गया है। एटीएम के नेटवर्क का विस्तार करने के लिए आरबीआई ने गैर-बैंक संस्थाओं को एटीएम (”व्हाइट लेबल एटीएम कहलाता है”) शुरू करने की अनुमति दी है। अभी तक देश में 64.50 करोड़ डेबिट कार्डों में से रुपे कार्ड ने बाजार हिस्से में 38 प्रतिशत (250 एमएम) की त्वरित वृद्धि की है। पीएमजेडीवाई (170 मिलियन) खाता धारकों को कार्ड प्रदान किए गए हैं।
आरबीआई के अनुरोध पर वाणिज्यिक बैंकों द्वारा वित्तीय उत्पादों तक जनता की पहुंच हेतु जागरूकता और शिक्षा प्रदान करने के लिए वित्तीय जागरूकता केंद्र शुरू किए गए हैं। यहां आरबीआई की नीति है कि वित्तीय समावेशन वित्तीय साक्षरता के साथ-साथ चलना चाहिए।
आधार और बैंक खातों की सहायता से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण एक बहुत बड़ी घटना है जो जनता को नए खोले गए खातों के साथ सक्रिय और संपर्क में रखती है।
स्टेंड-अप इंडिया- एससी, एसटी महिला उद्यमियों द्वारा ग्रीनफील्ड उद्यमों के लिए 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक के बैंक ऋण और पारिवारिक सहायता प्रदान करने के लिए शुरू किया गया। अगस्त 2017 के मध्य तक 38,477 ऋण धारकों को लगभग 8,277 करोड़ रुपए के ऋण वितरित किए जा चुके हैं जिसमें से लगभग 31 हजार महिलाओं को बांटी गई राशि 6,895 करोड़ रुपए थीं।
देश में वित्तीय समावेशन को और अधिक मजबूत करने के लिए सरकार ने बैंकों को ग्रामीण क्षेत्रों में माइक्रो एटीएम स्थापित करने की सलाह दी है, परिणामस्वरूप,- दिसंबर 2016 तक 1, 14, 518 माइक्रो एटीएम स्थापित किए गए।
वैंचर कैपिटल स्कीम: इस स्कीम के तहत सरकार ने अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के लोगों को रोजगार मांगने के बजाए रोजगार देने की दिशा में प्रयत्न करते हुए इस स्कीम को प्रारंभ किया। इस योजना में योग्य उद्यमियों को पहले 50 लाख रुपए से 15 करोड़ रुपए तक ऋण उपलब्ध कराया जाता था जिसकी सीमा बाद में 20 लाख रुपए से 15 करोड़ रुपए तक निर्धारित कर दी गई। इसमें सरकार ने अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को समर्थ बनाते हुए आत्मनिर्भरता प्रदान करते हुए अन्य लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में सक्षम बनाने का कार्य किया। इसमें 70 संस्थाओं के परियोजनाएं मंजूर किए एवं 265 करोड़ रुपए के फंड मंजूर किए जा चुके हैं और 40 संस्थाओं के ऋण वितरित किए जा चुके हैं। उल्लेखनीय यह है कि यह उद्यमकर्मी अपने साथ-साथ औसत 20-25 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं। इसमें ब्याज की दर 10 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दी गई है। इस योजना का मूल मंत्र यह है कि अनुसूचित जाति/जनजाति के लोग रोजगार आश्रित न रहकर रोजगार उपलब्ध कराने में सक्षम बने।
सारांश:
सरकार वित्तीय प्रणाली में प्रत्येक परिवार के समावेशन के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध है ताकि जनता देश के विकास से प्राप्त विधिक लाभों को प्राप्त कर सके और साथ ही जनता से जुटाई गई निधियां जो पहले औपचारिक चैनल में नहीं थीं, इन्हें औपचारिक चैनल में लाया जा सके, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को संबल प्राप्त हो और विकास पथ प्रशस्त हो सके।
_____________
About the Author
Arjun Ram Meghwal
Author and Union Minister of State
Minister of State in the Ministry of Parliamentary Affairs; and Minister of State in the Ministry of Water Resources, River Development and Ganga Rejuvenation.
Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.