दिल्ली,
तीसरा मोर्चा अब एक सोच नहीँ वरन हक़ीकत है। लेफ्ट पार्टियों समेत कुल 11 पार्टियों ने मंगलवार को मिलकर लोकसभा चुनाव साथ लड़ने का फैसला किया है। मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव प्रकाश कारात ने कई नेताओं की मौजूदगी में इस ‘थर्ड फ्रंट’ के गठन का ऐलान किया। तीसरे मोर्चे में 11 पार्टियां साथ आई हैं। एआईएडीएमके, एसपी, जेडीयू, जेडीएस और लेफ्ट दिल्ली में मिले और एक साझा घोषणापत्र जारी किया। प्रकाश कारात ने कहा कि बीजेडी और असम गण परिषद भी थर्ड फ्रंट में शामिल है।
इस गठन पर बोलते हुए प्रकाश कारात ने कहा कि देश को कांग्रेस का विकल्प चाहिए लेकिन वह बीजेपी नहीं हो सकता क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस में कोई खास फर्क नहीं है, इसलिए हम 11 दल मिलकर एक विकल्प देंगे।
ग़ौरतलब है कि दिल्ली में गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई 11 पार्टियों के नेता आज एक मंच पर एकजुट हुए और खुद को इन दोनों दलों का वास्तविक विकल्प करार दिया। हालांकि इस दौरान वे प्रधानमंत्री पद के मुद्दे से बचते दिखाई दिए, जो पूर्व में तीसरे मोर्चे के लिए एक मुश्किल भरा मुद्दा रहा है।
इस मोर्चे में चारों वाम दलों के अलावा नीतीश कुमार की जेडीयू, नवीन पटनायक की बीजेडी, जयललिता की एआईएडीएमके, जेडीएस, समाजवादी पार्टी, असम गण परिषद, झारखंड विकास मोर्चा और पंजाब में मनप्रीत बादल की अगुवाई वाली पंजाब पीपुल्स पार्टी शामिल हैं।
हालांकि इस मोर्चे मंगलवार की हुई इस पहली बैठक में ही इसकी एकजुटता पर सवाल उठते दिखाई दिए, जहां नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (बीजेडी) और असम गण परिषद (एजेपी) के नेता मंच से नदारद दिखे।
इस बारे में उठते सवालों का जवाब देते हुए प्रकाश करात ने कहा, ‘एजेपी अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत की मां गंभीर रूप से बीमार हैं, लेकिन उन्होंने हमें फोन कर आगे बढ़ने को कहा है। वहीं पटनायक ने हमें सूचित किया कि उनका पहले से कुछ तय कार्यक्रम था, इसलिए वह इसमें शिरकत नहीं कर सकें।’
इस बैठक में शामिल होने वाले नेताओें का मानना है कि देश को अब गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई सरकार की ज़रूरत है और आने वाले लोकसभा चुनावों में इस मोर्चे की सरकार बनना तय है। साथ ही इन नेताओं ने कहा कि कुछ और दल भी हैं जो कि जल्द ही इस मोर्चे में शामिल हो सकते हैं।