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डॉ राजीव राज के मुक्तक

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डा0 राजीव राज के मुक्तक- मुक्तक  -हैं सियासी गिद्ध नभ में नोंचने को बोटियाँ। बिछ गयीं देखो बिसातें चल रहे हैं गोटियाँ। जल रहा है अन्नदाता...

रमेश के दोहे

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रमेश के दोहेनये दुखों ने भर दिये,.....पिछले सारे घाव ! इसी भांति चलती रही,जीवन की यह नाव !!कोलतार सीमेंट के,.जहां बिछे हों जाल ! हरियाली कैसे...

आभा द्धिवेदी की पांच कविताएँ

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आभा द्धिवेदी की पांच कविताएँ 1) 'तुम' तुम सुपात्र नहीं हो नायक भी नहीं हो मेरी कहानी के किसी भी रचना में पर तुम हो तुम ना जाने क्यूँ हो तुम्हारा...

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