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क्या बच्चे बिकाऊ हैं
शिरीष खरे
यह दृश्य बार-बार घटने से अब साधारण लगता है- मुंबई के मशहूर लियोपोर्ड की संगीतभरी रातों के सामने भीख मांगते 10 से...
नरेगा के रास्ते अपने पैरों पर खड़े हैं विकलांग साथी
शिरीष खरेभूख से मौत और रोजीरोटी के लिए पलायन। ऐसा तब होता है जब लोगों के पास कोई काम नहीं होता। यकीनन गरीबी...
सुभागलाल का सपना सच हो गया
शिरीष खरेवैसे तो देश के असंख्य सुभागलालों का सपना सच नहीं होता है। मगर घोरवाल के सुभागलाल का सपना सच हो गया। उसके...
विकलांगता : स्थिति बनाम सामाजिक चश्मा
शिरीष खरेहमारे अतीत के हिस्से में ऐसे बहुत सारे बच्चे हैं जिनका नाम उनकी विकलांगता के आधार पर दर्ज हैं। अब नाम भले...
चेन्या के बदलाव के चित्र
शिरीष खरे‘‘मुंबई तेरी फुटपाथ पर/अनगिनत काम करते ये बच्चे/रात और दिन पसीना बहाते हुए/दौड़ते, भागते/ठहरते, हांफते/फिर भी हंसते हुए/मुसकुराते हुए/रंगीन गुब्बारे या...