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मंजू दिनेश की कविता – पक्षी कहाँ उड़ जाते हो

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रे पक्षी सीमाओं से परे उड़ कहाँ जाते हवाओं संग बैठ हवा के पंखों पर अनजान देश दोस्ती की महक लें खोज लेते अपना नीडनभ के काजल ले पारिजात घूमते परदेश सीमा न कोई...

वीणा की कविता “संतुष्टि“

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वह बोला मेरे खेतों में सोना है मैं हँसी ये सोच कर कि यह अक्ल से कितना बौना है सोना होता ,तो क्या इस के कपड़ों में पैबन्द होता...

प्रमोद तिवारी की कविता – देख रहा है दुनिया पंछी

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देख रहा है दुनिया पंछी, भूखा प्यासा पिंजरे का, उधर साफ मौसम की चाबुक, इधर कुहासा पिंजरे का ।क्यों मारा-मारा फिरता है, दर-दर दाने-दाने को, पंख...

वीना श्रीवास्तव की कविता – यामिनी

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भोर जागने को है,पर उससे पहले जाग जाती है यामिनी टूटे सपनों को बुहारती,आँगन द्वार पूरती चौक हल्दी आटे से भीगी धोती में लिपटी,लटों से झरती...

जबसे पतवारों ने मेरी नाव को धोखा दिया मुझे भंवर में तैरने का...

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अंजू अग्निहोत्री , आई एन वी सी, लखनऊ, ऑसू से आनन्द तक की यात्रा है कविता। कविता प्रयास से आती है व्याकरण से नहीं। कविता से कोई...

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