Tag: निर्मल रानी का सम्पादकीय
सवाल संविधान के मंदिर की मर्यादा का
- निर्मल रानी -
सत्रहवीं लोकसभा अस्तित्व में आ चुकी है। इस बार की लोकसभा में जहाँ कई...
केरल : बाढ़ का कहर और बयानबाजि़यां
- निर्मल रानी -
भारतवर्ष के मानचित्र में दक्षिणी छोर के सागर तट पर बसा प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर राज्य केरल इन दिनों बाढ़ की...
धर्म उद्योग: हर्रे लगे न फिटकिरी
- निर्मल रानी -मई 2014 से पूर्व लोकसभा के चुनाव अभियान के दौरान सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा ज़बरदस्त तरीके से पूरे देश में...
चुनावः राजनीति में स्वच्छता अभियान चलाने का शुभ अवसर
- निर्मल रानी -भारतीय गणतंत्र के कई प्रमुख राज्य अगले कुछ दिनों में विधानसभा के आम चुनावों से रूबरू होने जा रहे हैं। इन...
चुनाव भीड़ प्रबंधन – राज करने की एक कला ?
- निर्मल रानी -हमारा देश अपनी लोकतंात्रिक व्यवस्थाओं के प्रति कितना जागरूक है इसका अंदाज़ा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि...
आज की मुस्लिम महिलाएं और क़ाज़ी जी मजहबी ” बाज़ी “
- निर्मल रानी -
अपनी चिंता छोड़ पड़ोसी के विषय में ‘सामान्य ज्ञान’ हासिल करना, दूसरों के चरित्र या उसके कार्यकलापों की जानकारी रखना अथवा...
जन के मन की वह जाने और उनके मन की राम जाने
- निर्मल रानी -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबसे सत्तासीन हुए हैं तबसे उन्होंने जनता को संबोधित करने के लिए एक नई परिपाटी शुरु की है।...
प्रसिद्धि के भूखे यह स्वयंभू नेता
- निर्मल रानी -
प्रसिद्धि की चाहत आखिर किसे नहीं होती? खासतौर पर वह लोग जिनके शरीर में नेतागीरी के कीटाणु प्रवाहित हो रहे हों।...
आधी आबादी और रूढ़ीवादी सोच
- निर्मल रानी -हमारे देश में महिलाओं को किस कद्र सम्मान दिए जाने का प्रदर्शन किया जाता है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया...
भ्रष्टाचार की गंगा को प्रवाह देने वालों से सावधान
-निर्मल रानी-
सांप्रदायिकता तथा जातिवाद की ही तरह भ्रष्टाचार भी देश के विकास में एक बड़ा रोड़ा साबित होता आ रहा है। हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था...