Tag: अश्विनी कुमार सुकरात का लेख
क्यों बढ़ती हैं सिर्फ जरूरी सामानों की कीतमतें?
- अश्विनी कुमार ‘सुकरात -पहले प्याज, फिर दाल, अब तेल ऐसा लग रहा है कि इस त्योहारी मौसम में इनसब जरूरी खाद्य पदार्थों के...
विश्व भाषा का मिथक और लोकतंत्र
- अश्विनी कुमार 'सुकरात' -लोकतंत्र में शासन में जनता की सहभागिता तभी आ सकती है जब शासन व्यवस्था जन-भाषाओं में संचालित हो। इंग्लैड़ समेत...
वर्गीय विभाजन को बनाए रखने वाले साँस्कृतिक हथियार के रूप में ‘इंग्लिश’ उर्फ...
{ अश्विनी कुमार ‘सुकरात’ } भगत सिंह ने कहा था, “मुझे विश्वास है कि आने वाले 15-20 सालों में ये गोरे मेरे देश को छोड़ कर जाएंगे। पर मुझे...