जयश्री रॉय की लघु कथा सच्चाई
– सच्चाई –
गाड़ी की तेज़ ब्रेक की आवाज़ के साथ ही वह हृदय विदारक चीख गूंजी थी.आते-जाते हुये लोगों ने देखा था, एक भिखारी की लाश सड़क के बीचोबीच खून से लथपथ पड़ी हुई है. अभी-अभी कोई गाड़ी उसे कुचलते हुये गुज़र गई थी. उसकी झोली से निकल कए सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था. शायद अभी भी उसमें थोड़ी-सी जान बची हुई थी. उसके हाथ-पांव रह-रह कर थरथरा रहे थे.
चारों तरफ लोग तमाशबीन बन कर खड़े थे. कोई भी मदद के लिये आगे नहीं बढ़ रहा था. शहर के लोगों के पास तमाशा देखने के लिये तो समय रहता है मगर मदद के लिये नहीं. भीड़ के बीच से कोई फुसफुसाया था- ‘अरे! ये तो क्रॉसिंग के पास भीख मांगता था. इसकी बीवी भी है. दोनों कोढ़ी हैं.’
थोड़ी ही देर बाद ख़बर पा कर उस भिखारी की पत्नी भी घिसटती हुई आ गई थी. लोग तमाशा देखने की उम्मीद में लाश के और भी पास सरक आये थे. सद्य: विधवा हुई स्त्रियों का रोना-धोना देखना भी अपने आप में एक रोमांचक अनुभव होता है. मगर… उस भिखारन ने आते ही लाश के पास बैठ कर उसके सामानों को टटोलते हुये दूसरे भिखारियों को धकेल कर परे हटा दिया था और फिर गाली बकती हुई जल्दी-जल्दी सड़क पर बिखरे चावल के दानों को समेटने लगी थी.
भगवान का शुक्र है कि वह समय पर पहुंच गई थी, वर्ना दिन भर भीख मांग कर जमा किया हुआ सेर भर चावल आज दूसरों के हाथ लग जाता. उसके पति की खून में डूबी हुई लाश उसके बगल में पड़ी हुई थी मगर उस पर रोने जैसी अय्याशी के लिये फिलहाल उसके पास समय नही था. आखिर सवाल सेर भर चावल का था जो उनके जीवन से कहीं अधिक महंगा था. वह खून से लिसरे चावल इकट्ठा करती रही थी.
अगर आज एक मुट्ठी चावल खा कर जिन्दा बची तो अपने पति की मौत पर रोने का समय कभी ना कभी मिल ही जायेगा. इस समय सेर भर चावल से अधिक उसके लिये कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं था!
परिचय :-
जयश्री रॉय
शिक्षा : एम. ए. हिन्दी (गोल्ड मेडलिस्ट), गोवाविश्वविद्यालय
प्रकाशन : अनकही, …तुम्हें छू लूं जरा, खारा पानी (कहानी संग्रह), औरत जो नदी है, साथ चलते हुये,इक़बाल (उपन्यास) तुम्हारे लिये (कविता संग्रह)
प्रसारण : आकाशवाणी से रचनाओं का नियमित प्रसारण
सम्मान : युवा कथा सम्मान (सोनभद्र), 2012
संप्रति : कुछ वर्षों तक अध्यापन के बाद स्वतंत्र लेखन
संपर्क : तीन माड, मायना, शिवोली, गोवा – 403 517 – मोबाइल : 09822581137, ई-मेल : jaishreeroy@ymail.com