निस्वार्थ सेवा एवं संघर्ष का शिखर पुरुष: डॉ. पी.एम. भारद्वाज
प्रेरणा स्रोत और प्रबंधन के मर्मज्ञ गुरु
डॉ. पी.एम. भारद्वाज का नाम भारतीय प्रबंधन क्षेत्र में अद्वितीय प्रेरक और रणनीतिकार के रूप में प्रतिष्ठित है। उनकी पहचान न केवल एक प्रखर वक्ता और प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में है, बल्कि एक ऐसे नेता के रूप में भी है जो अपनी अकादमिक और औद्योगिक विशेषज्ञता से लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर चुके हैं। उन्होंने भारत सरकार के चार प्रमुख सार्वजनिक संस्थानों के प्रबंध निदेशक/सीएमडी के रूप में काम किया है, जिससे उनकी प्रबंधन कौशल और नेतृत्व क्षमता का अद्भुत प्रदर्शन हुआ है।
कौशल विकास और महिला सशक्तिकरण के समर्थक
डॉ. भारद्वाज युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण में विश्वास रखते हैं। उन्होंने कौशल विकास, मूल्य-आधारित शिक्षा, और शैक्षणिक संस्थानों तथा उद्योगों के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए हैं। उनकी पहल के कारण, राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी में पहली बार मूल्य-आधारित शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया।
प्रैक्टिकल और स्किल-बेस्ड शिक्षा की वकालत
डॉ. भारद्वाज का मानना है कि शिक्षा को प्रैक्टिकल और स्किल-बेस्ड होना चाहिए। उनके अनुसार, छात्रों का व्यक्तित्व बहुमुखी रूप से विकसित होना चाहिए ताकि वे आत्मनिर्भर और उद्योगोन्मुखी बन सकें। वह शिक्षा में नवीनतम तकनीकों के एकीकरण के पक्षधर हैं और ज्ञान की परिवर्तनकारी शक्ति में अटूट विश्वास रखते हैं।
भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का सपना
डॉ. भारद्वाज का सपना है कि भारतवर्ष पुनः सोने की चिड़िया और विश्व गुरु बने। इसके लिए वे दिन-रात प्रयत्नशील हैं। उनका मानना है कि शिक्षा और उद्योगों के बीच सहयोग से ही देश का सर्वांगीण विकास संभव है।
प्राचीन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का पुनरुद्धार
डॉ. भारद्वाज भारतीय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के महत्व को रेखांकित करते हैं, जिसमें समग्र शिक्षा और विद्या को प्राथमिकता दी जाती थी। उनका कहना है कि इस प्रणाली से ही भारतवर्ष सोने की चिड़िया बना था। वे समकालीन शिक्षा में इस प्रणाली को पुनर्जीवित करने की पुरजोर वकालत करते हैं और इसका गहन अध्ययन भी कर चुके हैं।
औद्योगिक विशेषज्ञता और प्रेरणादायक नेतृत्व
डॉ. भारद्वाज का औद्योगिक अनुभव उन्हें एक अद्वितीय स्थान प्रदान करता है। उन्होंने विभिन्न औद्योगिक विभागों में यूनिट हेड और सीएमडी के रूप में नेतृत्व की भूमिका निभाई है। उनकी औद्योगिक विशेषज्ञता ने उन्हें शिक्षा और उद्योग के बीच मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की है।
राष्ट्रीय स्तर पर योगदान और मान्यता
अपने अथक परिश्रम और राष्ट्र के प्रति योगदान के लिए डॉ. भारद्वाज को कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनके प्रयासों का प्रभाव लाखों छात्रों, शिक्षकों, और उद्योगों पर पड़ा है।
वर्तमान भूमिका और सक्रियता
डॉ. भारद्वाज कई विश्वविद्यालयों के निदेशक मंडल में कार्यरत हैं और विभिन्न औद्योगिक संस्थानों के मुख्य सलाहकार के रूप में भी योगदान दे रहे हैं। उनकी भूमिका न केवल शिक्षा बल्कि उद्योग विकास में भी महत्वपूर्ण है।
कर्मयोगी का परिचय
72 वर्ष की आयु में भी डॉ. भारद्वाज राष्ट्रीय उत्थान के लिए समर्पित हैं। उनका दृष्टिकोण और भागीरथी प्रयास उन्हें एक सच्चा कर्मयोगी बनाते हैं। वह कहते हैं कि जब तक शैक्षणिक संस्थाएं और उद्योग कंधे से कंधा मिलाकर काम नहीं करेंगे, तब तक देश की प्रगति संभव नहीं है।
डॉ. पी.एम. भारद्वाज एक ऐसे शिखर पुरुष हैं जिनकी निस्वार्थ सेवा और संघर्ष ने हजारों युवा दिमागों को प्रेरित किया है। उनके अविस्मरणीय योगदान और प्रेरणादायक नेतृत्व ने भारतीय शिक्षा और उद्योग क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवर्तन लाया है। उनकी दूरदृष्टि और संकल्प शक्ति से भारतवर्ष को विश्वगुरु बनाने का स्वप्न साकार होगा।