भारत, विश्व का सातवाँ वायु प्रदूषित देश

– अनिल सिन्दूर –

anilsindoorpoetanilsindooranilsindurnews,वायु प्राण दायक है यही वजह है कि वायु सभी मनुष्यों, जीवों एवं वनस्पतियों के लिए अति आवश्यक है ! इसके महत्व का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि मनुष्य भोजन के बिना हफ़्तों, जल के बिना कुछ दिनों तक जीवित रह सकता है लेकिन उसका वायु के बिना कुछ क्षण ही जीवित रहना असंभव है ! वावजूद इसके पर्यावरण को प्रदूषित करने से मनुष्य बाज़ नहीं आ रहा है !

प्रतिदिन मनुष्य लगभग 22 हज़ार बार साँस लेता है ! इस प्रकार प्रत्येक मनुष्य 16 किग्रा. या 35 गैलन वायु साँस लेने में प्रयोग करता है ! मालूम हो कि वायु में विभिन्न गैसें एक निश्चित मात्रा में होती हैं ! इनमें जरा सा भी अन्तर आने पर यह असंतुलित हो जाती हैं यह असंतुलन प्राण घातक होता है ! भारत के मेट्रो शहरों में वायु की शुद्धता का स्तर विगत 20 वर्षों से लगातार गिरता जा रहा है ! औद्योगिक प्रदूषण चार गुना और बढ़ा है ! विगत 20 वर्षों में जैविक ईधन के जलने के कारण कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन 40 प्रतिशत तक बढ़ गया है  जिसके कारण पृथ्वी का तापमान .7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है ! यदि यही स्थिति रही तो वर्ष 2030 तक पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाईआक्साइड 90 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी और पृथ्वी का तापमान असहनीय हो जायेगा !   वैज्ञानिकों का मत है कि यदि तापमान 1 डिग्री सेल्सियस बढ़ा तो जीवों और वनस्पतियों की 12 हज़ार प्रजातियाँ के समाप्त होने की आशंका हो जाएगी ! इसमें मानव को भोजन उपलब्ध कराने वाले पौधे भी शामिल हैं ! यदि तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तो फसलों की पैदावार पर भी असर पड़ेगा ! दक्षिण एशिया की नदियों में पहले बाढ़, फिर सूखा पड़ सकता है ! इससे करीब 4 अरब लोगों को पेय जल के संकट का सामना कर सकता है यदि तापमान 4-6 डिग्री  सेल्सियस बढ़ता है तो ४५-60 प्रतिशत आबादी संक्रामक रोग के चपेट में आ सकती है !  समुद्री सतह तेजी से बढ़ सकती है ! हिमालय तथा अंटार्क्टिका सहित दुनिया के कई ग्लेशियरों का अस्तित्व समाप्त हो सकता हो

जेनेवा में आयोजित वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहराया है ! विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि विश्व भर में 8 करोड़ लोग प्रति वर्ष वायु प्रदूषण के कारण मरता है ! वायु प्रदूषण के कारण पिछले दसक की तुलना में चार गुना मृत्यु दर बढ़ गई है ! विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 91 देशों के 1600 शहरों पर आधारित डाटा जारी किया इस सर्वे के आधार पर देश की राजधानी कि हवा में पीपीएम 2.5 पाया गया पीपीएम 2.5 की सघनता 153 माइक्रोग्राम तथा पीपीएम 10 की सघनता 286 माइक्रोग्राम तक पहुँच गयी है जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है !

एक अध्ययन के अनुसार भारत में वायु प्रदूषण मृत्यु का पांचवां बड़ा कारण है ! वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता वायु प्रदूषण के कारण ही जुकाम एलर्जी जैसी बीमारी अब वर्ष भर चलती रहती है ! वायु प्रदूषण दमा तथा स्नायु रोगियों के लिए भी घातक है ! प्रदूषण से हुई मौतों और लोंगों के बीमार पड़ने के कारण 35 सौ अरब डालर(सकल विश्व उत्पाद डीडब्लूपी का 5 प्रतिशत) से अधिक का नुकसान हुआ है! इसका 54 प्रतिशत अर्थात 1890 डालर का नुकसान केवल भारत और चीन में हुआ है ! आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन 34 देशों का एक ऐसा संगठन है ! स्वास्थ्य एवं जलवायु परिवर्तन पर लैसेट आयोग कि 2015 के लिए आई रिपोर्ट में कहा गया 9 अरब लोगों की वैश्विक आबादी जलवायु परिवर्तन से पड़े प्रभाव के कारण विकास और वैश्विक स्वास्थ्य में पिछली सदी  में उपलब्धियों को नुकसान पंहुचने का खतरा है !

पर्यावरणविद कैप्टन सुरेश चन्द्र त्रिपाठी, कानपूर से जब जानकारी चाही कि वायु को प्रदूषित होने से कैसे बचाया जा सकता है ! उन्होंने बताया कि हम थोड़ा सा भी गौर करेंगे तो काफी हद तक वायु को प्रदूषित होने से बचा सकेंगे ! पूर्व में हमारे पास पेड़ों कि संख्या बहुतायत में थी यदि हम वायु को प्रदूषित करने में सहायक कार्यों को करते भी थे तो पेड़ वायु को प्रदूषित होने से बचाते थे ! पूर्व में कूड़ा प्रबंधन का साधन था कि हम कूड़े को गढ्ढे में डाल कर उसकी खाद बना लें या फिरकूड़े को जला दें ! कूड़े को जलाना लोंगों के लिए आसान तरीका था कूड़ा प्रबंधन का और इसे लोगों ने अपनाया कूड़ा प्रबंधन का ये तरीका परम्परागत तरीका बन गया ! कूड़ा जलाने से बहुतायत मात्रा में कार्बन-डाईआक्साइड का उत्सर्जन होता है और वायु में होने वाली गैसों को असंतुलित करती है लेकिन पूर्व में पेड़ों कि संख्या मात्रा में बहुत ज्यादा थी जो कार्बन- डाईआक्साइड कूड़े को जलाने से निकलती थी उसे पेड़ ले लेते थे और वायु में रहने वाली गैसें असंतुलित नहीं हो पाती थी ! पेड़ों कि संख्या कम हो जाने के कारण यही कार्बन-डाईआक्साइड वायु को प्रदूषित कर रही है ! इसलिए अब जरुरी हो गया है कि हम परम्परागत कूड़े के प्रबंधन यानि कूड़े को जलाना तत्काल बंद करें ! मोटर वाहनों का रख रखाव ठीक रखा जाना चाहिए कार्बोरेटर की सफाई कर कार्बन-मोनो आक्साइड का उत्सर्जन कम किया जा सकता है ! पुराने वाहनों को प्रतिबंधित करना होगा !  रेल यातायात में कोयले अथवा डीजल के इंजनों के स्थान पर बिजली के इंजनों का उपयोग किया जाना चाहिए ! कोशिश करनी होगी ज्यादा से ज्यादा धूंआ रहित जेनसेट का उपयोग हो !

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anilsindoorpoetanilsindooranilsindurnews-214x300परिचय -:

अनिल सिन्दूर

विशेष संवादाता आई एन वी सी न्यूज़

# 28 वर्षों से विभिन्न समाचार पत्रों तथा समाचार एजेंसी में बेवाकी से पत्रिकारिता क्षेत्र में  पत्रिकारिता के माध्यम से तमाम भ्रष्ट अधिकारियों की करतूतों को उजागर कर सज़ा दिलाने में सफल योगदान साथ ही सरकारी योजनाओं को आखरी जन तक पहुचाने में विशेष योगदान,  वर्ष 2008-09 में बुंदेलखंड में सूखे के दौरान भूख से अपनी इहलीला समाप्त करने वाले गरीब किसानों को न्याय दिलाने वाबत मानव अधिकार आयोग दिल्ली की न्यायालय में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के सात जिलों के जिला अधिकारिओं पर  मुकद्दमा.

ई-मेल : anilsindoor2010@gmail.com , anil.sindoor@outlook.com ,  Mob. No. 9415592770

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