कविताएँ ” विषय – विज्ञान और कविता ” : कवि मुकेश कुमार सिन्हा

कविताएँ  


1.  रूट कैनाल ट्रीटमेंट !!

तुम्हारा आना
जैसे, एनेस्थेसिया के बाद
रूट कैनाल ट्रीटमेंट !!

जैसे ही तुम आई
नजरें मिली
क्षण भर का पहला स्पर्श
भूल गया सब
जैसे चुभी एनेस्थेसिया की सुई
फिर वो तेरा उलाहना
पुराने दर्द का दोहराना
सब सब !! चलता रहा !

तुम पूरे समय
शायद बताती रही
मेरी बेरुखी और पता नही
क्या क्या !
वैसे ही जैसे
एनेस्थेसिया दे कर
विभिन्न प्रकार की सुइयों से
खेलता रहता है लगातार
डेटिस्ट!!
एक दो बार मरहम की रुई भी
लगाईं उसने !!

चलते चलते
कहा तुमने
आउंगी फिर तरसो !!
ठीक वैसे जैसे
डेटिस्ट ने दिया फिर से
तीन दिन बाद का अपॉइंटमेंट !!

सुनो !!
मैं सारी जिंदगी
करवाना चाहता हूँ
रूट केनाल ट्रीटमेंट !!
बत्तीसों दाँतों का ट्रीटमेंट
जिंदगी भर ! लगातार !

तुम भी
उलाहना व दर्द देने ही
आती रहना
बारम्बार !!
आओगी न मेरी डेटिस्ट !!

2.     प्रेम के वैज्ञानिक लक्षण

जड़त्व के नियम के अनुसार ही, वो रुकी थी, थमी थी,
निहार रही थी, बस स्टैंड के चारो और
था शायद इन्तजार बस का या किसी और का तो नहीं ?

जो भी हो,  बस आयी,  रुकी, फिर चली गयी
पर वो रुकी रही … स्थिर !
यानि उसका अवस्था परिवर्तन हुआ नहीं !!

तभी, एकदम से सर्रर्र से रुकी बाइक
न्यूटन के गति के प्रथम नियम का हुआ असर
वो, बाइक पर चढ़ी, चालक के कमर में थी बाहें
और फिर दो मुस्कुराते शख्सियत फुर्र फुर्र !!

प्यार व आकर्षण का मिश्रित बल
होता है गजब के शक्तिसे भरपूर
इसलिए, दो विपरीत लिंगी मानवीय पिंड के बीच का संवेग परिवर्तन का  दर
होता  है, समानुपाती उस प्यार के जो  दोनों  के  बीच पनपता  है
प्यार की परकाष्ठा  क्या न करवाए !!
न्यूटन गति का द्वितीय नियम, प्यार पर भारी !!

प्रत्येक क्रिया के  बराबर और  विपरीत प्रतिक्रिया
तभी तो
मिलती नजरें, या बंद आँखों में सपनों का आकर्षण
दुसरे सुबह को फिर से करीबी के अहसास के साथ
पींगे बढाता प्यार
न्यूटन के तृतीय नियम के सार्थकता के साथ  !!

गति नियम के
एक – दो – तीन  करते  हुए  प्यार  की प्रगाढ़ता
जिंदगी में समाहित होती हुई
उत्प्लावित होता सम्बन्ध
विश्थापित होते प्यार की तरलता के बराबर !!

जीने लगते है आर्कीमिडिज के सिद्धांत के साथ
दो व्यक्ति
एक लड़का – एक लड़की !!

३. पहला प्रेम

पहला प्रेम
जिंदगी की पहली फुलपैंट जैसा
पापा की पुरानी पेंट को
करवा कर अॉल्टर पहना था पहली बार !
फीलिंग आई थी युवा वाली
तभी तो, धड़का था दिल पहली बार !

जब जीव विज्ञान के चैप्टर में
मैडम , उचक कर चॉक से
बना रही थी ब्लैक बोर्ड पर
संरचना देह की !
माफ़ करना,
उनकी हरी पार वाली सिल्क साडी से
निहार रही थी अनावृत कमर,
पल्लू ढलकने से दिखी थी पहली बार!!

देह का आकर्षण
मेरी देह के अंदर
जन्मा-पनपा था पहली बार
हो गया था रोमांचित
जब अँगुलियों का स्पर्श
कलम के माध्यम से हुआ था अँगुलियों से
नजरें जमीं थी उनके चेहरे पर
कहा था उन्होंने, हौले से
गुड! समझ गए चैप्टर अच्छे से !

मेरा पहला सपना
जिसने किया आह्लादित
तब भी थी वही टीचर
पढ़ा रही थी, बता रही थी
माइटोकॉंड्रिया होता है उर्जागृह
हमारी कोशिकाओं का
मैंने कहा धीरे से
मेरे उत्तकों में भरती हो ऊर्जा आप
और, नींद टूट गयी छमक से!!

पहली बार दिल भी तोडा उन्होंने
जब उसी क्लास में
चली थी छड़ी – सड़ाक से
होमवर्क न कर पाने की वजह से
उफ़! मैडम तार-तार हो गया था
छुटकू सा दिल, पहली बार
दिल के अलिंद-निलय सब रोये थे पहली बार
सुबक सुबक कर!
जबकि मैया से तो हर दिन खाता था मार !

मेरे पहले प्रेम का
वो समयांतराल
एक वर्ष ग्यारह महीने तीन दिन
नहीं मारी छुट्टियां एक भी दिन!!

वो पहला प्रेम
पहली फुलपैंट
पहली प्रेमिका
खो चुके गाँव के पगडंडियों पर
हाँ, जब इस बार पहुंचा उन्ही सड़कों पर
कौंध रही थी जब बचकानी आदत! सब कुछ
मन की उड़ान ले रही थी सांस
धड़क कर !!
————–

कन्फेशन जिंदगी के ….

 

४.प्रेम से  झपकती पलकें

कैमरा के फोटो शटर के तरह
कुछ नेनो/माइक्रो सेकंड्स के लिए
झपकी थी पलकें !

और इन कुछ क्षणों में
मेरे आँखों के रेटिना  से होते हुए
दिमाग और दिल तक
कब्ज़ा जमा लिया था ……सिर्फ तुमने !!

पता नहीं, कितने तरह की तस्वीरें
ब्लैक एन वाइट से लेकर
पासपोर्ट/पोस्टकार्ड पोस्टर
हर साइज़ की वाइब्रेंट
कलर तस्वीरें,
सहेजते चला गया मन !!

थर्मामीटर के पारे के तरह तुम
एक जगह जमी, ताप के साथ
उष्ण, चमकती बढती हुई ……..
“हैंडल विथ केयर” की टैग लाइन भूला मैं
और हो गया छनाक !!

पारे के असंख्य कण
बिखरे पड़े थे
और हर कण में चमक रही थी तुम !!

सच में बहुत खुबसूरत हो यार !!

५. चश्मे की डंडियाँ

तुम और मैं
चश्मे की दो डंडियाँ
निश्चित दूरी पर
खड़े! थोड़े आगे से झुके भी !!
जैसे स्पाइनल कोर्ड में हो कोई खिंचाव
कभी कभी तो झुकाव अत्यधिक
यानी एक दूसरे को हलके से छूते हुए
सो जाते हैं पसर कर
यानी उम्रदराज हो चले हम दोनों

है न सही !!

चश्मे के लेंस हैं बाइफोकल !!
कनकेव व कन्वेक्स दोनों का तालमेल
यानि लेंस के थोड़े नीचे से देखो तो होते हैं हम करीब
और फिर ऊपर से थोडा दूर
है न एक दम सच …..
सच्ची में बोलो तो
तुम दूर हो या हो पास ?

ये भी तो सच
एक ही जिंदगी जैसी नाक पर
दोनों टिके हैं
बैलेंस बना कर …… !!

बहुत हुआ चश्मा वश्मा !!
जिंदगी इत्ती भी बड़ी नहीं
जल्दी ही ताबूत से चश्मे के डब्बे में
बंद हो जायेंगे दोनों ……. !!
पैक्ड !! अगले जन्म
इन दोनों डंडियों के बीच कोई दूरी न रहे
बस इतना ध्यान रखना !!

सुन रहे हो न !!
——————–
तुम बायीं डंडी मैं दायीं अब लड़ो मत
तुम ही दायीं  🙂

__________

Mukesh-Kumar-Sinha,मुकेश कुमार सिन्हापरिचय -:
मुकेश कुमार सिन्हा
लेखक व् कवि

संग्रह : “हमिंग बर्ड”कविता संग्रह (सभीई-स्टोर पर उपलब्ध)  सह- संपादन: “कस्तूरी”, “पगडंडियाँ”, “गुलमोहर”, “तुहिन”एवं“गूँज” (साझा कविता संग्रह)
प्रकाशित साझा काव्य संग्रह:1.अनमोल संचयन,2.अनुगूँज, 3.खामोश, ख़ामोशी और हम, 4.प्रतिभाओं की कमी नहीं      (अवलोकन 2011), 5.शब्दों के अरण्य में , 6.अरुणिमा, 7.शब्दो की चहलकदमी, 8.पुष्प पांखुड़ी 9. मुट्ठी भर अक्षर (साझा लघु कथा संग्रह)

सम्मान:

वर्तमान: सम्प्रति कृषि राज्य मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली के साथ सम्बद्ध I

संग्रह : “हमिंग बर्ड”कविता संग्रह (सभीई-स्टोर पर उपलब्ध)

सह- संपादन: “कस्तूरी”, “पगडंडियाँ”, “गुलमोहर”, “तुहिन”एवं“गूँज” (साझा कविता संग्रह)

प्रकाशित साझा काव्य संग्रह:

1.अनमोल संचयन,2.अनुगूँज, 3.खामोश, ख़ामोशी और हम, 4.प्रतिभाओं की कमी नहीं      (अवलोकन 2011), 5.शब्दों के अरण्य में , 6.अरुणिमा, 7.शब्दो की चहलकदमी, 8.पुष्प पांखुड़ी

9. मुट्ठी भर अक्षर (साझा लघु कथा संग्रह), 10. काव्या

सम्मान: 1. तस्लीम परिकल्पना ब्लोगोत्सव (अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स एसोसिएशन) द्वारा वर्ष 2011 के

लिए सर्वश्रेष्ठ युवा कवि का पुरुस्कार.

2. शोभना वेलफेयर सोसाइटी द्वारा वर्ष 2012 के लिए “शोभना काव्य सृजन सम्मान”

3. परिकल्पना(अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स एसोसिएशन)द्वारा ‘ब्लॉग गौरव युवा सम्मान’ वर्ष

2013  के लिए

4.विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ से हिंदी सेवा के लिए ‘विद्या वाचस्पति’ 2014 में

5. दिल्लीअंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल 2015 में ‘पोएट ऑफ़ द इयर’ का अवार्ड

संपर्क -:
ई -मेल:mukeshsaheb@gmail.com ,  मोबाइल: +91-9971379996 ,  निवास: लक्ष्मी बाई नगर, नई दिल्ली 110023
वर्तमान: सम्प्रति कृषि राज्य मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली के साथ सम्बद्ध I

29 COMMENTS

  1. मुकेश …
    काव्य कला दिल की चीज है पर उसे विज्ञान के सिद्धांतों से जोड़ कर रचना करना अदभुत है ।लेखन में निरन्तर निखार आपको उच्च श्रेणी पर ले जा रहा है ।रूट केनाल जैसे उबाऊ काम को प्रेम से जोड़ कर दर्द को सुकून में बदल दिया ।विज्ञान की ऊँगली थाम कर चलती खूबसूरत कविताओं के लिए बधाई और शुभकामनाएं ।

    • शुक्रिया मधु जी ………आपके द्वारा उत्साह वर्धन मुझे ख़ुशी देता है

  2. जब भी मुकेश जी की रचनाएँ पढी,मेरे जेहन में भी हमेशा ये बात कौंधती रही कि, कितनी सरलता से वे अपनी कविताओं में गणित और विज्ञान का,और तो और अंग्रेजी के शब्दों का भी व्यावहारिक उपयोग कर लेते हैं,और कविताओं का सौंदर्य भी निखर उठता है।अनोखी कलात्मकता के धनी ऐसे कवि को उज्ज्वल भविष्य के लिये अनेक शुभकामनाएँ।

  3. कला और विज्ञान दो अलग अलग विधाएँ मानी जाती रहीं हैं। परंतु मित्र मुकेश ने इन दो अलग विधाओं को इस खूबसूरती से एकीकृत किया है कि दिल से वाहवाही निकलती है। मुकेश की सोंच इस तथ्य को बल देती है कि साहित्य की कोई सीमा नहीं होती और इसे किसी मर्यादा के अधीन नहीं बांधा जा सकता। कवि मुकेश को, जो सौभाग्यवश मेरा मित्र भी है ढेरों शुभकामनाएं। ईश्वर उसे शतायु करें।

  4. आप बहुत अच्छा लिखते है …किसी भी विषय पर आपकी कलम धरप्रवाह चलती है ….लिखते रहिये।

  5. प्रेम के रंग से सराबोर भावपूर्ण कविताएँ । उत्कृष्ट लेखनी
    लेखनी के लिए बधाई । लिखते रहें निरंतर ,,,,,,, शुभकामनाएँ ।

  6. लेखनी जब आपके हाथ में आ जाए तो वह अपने आपको धन्य समझती होगी। लेखन कला के धनी हैं आप,अनायास ही किसी विषय पर लिख डालना, ऐसा प्रतीत होता है जैसे शब्दों को पिरोने कि कला कोई आप से सीखे। यूँ तो ये सभी रचनाएँ कुछ हट के पढ़ने को मिलीं। लेकिन “रुट कैनाल ट्रीटमेंट “,और”प्रेम के वैज्ञानिक लक्षण” बेहद रोमांचक अनुभूति देते हैं। बस आप यूँ ही लिखते रहें और हम पढ़ते रहें।

  7. सबसे अलग जिस विषय पर आम कवि लिखने की सोचते भी नही उन विषयों पर भी आप बड़ी सहजता से लिख लेते हो आम आदमी की रोजमर्रा की जीवन से जुड़ी हुयी…बहुत-सुंदर

  8. सोनाली बोस और उनकी पूरी टीम को शुक्रिया की उन्होंने मेरी कविताओं को इतना मान दिया ….. !!

    धन्यवाद् मित्रों का जिनको मेरे शब्दों से प्रेम है !

    थैंक्स आल !!

  9. किसी भी विषय पर बेहद रोचक अंदाज में लिखने की कला है आपमें. आपकी लेखनी सबको अपनी-सी लगती है। यूँ ही खूब लिखते रहिये। 🙂

  10. जैसे कोई बात याद आई और हर्फ खुद ब खुद लिखते गए।वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर प्रेम के पल तौलते गए।मुकेश आप सबसे अलहदा हो।मुझे फख्र है तुम पर।

  11. आपकी रचना एकदम अलग प्रकार की होती है, आम भेडचाल वाली बात आपकी रचनाओं में नही होती इसलिए मुझे आपकी रचनाएँ बहुत पसन्द हैंl

  12. मुकेश जी , क्या शानदार सृजन है , पूरे वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ कवितायेँ लिखी हैं आपने | आप कवि नहीं वैज्ञानिक कवि हैं |

  13. विज्ञान का कलात्मक रूप पहली बार देखा है मैनें , सभी कवितायें आपके विषय पर सशक्त पकड़ दर्शा रहीं हैं. . आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें…. !!

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