जैन संत सृष्टि भूषण माताश्री को अंतरराष्ट्रीय समाचार एवम विचार निगम द्वारा मानव रत्न अलंकरण

आई एन वी सी न्यूज़
नई  दिल्ली ,

प्रख्यात मानव सेविका एवम जिनधर्म प्रभाविका आर्यिका 105 श्री सृष्टि भूषण माता श्री को मानव कल्याणार्थ किए गए अति विशिष्ट कार्यों के लिए International News And Views Corporation  द्वारा मानव रत्न अलंकरण से सम्मानित किया जाएगा। वे एक प्रख्यात जैन संत एवम समाज सेविका हैं जो पिछले कई दशकों से कैंसर पीड़ित व्यक्तियों, दिव्यांगजन, अनाथ बच्चों की शिक्षा एवम् महिला रोजगार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक महा अभियान चला कर सृष्टि के मानव ग्रह भारतीय भू-वसुंधरा का संताप हरण कर रहीं हैं। उनको यह अलंकरण, कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की सेवा के लिए चलाए जाए जा रहे आदि सृष्टि कैंसर सेवा ट्रस्ट के संचालन के लिए दिया जाएगा

International News And Views Corporation यानी अंतरराष्ट्रीय समाचार एवं विचार निगम के मानव रत्न अवार्ड सिलेक्शन कमेटी के समन्वयक डॉ डीपी शर्मा जो कि यूनाइटेड नेशंस की संस्था आईएलओ के अंतरराष्ट्रीय परामर्शक एवं भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर है ने बताया कि यह पुरस्कार सेवा के क्षेत्र में अति विशिष्ट कार्यों के लिए परंपरा से परे भागीरथ प्रयासों के लिए दिया जाता है। यह पुरस्कार उन्हें International News And Views Corporation यानी अंतरराष्ट्रीय समाचार एवं विचार निगम द्वारा 29 सितंबर को दिल्ली के राजवाडा पैलेस में एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाएगा ।

 डॉक्टर डीपी शर्मा ने आगे कहा की  कैंसर पीड़ितों एवं गरीबों की सेवा के लिए जैन मुनि सृष्टि भूषण माता श्री का योगदान अंतरराष्ट्रीय ख्याति का है ।

उन्होंने कहा कि सेवा एवं ममता की प्रतिमूर्ति माता श्री मनुष्य देह में एक देवी स्वरूपा हैं जो दिन-रात अनवरत रूप से मानव कल्याण के लिए प्रयासरत हैं । उनको यह सम्मान प्रदान करते हुए संपूर्ण मानवता कृतज्ञता के भाव से स्वयं को गौरवान्वित महसूस करेगी । आगे आने वाली पीढ़ियों को भी देखना चाहिए एवं सोचना चाहिए कि किस प्रकार एक मनुष्य स्वच्छता से मनुष्यता के संदेश के साथ शांति का दूत एवं मानवता का पैरोकार बन कर दुनिया में चमकते हुए सितारे एक सितारे की तरह संस्थापित होता है।

गौरतलब है की ऐसा माना जाता है कि आपकी संवेदना का अतुल्य वैभव जीवन से हताश, निराश, पीड़ित मानवता के जीवन में विश्वास के स्पंदन की चमक पैदा कर रहा है।आपके ऊर्जस्वित आशीर्वाद से स्पर्श कर मनुष्य अंधियारा मिटाकर अपने रिक्त आँचल को सुख समृद्धि की निधि, एवं मुस्कान की संपत्ति से भर रहे हैं।

आपने अपने 25 वर्षीय संयमी जीवन में 22000 किलोमीटर की पद यात्रा पूरी की है जिसमे दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, उतराखंड, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, गुजरात आदि प्रान्तों के नगर एवं महानगर सम्मिलित हैं।

अपने दीर्घ पद विहारी जीवन में पग पग पर आपने लोगों के जीवन को निकटता से देखा है। आपने न सिर्फ किताबों या अखबारों के माध्यम से बल्कि लोगों के बीच में रहकर उनको होने वाली समस्याओं को नजदीक से देखा एवं महसूस किया है ।

और तब आपने निर्णय लिया कि अपने संतत्व एवं गुरुत्व के आशीष की छाँव तले समाज एवं राष्ट्र में शांति, मानवता एवं खुशहाली स्थापित हो ऐसे कार्यों के प्रति समाज का ध्यान आकर्षित करना चाहिए।

आपके द्वारा महानगर दिल्ली समेत सिद्ध क्षेत्र श्री सम्मेद शिखर जी (झारखण्ड) सिद्ध क्षेत्र सोनागिर जी (मध्य प्रदेश) अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी (राजस्थान) में भक्तों के सहयोग से  ऐसी संस्थाओं की स्थापना करवाई गयी है जिसके माध्यम से हर वर्ग के लोग लाभान्वित हो सकें साथ ही त्यागी वृत्ति, भव्य आत्माएं जो इस संयम के मार्ग पर अग्रसर हैं वो भी निर्विकल्प अपनी संयम साधना कर सकें।

आपके आशीर्वाद एवं निर्देशन में जगह जगह निशुल्क भोजनालय खुलवाये गए, छात्रवृति, शिक्षण शिविर, संस्कार शिविर, पूजन विधान शिविर, वस्त्र वितरण, ट्राय साइकिल, बैसाखी, कानों की मशीने, सिलाई मशीन, कम्बल निशुल्क दवाइयों के वितरण के साथ साथ असहाय गरीब लड़कियों की शादी करवाना एवं बेरोजगार परिवारों को कार्य दिलवाने के कार्य भी किये जा रहे हैं।

इन सभी कार्यों के मध्य आपका चिंतन उन असाध्य एवं अर्थोपेक्षित व्याधियों के प्रति भी गया जिनका उपचार तो है परन्तु उपचार से पूर्व उनके परीक्षण में भी बहुत धन चाहिए । ऐसी बीमारियाँ जिनकी जानकारी मिलते ही प्राणी अर्ध मृतक के समान प्राय हो जाता है। ऐसी बीमारियों का उपचार समय रहते हो एवं ऐसी बीमारियों को होने से कैसे रोका जाए इसके प्रति समाज को सजग करना भी जरुरी है। आपकी करुणा व प्रेरणा का अनुकूल प्रभाव पड़ा और आपकी करुणापूरित दृष्टि दुखी प्राणियों के लिए वरदान बन गयी।

कैंसर एवं थैलेसिमिया जैसी दो बड़ी बीमारियों को केंद्र में और ध्यान में रखते हुए आपकी प्रेरणा से गठन हुआ एक संस्थान “श्री आदि सृष्टि कैंसर ट्रस्ट” का!

अल्प समय में ही देश के विभिन्न प्रान्तों जिलों गाँव कस्बो के साथ साथ विदेशों में भी इसके जाँच शिविर, सेमिनार, एवं जागरुकता अभियान शुरु किये गए….. शासन प्रशासन का, सरकारी योजनाओं जैसे भामाशाह कार्ड, आयुष्मान कार्ड आदि आदि सरकारी योजनाओं और समाज की दान प्रवृत्ति का एक साथ सम्मिलन हुआ एवं आपके पुण्य प्रताप से पूरे भारतवर्ष के करीब 1300 डाॅक्टर्स का साथ मिलता चला गया और हजारों रोगियों को इसका लाभ मिलना प्रारम्भ हो गया।

अनेकों कैंसर पीड़ित रोगियों के जीवन के प्रति निराशा एक बार फिर से आशा में परिवर्तित हुई है। आपने जनमानस के जीवन में मुस्कान बिखरने का जो संकल्प रूपी बीज अपने हृदय में पल्लवित किया था वो आज एक वट वृक्ष का रूप लेकर लाखों लोगो को छाया प्रदान कर रहा है। आपको इन महान कार्यों के लिए निम्न उपाधियां भी पूर्व मे सम्मान स्वरूप प्रदान की गई हैं।

जिनमें से कुछ मुख्य है:

हरियाणा समाज द्वारा सन 1998  – हरियाणा उद्धारक (200 देशों के शंकराचार्यों की उपस्तिथि में) अजमेर समाज द्वारा सन 2005   – जिनधर्म प्रभाविका गुडगाँव समाज द्वारा सन 2011 कविमना बूंदी राजस्थान समाज द्वारा सन  2012 -वात्सल्य मूर्ति महावीर जी समाज द्वारा सन 2016 समता शिरोमणि नजफगढ़ समाज द्वारा सन 2018  ,वात्सल्य निधि आचार्य अतिवीर जी महाराज जी द्वारा सन 2015

आदि अनेकों उपाधियाँ आपको प्रदान की गयीं परन्तु हर उपाधि आपके द्वारा किये जा रहे कार्यों के समक्ष छोटी ही नज़र आई।

आपने अपने साथ जुड़े लाखो भक्तों को एक ही सन्देश दिया है-
‘‘मेरा तो है बस एक ही सपना,
स्वस्थ सुखी हो जीवन सबका’’
और आपकी इसी मंगल भावना और आशीर्वाद को साथ लेकर संकल्पित और समर्पित है आपके सभी भक्तगण।
हम प्रभु से निवेदन करते हैं कि आध्यात्म की सरिता स्वरूपा, आत्महित एवं परहित से संलग्न पूज्य माता श्री आपने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज अभ्युत्थान, संस्कृति के संरक्षण एवं श्रमण परम्परा के संवर्धन में समर्पित किया है ।आपकी यह कृति सम्पूर्ण मानवता के लिए  अनुकरणीय है, वन्दनीय है । आपकी यशोगाथा का कांतिमय दीपस्तंभ युगों युगों तक इसी तरह दैदीप्यमान रहे।

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