{निर्मल रानी**,,}
भारतीय राजनीति में सत्ता प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक गिरने का सिलसिला दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। झूठ हो या सच, आए दिन सत्ता के चाहवान नेतागण अपने प्रतिद्वंद्वी पर ऐसे इल्ज़ाम मढ़ते देखे जा रहे हैं जो पूरी तरह निराधार होते हैं। परंतु इन निराधार आरोपों को सुनकर आम लोग भ्रमित भी होते हंै। इसके पहले भी यह देखा जा चुका है कि अपनी सत्ता को बचाने के लिए भी राजनीति में झूठ, फरेब और पाखंड के यही महारथी देश की आवाम को जबरन फीलगुड का एहसास भी करा चुके हैं। यह और बात है कि देश की जनता उस समय इनके फीलगुड के पाखंड को बखूबी समझ गई थी। 2014 के आम चुनाव आते-आते एक बार फिर देश ऐसी ही बेढंगी,झूठ, मक्र,फरेब, पाखंड तथा फीलगुड की राजनीति का शिकार होते देखा जा रहा है। धर्मनिरपेक्ष देश तथा इस देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान व धर्मनिरपेक्षता पर विश्वास रखने वाले लोगों को तरह-तरह के भावनात्मक अस्त्र चलाकर कोसा जा रहा है। दूसरे को अपमानित व स्वयं को सम्मानित किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। खासतौर पर इस तरह के सबसे अधिक प्रयास भारतीय जनता पार्टी के नेताओं विशेषकर देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाले नरेंद्र मोदी द्वारा किया जा रहा है।
पिछले दिनों भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के बीच हुई वार्ता को लेकर ऐसी ही निराधार व देश को अपमानित करने वाली बातें बिना किसी प्रमाणिक तथ्य के जाने हुए नरेंद्र मोदी द्वारा अपनी सार्वजनिक सभा में की गई। उन्होंने बिल्कुल सफेद झूठ बोलते हुए कहा कि नवाज़ शरीफ ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को देहाती औरत जैसा कहकर संबोधित किया। उन्होंने अपनी शेख़ी बघारते हुए आगे कहा कि जिस समय नवाज़ शरीफ मनमोहन सिंह को ऐसा कहकर अपमानित कर रहे थे उस समय भारतीय मीडिया के लोग खामोशी से यह सब सुन रहे थे। उन्हें इस वार्ता का बहिष्कार करना चाहिए था। मोदी के इस झूठ व फरेब से भरे सार्वजनिक भाषण के बाद नवाज़ शरीफ के कार्यालय सहित वहां उपस्थित प्रमुख पत्रकाों बरखा दत्त व हामिद मीर द्वारा भी मोदी के इस आरोप का खंडन जारी किया गया। इन पत्रकारों ने अपने संदेश में कहा कि नवाज़ शरीफ द्वारा मनमोहन सिंह की शान में ऐसी कोई बात नहीं कही गई। परंतु नरेंद्र मोदी ने यह ‘चुटकुला’ छोडक़र उपस्थित भीड़ के हाथों तालियां पिटवा लीं तथा भारतीय प्रधानमंत्री सहित भारतीय मीडिया को भी अपमानित करने के अपने मिशन में वे क्षणिक रूप से कामयाब दिखाई दिए।
इसी प्रकार की एक चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया व समाचार पत्रों में नरेंद्र मोदी की पिछले दिनों दिल्ली में हुई रैली से संबंधित दिखाई दे रही है। भाजपा व नरेंद्र मोदी की ओर से दिल्ली के जापानी पार्क में हुई रैली में पांच लाख लोगों की भीड़ होने का दावा किया जा रहा है। हालंाकि इस रैली में अधिक से अधिक लोगों के रैली स्थल पर पहुंचने के प्रबंध में पार्टी ने कोई कसर बाकी नहीं रखी थी। रैली में पहुंचने वालों के लिए नि:शुल्क मैट्रो यात्रा का प्रबंध भी किया गया था। मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए दिल्ली की मस्जिदों व मदरसों में पर्चे बांटे गए थे जिसमें कांग्रेस को मुसलमानों का दुश्मन तथा स्वयं को हमदर्द बताने का प्रयास किया गया था। परंतु तमाम कोशिशों के बावजूद इस रैली में उतनी भीड़ नहीं जुट सकी जितनी कि पार्टी द्वारा उम्मीद की जा रही थी। रैली स्थल का भ्रमण करने वाले कई पत्रकार इस भीड़ को लेकर अपने अलग-अलग तरह के विचार व्यक्त करते देखे जा रहे हैं। एक वेबसाईट ने तो मोदी के भाषण के समय सभा स्थल पर बने पंडाल के उस भाग की फोटो प्रकाशित की है जहां कुर्सियां भी खाली पड़ी दिखाई दे रही हैं। वैसे भी कई विशेषज्ञों को यह मानना है कि इस पार्क में अधिक से अधिक पचास हज़ार लोग समा सकते हैं। यदि पूरे पार्क को भरा हुआ भी मान लिया जाए तो भी पांच लाख का आंकड़ा कैसे छू सकता है। इस भीड़ को पांच लाख की भीड़ बताने वालों से यह प्रश्र पूछा जा रहा है कि यदि पांच लाख की भीड़ थी तो वह सडक़ों पर क्यों नहीं फैली?जापानी पार्क के चारों ओर व आसपास से गुज़रने वाली सडक़ों पर एक मिनट के लिए भी जाम क्यों नहीं लगा? परंतु इन सब बातों का जवाब देने के बजाए झृठ और पाखंड के यह महारथी अगला झृठ बोलने की तैयारी में लग जाते हैं।
इसी रैली को महिमामंडित करने का एक सफेद झृठ देश के एक प्रतिष्ठित मीडिया घराने की मैगज़ीन में प्रकाशित होते ही पकड़ा गया। देश-विदेश में अपनी धाक जमाने वाली इस पत्रिका को उसकी पोल-पट्टी खुलने पर आिखर इस फोटो समाचार का खंडन तक करना पड़ा तथा विवादित फोटो को अपनी वेबसाईट से भी हटाना पड़ा। इस पत्रिका ने सडक़ों पर भारी भीड़ दिखाई देता हुआ एक चित्र इस कैप्शन के साथ प्रकाशित किया था कि यह अपार जनसमूह जापानी पार्क में आयोजित हुई भाजपा की रैली का है। परंतु भाजपा के झूठ व पाखंड पर नज़र रखने वाले पत्रकारों ने इस फोटो के प्रकाशित होने के कुछ ही घंटों में इस भीड़ भरी फोटो की हकीकत को उजागर कर दिया। जिस फोटो को इस मैगज़ीन द्वारा नरेंद्र मोदी व भाजपा की जापानी पार्क में आयोजित रैली का फोटो बताया जा रहा था वह दरअसल अक्तूबर 2012 में दिल्ली में कांग्रेस द्वारा आयोजित उस रैली का फोटो था जो रैली एफडीआई के समर्थन में बुलाई गई थी जिसे सोनिया गांधी ने संबोधित किया था। इसी प्रकार केंद्र सरकार पर भाजपाईयों विशेषकर नरेंद्र मोदी द्वारा सेना का मनोबल गिराने जैसा गैरजि़म्मेदाराना आरोप लगाया जा रहा है। भारतीय सेना को वरगलाने की कोशिश की जा रही है तथा ऐसी ग़ैर जि़म्मेदाराना बातें की जा रही हैं जिससे भारतीय सेना का केंद्र सरकार से मोहभंग हो जाए तथा इनके प्रति मोह व लगाव पैदा हो। बड़ी अजीब सी बात है कि कंधार विमान अपहरण के समय हज़ारों हत्याओं के दोषी लोगों को सेना के अथक प्रयासों से पकड़े जाने वाले 4 खूखार कैदियों को भारतीय जेलों से रात के अंधेरे में निकाल कर उन्हें बाईज़्ज़त कंधार पहुंचाकर तालिबानों के सुपुर्द किए जाने वाले ‘महाबली’ कांग्रेस पार्टी पर सेना का मनोबल गिराए जाने के आरोप लगा रहे हैं। और अपने साथ उस पूर्व सेना अध्यक्ष को मंच सांझा करते दिखा रहे हैं जिसने भारतीय सेना के शस्त्रागारों को 90 प्रतिशत खोखला व खाली बताकर भारतीय सेना का ही नहीं बल्कि पूरे देश का मनोबल नीचे गिराने का काम किया है।
इसी प्रकार गुजरात के विकास के बारे में तरह-तरह के झूठे प्रचार किए जा रहे हैं। कभी यह बताया जाता है कि पूरा देश गुजरात का नमक खा रहा है तो कभी पूरा देश गुजरात का दूध पी रहा है। कभी गुजरात का आलू खा रहा है तो कभी मुंगफली खाने जैसी बेतुकी बातें केवल जनता को अपनी ओर लुभाने के लिए की जा रही हैं। पिछले दिनों उत्तराखंड में आई प्राकृतिक त्रासदी के समय भी देश का प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाले मोदी ने गुजरात के 50 हज़ार तीर्थयात्रियों को उत्तराखंड से अपने प्रयासों से बचाकर निकाल लाने जैसा हास्यास्पद दावा पेश किया था। मीडिया में इस बयान की भी खूब खिल्ली उड़ाई गई थी। सोशल मीडिया में नरेंद्र मोदी के ऐसे ही हवाई भाषणों के चलते उन्हें ‘फेंकू’ की उपाधि दे दी गई है। घोर एवं कट्टर हिंदुत्व के पैरोकार भले ही उन्हें हीरो अथवा हिंदुत्व के मसीहा के रूप में क्यों न देख रहे हों पंरतु मीडिया की नज़रों में खासतौर पर निष्पक्ष नज़रों से राजनीति का अंाकलन करने वालों के समक्ष नरेंद्र मोदी अपने झूठे भाषणों व दावों के द्वारा महज़ एक आडंबर रचने की कोशिश करते हैं। इसके सिवा और कुछ नहीं। बहरहाल, दिल्ली के सिंहासन तक पहुंचने को बेताब नरेंद्र मोदी व उनकी पार्टी एक बार फिर अपने-आप में फील गुड का एहसास करने लगे हैं। नरेंद्र मोदी को पार्टी का नया नेता अथवा हीरो प्रस्तुत करने वाले हॉर्डिग अभी से हिंदी भाषी क्षेत्रों में लगने लगे हैं। पार्टी के छुटभैये नेता अपना नाम व अपनी फोटो चमकाने के चक्कर में नरेंद्र मोदी की फोटो वाले होर्डिंग जगह-जगह लगवा रहे हैं। कई जगह तो यह लिखा दिखाई दे रहा है-‘मिशन 2014 बराबर+273’ भाजपाईयों द्वारा दर्शाया जाने वाला यह आंकड़ा भी कम हास्यास्पद नहीं है। भाजपा ने अपने अस्तित्व में आने से लेकर अब तक यहां तक कि अपने जनसंघ के रूप में होने के समय कभी भी देश की समस्त 542 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं खड़े किए। और अब गठबंधन की राजनीति के दौर में जबकि भाजपा एनडीए का एक घटक दल है ऐसे में प्रतीत नहीं होता कि पार्टी पूरे देश में 272 सीटों पर चुनाव लड़ेगी भी अथवा नहीं। ऐसे में पार्टी द्वारा +272 के आंकड़े तक अपने दम पर पहुंचने की बात सोचना अपने-आप में किसी मज़ाक से कम नहीं है। बहरहाल, राजनीतिज्ञों द्वारा राजनीति में शुचिता को समाप्त कर उसे झूठ-फरेब,मक्कारी व पाखंड की भेंट चढ़ाने का मुख्य कारण यही है कि राजनीति के यह महारथी जनता की नज़रों में बदनाम, बेअसर तथा बेमानी साबित हो चुके हैं। लिहाज़ा अब उन्हें लोकलुभावन शस्त्रों की ही अपने समर्थन में दरकार है जो शायद ही इन्हें सत्ता के सिंहासन तक पहुंचा सकें।
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**निर्मल रानी
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.
Nirmal Rani (Writer )
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